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यहां मान्यता ऐसी कि भूमि से पैदा हुई देवी मां की प्रतिमा, देश विदेश से आते हैं श्रद्धालु

ऐतिहासिक शक्तिपीठ माता भ्रामरी देवी मंदिर बरवाला के बनभौरी गांव में स्थित है। यहां मंदिर में 24 घंटे माता के दरबार में अखंड ज्योत जलती है।

By Edited By: Published: Tue, 20 Mar 2018 04:03 PM (IST)Updated: Tue, 20 Mar 2018 08:53 PM (IST)
यहां मान्यता ऐसी कि भूमि से पैदा हुई देवी मां की प्रतिमा, देश विदेश से आते हैं श्रद्धालु
यहां मान्यता ऐसी कि भूमि से पैदा हुई देवी मां की प्रतिमा, देश विदेश से आते हैं श्रद्धालु

जागरण संवाददाता, हिसार। ऐतिहासिक शक्तिपीठ माता भ्रामरी देवी मंदिर बरवाला के बनभौरी गांव में स्थित है। यहां मंदिर में 24 घंटे माता के दरबार में अखंड ज्योत जलती है। नवरात्र में देश-विदेश से काफी तादाद में श्रद्धालु मां की पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते है। यहां मंदिर में नवरात्र पर सैकड़ों की संख्या में अखंड ज्योतें जलाई जाती है। नवरात्र मेले में विशेषत: चतुर्थी से लेकर षष्ठी तक मेले में भक्तों का अपार जनसमूह उमड़ता है। छट पर माता भ्रामरी की पूजा का विशेष महत्व है।

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मंदिर का इतिहास बनभौरी धाम मंदिर 400 साल पुराना है। यहां मान्यता है कि माता भ्रामरी देवी व अष्टभुजी माता महिषासुर वर्धनी की मूर्तिया धरती से ही प्रकट हुई थी। ब्रहृमचारी, जिनके वंशज आज भी मंदिर की सेवा कर रहे है। उनकी मूर्ति भी यहां स्थापित है। इस मंदिर की बड़ी मान्यता है। माता के दरबार में आकर श्रद्धालु श्रृद्धा के साथ धागा बांधकर मन्नत मांगते है। मन्नत पूरी होने पर यहां दरबार में हाजिरी लगाते है। यहां श्रद्धालु अपने बच्चों का मुंडन संस्कार कराते है। नव-विवाहित जोड़ों के द्वारा माता का आशीर्वाद लेने की परंपरा वर्षों पुरानी है। मंदिर की विशेषता नवरात्र में नव दंपति गठ जोड़े खासतौर से पहुंचकर मां से मन्नत मांगते हैं।

अष्टमी और नवमी को कढ़ाई चढ़ाई जाती है। देवी रूपक कंजकों कन्याओं को भोजन कराकर यथाशक्ति दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। मंदिर में धरती से प्रकट हुई मूर्तियों के अलावा भी अन्य मूर्तियां स्थापित की गई है। इसमें मां काली, भैरों बाबा, राधा-कृष्ण, हनुमान व शिव परिवार शामिल है। यहां पूर्ण विधि विधान के अनुसार ब्रहृमचारी के वंशज कौशिक परिवार से है। जिनमे पुजारी श्यामलाल, रामनिवास, शिवकुमार, राजेश कौशिक, सुरेन्द्र कौशिक, सोनू व सुशील आदि द्वारा पूजा अर्चना कराई जाती है। वहीं मन्नत मांगने व मन्नत का धागा बांधने के लिए दरबार के पीछे एक विशेष स्थान बना हुआ है।

सच्चे मन से धागा बांधकर मन्नत मांगने वाले की मन्नत अवश्य पूरी होती है। माता भ्रामरी सच्चे मन से मांगी हर मुराद पूरी करती है। यहां मंदिर में साक्षात माता विराजमान है जो भक्तों के दुख हरती है और उन्हें यहां पूजा अर्चना करने से सुकून व शक्ति मिलती है। माता के दरबार में मांगी मुराद पूरी होने पर श्रद्धालु भंडारा लगाते है। - पुजारी रामनिवास -ऐतिहासिक शक्तिपीठ बनभोरी धाम बनभोरी मेले में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखने के लिए पुरूष व महिला पुलिस के अलावा मंदिर के सेवादार तैनात हैं। पुलिस की पीसीआर लगातार गश्त करती है। असामाजिक तत्वों पर निगरानी के लिए जगह-जगह 45 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। मेले में व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें, ताकि श्रद्धालुओं को मां बनभौरी के दर्शन अति सहज हो सके। - सुरेन्द्र कौशिक,अध्यक्ष,जयमाता बनभौरी मन्दिर समिति


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