बेटी 18 साल की हुई तो खुद चुन लेगी वर, इस डर से हरियाणा में बेटियां बन रहीं बालिका वधू
ग्रामीण इलाकों में आज भी नाबालिग बेटियों की शादी कर रहे अभिभावक। खुद वर चुनने से समाज में बेइज्जती होने का बता रहे डर। अकेले रोहतक में डेढ़ साल में रुकवाई 15 नाबालिगों की शादी
रोहतक [विनीत तोमर] माता-पिता जिस बेटी को पाल-पोसकर बड़ी करते हैं, बाद में समाज में असुरक्षा की भावना के चलते उसी बेटी को बालिका वधू बनाने से भी पीछे नहीं हट रहे। अकेले रोहतक में पिछले डेढ़ साल में जिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी की टीम के सामने 15 नाबालिगों की शादी के मामले आए। जिन्हें ऐन वक्त पर पहुंचकर रुकवाया गया। ऐसा ही हरियाणा के अन्य जिलों में भी सामने आ रहा है। नाबालिग बेटियों की शादी के पीछे गरीबी को सबसे बड़ी वजह माना जाता है, लेकिन जिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी की टीम ने जब इन मामलों में माता-पिता से बातचीत की तो जो वजह सामने आई वह हैरान कर देने वाली है।
इसकी बड़ी वजह है आज भी कुछ माता-पिता की रूढि़वादी और लिंगभेद की सोच। उनका मानना होता है कि बेटी अगर 18 साल की हो गई तो उसे कई कानूनी अधिकार मिल जाएंगे और वह अपना जीवनसाथी खुद चुन सकती है। जिससे समाज में उनकी इज्जत नहीं रहेंगी। बेटियों के प्रति उन्हें असुरक्षा की भावना भी रहती है। ऐसे माता-पिता का मानना होता है कि शादी के बाद चूल्हा-चौका ही तो करना है, इसलिए वह कम उम्र में ही शादी कर देते हैं। दरअसल, भारतीय कानून के अनुसार लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल और लड़कों की शादी की उम्र 21 साल तय की गई है। लेकिन आज भी माता-पिता नाबालिगों की शादी करने से पीछे नहीं हट रहे।
डर से की वजह हो रही नाबालिग बेटे की भी शादी
इन मामलों में तीन केस ऐसे भी आए हैं, जिसमें माता-पिता अपने नाबालिग बेटे की शादी कर रहे थे। जब उनसे नाबालिग बेटे की शादी की वजह पूछी गई तो उन्होंने अपनी अलग ही वजह बताई। जिन्होंने बताया कि आजकल बेटियों की शादी करना आसान है, लेकिन बेटे के लिए बहू लाना मुश्किल हो रहा है। इसलिए भले ही बेटे की कम उम्र हो, जैसे ही कोई रिश्ता आया तो वह शादी करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
दो दिन पहले रुकवाई तीन शादियां
जिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी करङ्क्षमद्र कौर की टीम ने दो दिन पहले ही कलानौर और महम थाना क्षेत्र में तीन नाबालिग लड़कियों की शादी रुकवाई थी। इसमें भी माता-पिता का तर्क था कि खराब माहौल के चलते वह जल्दी शादी करना चाहते हैं। जबकि एक परिवार ने तर्क दिया था कि बड़ी बेटी की शादी हो रही है तो शादी में छोटी की भी कर दी जाए। इस जिम्मेदारी से भी मुक्ति मिलेगी।
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''पिछले कुछ समय में यह मामले आए हैं। जिसमें कई अलग-अलग वजह सामने आई। माता-पिता में लड़कियों को लेकर असुरक्षा की भावना रहती है, जो समाज ने पैदा की है, लेकिन उसका खामियाजा कम उम्र में शादी कर लड़की को भुगतना पड़ता है। ऐसे माता-पिता को सोच बदलनी होगी। बेटियां आज भी आसमान की बुलंदियों को छू रही है।
- करमिंद्र कौर, जिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी, रोहतक।
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