हरियाणा में दीवाली से पहले फूटा प्रदूषण बम, ग्रेप-2 लागू होने की तैयारी; लोगों को सांस लेने में हो रही दिक्कत
दीपावली से पहले हरियाणा के कई जिलों में वायु गुणवत्ता खराब हो गई है। पानीपत, रोहतक और बहादुरगढ़ सबसे अधिक प्रदूषित हैं। कई जिलों में पराली जलाने की घटनाएं कम होने के बावजूद प्रदूषण का स्तर ऊंचा है। प्रशासन ने ग्रेप लागू किया है और किसानों पर जुर्माना लगाया है। अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारी की गई है।
-1760890391615.webp)
हरियाणा में दीवाली से पहले फूटा प्रदूषण बम। फाइल फोटो
जागरण टीम हिसार/पानीपत। दीपावली से ठीक पहले हरियाणा के कई जिलों में हवा की गुणवत्ता चिंताजनक स्तर तक पहुंच गई है। प्रदेश का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 164.4 दर्ज किया गया है, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है और विशेष रूप से दमा, अस्थमा व सांस की अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए बेहद घातक है।
पानीपत (एक्यूआइ 226), रोहतक (206), बहादुरगढ़ (294), फतेहाबाद (162) और कैथल (158) जैसे जिले सबसे अधिक प्रदूषित हैं। कई जिलों में एक्यूआई 200 के पार पहुंच चुका है, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी की ओर इशारा करता है।
बहादुरगढ़ में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं, जहां पीएम 2.5 का स्तर 294 दर्ज किया गया है। यह दिल्ली से लगते क्षेत्रों में फैल रहे प्रदूषण के प्रभाव को भी दर्शाता है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कई जिलों में पराली जलाने की घटनाएं नहीं हुईं, फिर भी प्रदूषण का स्तर ऊंचा है।
प्रशासनिक स्तर पर ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के पहले चरण की पाबंदियां पहले से ही लागू हैं, लेकिन अब चरण-2 की ओर बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। दीपावली से पहले प्रदूषण के स्तर में कई जिलों में चिंता बनी हुई है, जबकि कुछ जिलों में स्थिति बेहतर -
सबसे अधिक प्रदूषण
पानीपत (एक्यूआइ 226), रोहतक (206), फतेहाबाद (162), कैथल (158), जींद (152) -कम प्रदूषण वाले जिले : सिरसा (54), भिवानी (85), यमुनानगर(115)
राली जलाने की स्थिति
पराली जलाना प्रदूषण बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। -पराली जलाने के मामले ज्यादा : जींद (5 मामले), कैथल (3), सिरसा (6), यमुनानगर (3) -पराली जलाने के मामले नहीं या कम: रोहतक, हिसार, चरखी दादरी, फतेहाबाद (1 मामला), पानीपत (1 मामला), कुरुक्षेत्र (1 मामला) कई जिलों में किसानों पर जुर्माना और एफआइआर दर्ज की गई है, जिससे रोकथाम के प्रयास दिखाई दे रहे हैं। -
प्रशासन की तैयारियां और रोकथाम के उपाय
- अधिकांश जिलों में पराली जलाने रोकने के लिए ग्रामीण स्तर पर टीमें सक्रिय हैं, जैसे फतेहाबाद में 128 टीमें, पानीपत में 228 टीमें, सिरसा में 780 कर्मचारी तैनात।
- ग्रीन पटाखों की अनुमति और पटाखों की बिक्री पर कुछ हद तक नियंत्रण लागू है, लेकिन कई जिलों में पटाखों पर पूर्ण रोक नहीं है।
- कई जिलों में फागिंग और पानी छिड़काव की व्यवस्था नहीं की गई, जबकि हिसार और चरखी दादरी जैसे जिलों में यह कदम उठाए गए हैं।
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप)
हिसार, करनाल, पानीपत, भिवानी जैसे जिलों में लागू है, जबकि कई जिलों में अभी लागू नहीं है।
स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारी
अधिकांश जिलों में अस्पतालों में अतिरिक्त स्टाफ और मास्क-औषधियों का स्टाक रखा गया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।