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    Haryana Pollution: घटती जवाबदेही में बढ़ता गया प्रदूषण, CPCB की रिपोर्ट ने दो खोली सरकारी एजेंसियों की सुस्ती की पोल

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 08:39 AM (IST)

    हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले चार वर्षों में दर्ज 13,690 शिकायतों में से केवल 70% का समाधान हुआ है। हरियाणा में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निस्तारण दर 46% रही। समीर ऐप पर दर्ज शिकायतों पर तेजी से कार्रवाई हुई। गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे बड़े शहरों में बेहतर निगरानी के कारण प्रदूषण का स्तर कम हुआ है।

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    Haryana Pollution: घटती जवाबदेही में बढ़ता गया प्रदूषण (File Photo)

    राहुल रापड़िया, हिसार। हरियाणा व दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई शहरों में हवा एक बार फिर ज़हरीली होती जा रही है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) खतरनाक स्तर पार कर चुका है, लेकिन सरकारी तंत्र की सुस्ती अब भी जस की तस है।

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    देश में वायु प्रदूषण को लेकर जनता की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं, पर कार्रवाई का दायरा सीमित है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की दो ताज़ा रिपोर्टें, ‘रेड्रेसल स्टेटस–1417’ और ‘रेड्रेसल हाटस्पाट स्टेटस–1404’, सरकारी दावों की पोल खोलती हैं।

    रिपोर्टों के अनुसार, पिछले चार वर्षों (अक्टूबर 2021 से अक्टूबर 2025) में देशभर में 13,690 प्रदूषण शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से 9,610 का निस्तारण हुआ, यानी केवल 70 प्रतिशत मामलों का समाधान हो सका, जबकि 30 प्रतिशत शिकायतें अब भी लंबित हैं।

    रिपोर्ट बताती है कि समीर ऐप पर दर्ज शिकायतों पर कार्रवाई अपेक्षाकृत तेज से हुईं, लेकिन इंटरनेट मीडिया और अन्य आनलाइन माध्यमों से आने वाली शिकायतें जवाबदेही के अभाव में अधूरी रह गईं।

    दीवाली के तुरंत बाद सीपीसीबी ने दोनों रिपोर्टें अपने पोर्टल पर साझा की हैं। ये स्पष्ट करती हैं कि प्रदूषण पर बढ़ते संकट के बीच सरकारी तंत्र अब भी धीमी रफ्तार से चल रहा है। हरियाणा की बात करें तो राज्य स्तर पर हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निस्तारण दर मात्र 46 प्रतिशत रही।

    निस्तारण की डेडलाइन 10 दिन तय है

    प्रदूषण शिकायतों का डिजिटल मंच समीर ऐप सीपीसीबी की मोबाइल एप्लिकेशन है। ये नागरिकों को वायु प्रदूषण से जुड़ी घटनाओं की शिकायत दर्ज करने की सुविधा देती है।

    कोई भी व्यक्ति धूल उड़ने, औद्योगिक धुएं, कचरा जलाने या वाहन प्रदूषण की शिकायत कर सकता है। शिकायत के साथ फोटो या वीडियो अपलोड किया जा सकता है। यह शिकायत स्वतः संबंधित एजेंसी को भेजी जाती है। निस्तारण के लिए औसतन 7 से 10 दिन का समय तय है। स्थिति सुलझी या लंबित के रूप में ऐप पर दिखती हैं।

    हरियाणा में बड़े शहरों ने दिखाई तत्परता, छोटे शहरों के मुकाबले कम हुआ प्रदूषण स्तर सीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 से 2025 के बीच हरियाणा में 2,873 शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से 2,332 सुलझाई गईं, यानी 81 प्रतिशत निस्तारण। गुरुग्राम और फरीदाबाद नगर निगमों, ट्रैफिक पुलिस व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्थानीय इकाइयों ने 85 से 97 प्रतिशत तक शिकायतें हल कीं।

    विशेषज्ञों का मानना है कि स्थानीय स्तर पर निगरानी और कार्रवाई तंत्र मजबूत होने से हरियाणा ने दिल्ली और राजस्थान जैसे राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर छोटे शहरों के मुकाबले कमतर भी इसी वजह से हो पाया।