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    रेलूराम हत्याकांड: जेल से निकली घर को श्मशान बनाने वाली सोनिया, पति के साथ मिलकर पिता समेत की थी 8 लोगों की हत्या

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 08:40 PM (IST)

    हरियाणा के हिसार में हुए रेलूराम हत्याकांड में जेल से सोनिया रिहा हो गई है, जिसने अपने पति के साथ मिलकर अपने पिता समेत आठ लोगों की हत्या की थी। इस घटन ...और पढ़ें

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    रेलूराम हत्याकांड की दोषी सोनिया जेल से बाहर निकली। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, हिसार। हरियाणा के पूर्व विधायक रेलूराम हत्याकांड में दोषी बेटी सोनिया मंगलवार देर शाम 7.30 बजे जेल से बाहर निकली। परिवार का एक युवक जेल के गेट पर खड़ा था। वह उसके पीछे काले रंगी की हुडी पहने मुंह छीपाकर आई औरकाले रंग की स्कार्पियो गाड़ी में बैठकर चली गई। इस दौरान उसने किसी से बात नहीं की।

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    पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया की बेटी सोनिया ने पति के साथ मिलकर पिता समेत आठ लोगों की संपति की खातिर जघन्य अपराध को अंजाम दिया था। पुलिस ने जब सोनिया को गिरफ्तार किया तो शक हुआ कि एक महिला आठ कत्ल नहीं कर सकती। फिर पुलिस को सोनिया के पति संजीव पर शक हुआ। पुलिस संजीव के घर सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) पहुंची। संजीव वहां पर नहीं मिला। पुलिस ने परिवार के सदस्यों के साथ सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि संजीव अपने मामा के घर है।

    पुलिस ने एक महीने के बाद पानीपत से संजीव को गिरफ्तार किया। अदालत में पेश कर उसका लाई डिटेक्शन टेस्ट करवाने की अनुमति मांगी। फिर उसका लाई डिटेक्शन टेस्ट (पालीग्राफ टेस्ट) करवाया। टेस्ट के दौरान चिकित्सक रजनी गांधी के सामने बताया कि मैंने और सोनिया ने मिलकर आठ लोगों को मारा है। उसके पिता सारी प्रॉपर्टी अपने बेटे सुनील के नाम करने वाले थे। सोनिया नहीं चाहती थी सारी संपत्ति सुनील के नाम हो।

    सोनिया के जन्मदिन को चुना था

    संजीव ने बताया था कि प्लान के लिए सोनिया के जन्मदिन को चुना था। 23 अगस्त को सहारनपुर से पटाखे, जहर की शीशी, पिस्टल और 24 कारतूस खरीदे थे। हिसार पहुंचने के बाद सोनिया की बहन पम्मा को स्कूल से लेकर कोठी पर आ गए। मैं गाड़ी के पीछे वाली सीट पर लौट गया ताकि चौकीदार को लगे की गाड़ी में सोनिया और पम्मा ही है। पहले पिस्तौल से सभी को एक साथ मारना था, लेकिन जन्मदिन पर एक साथ नहीं जुटे। फिर भारी भरकम लोहे की राड से हत्या करने की सोची। नीचे स्टोर रूम में गए और लोहे की राड उठा कर लाए और वारदात को अंजाम दिया।

    चार साल हिसार कोर्ट में चला था केस

    अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल ने बताया कि हिसार की अदालत में चार साल तक केस चला था। 31 मई 2004 को सेशन जज अरविंद कुमार ने 165 पन्नों के जजमेंट में इस केस को रेयरेस्ट आफ रेयर माना था। सोनिया और संजीव को दोषी मानते हुए जज ने कहा था कि ये प्लांड मर्डर था। संपत्ति के लालच में सोनिया ने पति के साथ मिलकर बेरहमी से जान ली। डाइपर पहने सवा महीने और ढाई साल के बच्चे को भी राड से वार कर मार डाला। हत्या को नृशंस, अत्यंत क्रूर और शैतानी तरीके से अंजाम दिया गया। ऐसे व्यक्ति को जीवित रहने का कोई हक नहीं। दोनों मरते दम तक फांसी के फंदे पर लटकाए रखने की सजा सुनाई जाती है।

    2004 में सोनिया और संजीव ने सजा के खिलाफ अपील की

    2004 में सोनिया और संजीव ने फांसी की सजा के खिलाफ पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की। 2005 में हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखा। 2009 में सेशन कोर्ट ने सोनिया और संजीव की फांसी की तारीख तय करने के लिए ब्लैक वारंट जारी कर दिया। इसी दौरान सोनिया और संजीव ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगा दी। जिस कारण फांसी की तारीख टल गई।

    2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी इस याचिका को खारिज कर दी। 2014-15 में सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ की याचिका पर फैसला सुनाया कि फांसी की सजा पाए ऐसे कैदी जो लंबे वक्त से अपनी मौत की तारीख गिन रहे हैं सही मायने में उनकी हर दिन मौत होती रहती है। इसलिए उनकी फांसी की सजा उम्रकैद में बदला जाए। इसमें 14 मामले थे जिसका फायदा सोनिया और संजीव को मिला और उनकी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।