Haryana News: हिसार में वर्षा के पानी को लेकर चार गांव के लोग भिड़े, खूनी संघर्ष में थाना प्रभावित सहित 45 से अधिक घायल
नारनौंद में वर्षा के पानी को लेकर गुराना और तीन अन्य गांवों के लोगों में खूनी संघर्ष हो गया जिसमें थाना प्रभारी सहित 40-45 लोग घायल हो गए। ग्रामीणों ने माइनर बंद करने को लेकर पत्थरबाजी की और जेसीबी से सड़क भी तोड़ी गई। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। प्रशासन दोनों पक्षों को शांत करने का प्रयास कर रहा है।

संवाद सहयोगी, नारनौंद (हिसार)। वर्षा के पानी को लेकर गुराना और तीन अन्य गांवों के लोगों में शनिवार शाम प्रशासन की मौजूदगी में खूनी संघर्ष हो गया। शाम को पास के तीन गांवों के ग्रामीण पानी घुसने के संकट से बचने के लिए माइनर बंद करने पहुंचे तो स्थिति बिगड़ गई और एक दूसरे की तरफ पत्थर फेंकने लगे।
इससे थाना प्रभारी सहित दोनों पक्षों के 40 से 45 ग्रामीण घायल हो गए। वहीं जेसीबी से कई जगह सड़क भी तोड़ दी गई। स्थिति से निपटने के लिए भारी पुलिस बल मौके पर तैनात है। जिला उपायुक्त और हांसी पुलिस अधीक्षक अमित यशवर्धन भी पहुंचे। दोनों पक्षों को शांत करवाने के लिए प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।
शनिवार सुबह भारी पुलिस बल माइनर पर तैनात कर दिया गया था, ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना ना हो। डीएसपी देवेंद्र नैन, एसडीएम राजेश कोथ, थाना प्रभारी बलवान सिंह सुबह से ही मोर्चा संभाले थे। चारों गांव के मौजिज लोगों से संपर्क करके मामले का समाधान करने की कोशिश की गई लेकिन कोई हल नहीं निकला।
माइनर बंद करने की भनक गुराना के ग्रामीणों को लग चुकी थी इसे लेकर सुबह से ही सैकड़ों लोग माइनर पर एकत्र हो गए थे। महिलाएं भी भारी संख्या में मौजूद थीं। गांव खानपुर, सिंधड़ और सिंघवा राघों के ग्रामीण भी सुबह से इस इंतजार में थे कि प्रशासन माइनर बंद करवा देगा लेकिन बंद नहीं करवाया गया। तीनों गांवों के ग्रामीण मिट्टी के बैग भरकर तैयार थे कि गांव की तरफ जब पानी आएगा तो वह बैग के सहारे रोक देंगे लेकिन माइनर से पानी ज्यादा गति से बह रहा था।
ग्रामीणों ने पूरा दिन प्रशासन का इंतजार किया। इसके बाद भारी संख्या में ग्रामीण माइनर पर पहुंचे जहां हालात बिगड़ गए। एक-दूसरे की तरफ से पत्थरबाजी शुरू हो गई। प्रशासन की मौजूदगी में सैकड़ों लोग घायल हो गए।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अगर समय रहते प्रशासन पूरे मामले को दिन में ही निपटा देता तो शाम को यह घटना नहीं होती। सात घंटे चली थी पंचायत शुक्रवार को संकट से निपटने के लिए गांव गुराना में प्रशासन सहित तीनों गांवों के सरपंच सहित मौजिज लोगों की करीब सात घंटे तक पंचायत चली थी, ताकि ये माइनर कैसे बंद हो।
आखिरकार प्रशासन की तरफ से एसडीएम ने मोर्चा संभालते हुए माइनर को बंद करवाने का जिम्मा लिया था। इसे लेकर गांव गुराना में गांव खानपुर के सरपंच रामपाल, सिंधड़ के सरपंच सुंदर, सिंघवा राघों के सरपंच नरेंद्र, जिला पार्षद धर्मवीर गुराना, सरपंच रामावतार मौजूद थे। ग्रामीण बोले- प्रशासन पर नहीं रहा विश्वास गांव गुराना के ग्रामीणों ने बताया कि हमें प्रशासन पर अब विश्वास नहीं रहा। पिछले काफी दिनों से गांव में पानी भरा है।
हमारे खेत बर्बाद हो चुके हैं। घरों में पानी घुसना शुरू हो गया है। अब तक प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई। माइनर की पटरी को तोड़ने का आरोप गलत है। यहां पर पहले वीटी लगी हुई थी उसी के रिसाव के कारण माइनर टूटी है। हमारे गांव में भी दूसरे गावों का पानी आ रहा हैं।हमारे खेत तो बर्बाद हो चुके हैं। अब घरों को बचाने के लिए गांव के लोग माइनर पर आए थे।
एसडीएम ने कहा, शाम को हुआ दोनों पक्षों में झगड़ा एसडीएम राजेश कोथ ने बताया कि ग्रामीणों की पंचायत हुई थी। इसमें सभी को आश्वासन दिलाया था कि माइनर बंद करवा दिया जाएगा।
पूरा दिन शांतिपूर्वक तरीके से बातचीत होती रही। शाम को दोनों पक्षों में झगड़ा हो गया। मौके पर पुलिस की सात रिजर्व कंपनियों को तैनात किया गया था। इनमें दो रिजर्व कंपनियां महिलाओं की शामिल थीं। ड्यूटी मजिस्ट्रेट के तौर पर कृषि विभाग के डाक्टर ललित को तैनात किया गया है।
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