'युवक की उम्र कम, भविष्य दांव पर...', पढ़ाई के लिए आरोपी को हाई कोर्ट ने विदेश जाने की दी अनुमति
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हिसार के एक युवक को उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने की इजाजत दी है। युवक पर कई गंभीर आरोप हैं पर अदालत ने कहा कि सिर्फ आशंका पर करियर रोकना सही नहीं है। आनंद नामक इस युवक को जर्मनी में बीएससी कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करनी है।

राज्य ब्यूरो, हिसार। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक फैसले में हिसार के एक युवक को उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने की अनुमति दे दी है।
युवक पर कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज है, लेकिन अदालत ने माना कि केवल आशंका के आधार पर उसके करियर को रोकना न्यायसंगत नहीं होगा।
मामला आनंद नामक 21 वर्षीय युवक से जुड़ा है, जिस पर आईपीसी की धारा 147, 149, 323, 324, 379, 379-बी और 506 सहित एससी/एसटी एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा चल रहा है। वह फिलहाल जमानत पर है।
आनंद ने आवेदन दिया था कि उसे जर्मनी स्थित इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ अप्लाइड साइंसेज, बर्लिन में बीएससी कंप्यूटर साइंस में दाखिला मिला है। तीन साल का यह कोर्स करने के लिए उसे विदेश जाने की अनुमति चाहिए, जिसे निचली अदालत ने 13 अगस्त 2024 को खारिज कर दिया था।
युवक ने हाई कोर्ट में दी चुनौती
युवक ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। उसकी ओर से दलील दी गई कि वह पढ़ाई करना चाहता है और उसके भविष्य के अवसरों को छीनना संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा। वहीं, राज्य सरकार और शिकायतकर्ता पक्ष ने कहा कि आरोपित गंभीर अपराध में संलिप्त है और विदेश जाकर कभी वापस नहीं लौटेगा।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्य प्रताप सिंह ने कहा कि कोर्ट पहले ही साफ कर चुका है कि विदेश जाने का अधिकार भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा है। केवल आशंका के आधार पर किसी का करियर रोकना गलत है।
'उसका भविष्य दांव पर है'
अदालत ने कहा कि युवक की उम्र कम है और उसका भविष्य दांव पर है। न्याय व्यवस्था का उद्देश्य सुधार भी है, न कि केवल दंड।
हाई कोर्ट ने निचली अदालत का आदेश रद्द करते हुए आनंद को विदेश जाने की अनुमति दे दी। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट उस पर कड़े शर्तें लगा सकता है।
इनमें भारी जमानत राशि, लिखित आश्वासन और आवश्यकता पड़ने पर साक्ष्य उसके बिना मौजूदगी में दर्ज करने की सहमति शामिल हो सकती है।
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