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इस काम आ सके श्मशान घाट की बाकी जगह, इसलिए तीन लेयर में दफनाए जा रहे बच्चों के शव

पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल ने 23 साल पहले मृत बच्चों को दफनाने के लिए श्मशान भूमि सुधार समिति को साढ़े छह एकड़ जमीन दी थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 May 2018 04:41 PM (IST)Updated: Sun, 06 May 2018 04:52 PM (IST)
इस काम आ सके श्मशान घाट की बाकी जगह, इसलिए तीन लेयर में दफनाए जा रहे बच्चों के शव

जेएनएन, हिसार :

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पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल ने 23 साल पहले मृत बच्चों को दफनाने के लिए श्मशान भूमि सुधार समिति को साढ़े छह एकड़ जमीन दी थी। बच्चों को लेकर एक से डेढ़ एकड़ किल्ले में दो बच्चों के श्मशान घाट बनाए गए। उस दौरान बच्चों को बेहतर चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने के चलते बच्चों की मरने की संख्या ज्यादा थी। अब बेहतर चिकित्सा सुविधाओं के चलते बच्चों की मौत की संख्या घट गई है। यह दावा श्मशान भूमि सुधार समिति के प्रधान का है। जबकि जमीनी हकीकत को वह भी दरकिनार नहीं कर सकते। विडंबना है कि 23 साल से डेढ़ एकड़ जमीन पर ही बच्चों को दफनाया जाता है। मिट्टी डालकर एक श्मशान घाट को बंद कर दिया जाता है तो दूसरे को खोल दिया जाता है। इसी का परिणाम है कि बच्चों के श्मशान घाट में एक के ऊपर एक बच्चों की कब्र की तीन लेयर बन चुकी हैं। इस ओर ध्यान देकर नई जगह पर श्मशान घाट बनाने के बजाय प्रधान व समिति के सदस्य सेक्टर 14 बी के साथ लगती जमीन पर 17 दुकानों को प्राथमिकता देने में जुट गए। क्योंकि सेक्टर 14 बी विकसित होने के साथ ही बस स्टैंड का गेट खुलने पर प्रति दुकान 50 लाख रुपये से अधिक की हो जाएगी। विवादों में आने पर भले ही मौजूदा समय में गोदाम, गैरज बनाने के दावे किए जा रहे हो। लेकिन गोदाम बनाने पर भी लाखों रुपये कीमत प्रति दुकान रहेगी। ..

न लाइब्रेरी, न सत्संग घर, गोदाम बनाने की तैयारी

श्मशान भूमि सुधार समिति ने भले ही बीते दिन नगर निगम अधिकारियों को लिखित में दिया हो कि दुकानों की जगह लाइब्रेरी व सत्संग घर बनाया जाए। कोर्ट के आदेश व नगर निगम एक्ट के अनुसार अवैध बि¨ल्डग में सत्संग घर व लाइब्रेरी भी नहीं बनाई जा सकती है। इसकी जानकारी समिति के सदस्यों को भी थी, इसी वजह है दुकानों को गैरज और गोदाम बनाने की तैयारी कर ली गई है। तेजी से इस दिशा में दिन रात काम चल रहा है। रविवार से टीन शेड की जगह दीवार भी बनाई जा रही है।

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श्मशान को लेकर यह मौजूदा हालात

बच्चों दफनाने के लिए डेढ़ एकड़ के दो हिस्से में श्मशान बनाए गए हैं। समिति प्रधान ने बताया कि एक हिस्सा खाली पड़ा है, उसमें दो साल से मिट्टी डालकर बंद कर दिया था। जबकि दूसरे को खोल दिया गया है। पिछले कुछ सालों में बच्चों की मौत में भारी कमी आई है। पांच एकड़ जमीन बच्चों के श्मशान की खाली बची थी। इसी जमीन के एक हिस्से पर पार्किंग व दूसरे हिस्से में 17 दुकानें बना दी गई है। साढ़े तीन एकड़ जमीन खाली पड़ी है। ..

हमने नगर निगम को लेटर लिख दिया है। यह सच है हमने दुकानें ही बनाई है। अधिकारियों का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेशानुसार दुकानें नहीं बना सकते हैं। हमारे पास चार गाड़ियां व मोक्ष वाहन है। दुकानों को इनके गैराज में प्रयोग करेंगे, दूसरी ओर बने सेवार्थ अस्पताल को यहां शिफ्ट कर देंगे। डीप फ्रीज भी इन दुकानों में शिफ्ट करेंगे। बाकि बचेगा उनके गोदाम बना देंगे। रविवार से टीन शेड की जगह दीवान बनाना शुरू कर देंगे।

- महावीर सैनी, प्रधान श्मशान भूमि सुधार समिति की पूर्व कार्यकारिणी को कुछ 60 - 70 लोगों ने खुद भंग कर दिया था। उस समय 300 लोग मेंबर थे। यहीं वजह है कि कुछ लोग श्मशान भूमि की जमीन पर दुकानें बना रहे है। जो पूरी तरह से गलत है। दुकानों को हटाया जाना चाहिए। सरकार को समय रहते ही कदम उठा लेने चाहिए थे। ताकि आज यह नौबत न आती।

- र¨वद्र गोयल, विहिप नेता।


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