Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    315 साल पुराने इस मंदिर में मौजूद है 121 किलो का पारद शिवलिंग, कई मायनों में है खास

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Mon, 13 Dec 2021 04:50 PM (IST)

    छोटी काशी के नाम से मशहूर बाबा जहरगिरी मंदिर में 121 किलो का पारद शिवलिंग मौजूद है। देश के गिने चुने मंदिरों में शुमार 315 साल पुराना बाबा जहरगिरी मंदिर कई मायनों में खास है। इस खबर को पढ़िए और जानिए इस मंदिर का धार्मिक मह्त्व...

    Hero Image
    बाबा जहरगिरी मंदिर में मौजूद 121 किलो का पारद शिवलिंग।

    सुरेश मेहरा, भिवानी। हरियाणा की पावन धरा भिवानी का नाम छोटी काशी यूं ही नहीं पड़ा है। यहां धार्मिकता का समंद्र बहता है। इस छोटे शहर में मंदिरों की भरमार है। इन मंदिरों में ऐसे कई मंदिर हैं जो अपने आप में बेमिसाल हैं। ऐसा ही एक मंदिर है बाबा जहरगिरी मंदिर। लोहारू रोड रेलवे ओवरब्रिज के समीप बना यह मंदिर दूसरे मंदिरों से हट कर इसलिए भी है यहां पर भगवान शिव का 121 किलो का पारद से बना शिवलिंग है। पारा धातू यानि पारद का शिवलिंग आपको इस मंदिर के अलावा हरिद्वार के जूना अखाड़ा, अहमदाबाद गुजरात के शिव मंदिर और दिल्ली करोलबाग के हनुमान मंदिर पारद का शिवलिंग देखने को मिल सकता है। इसलिए कहा जा सकता है भिवानी का बाबा जहरगिरी मंदिर देश के मुख्य चार मंदिरों में से एक हैं जहां पर पारद के शिवलिंग स्थापित हैं। छोटी काशी में छोटे बड़े 300 से ज्यादा मंदिर हैं। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पौष माह की नवमी को हर वर्ष गंगाजल से बनता है भंडारा

    315 वर्ष पुराने इस मंदिर में हर वर्ष जनवरी यानि पौष माह की नवमी को बड़े स्तर पर भंडारा लगता है। इसमें देश भर से हजारों साधु संत उमड़ते हैं। इस भंडारे में प्रसाद गंगाजल से बनाया जाता है। साधु संतों के अलावा साधु संत महात्माओं के अलावा शहर और आस पास के हजारों श्रद्धालु भी प्रसाद ग्रहण करते हैं। 

    मंदिर में लगे घंटों की टंकार करती है मन को प्रफुल्लित

    सुबह शाम आरती के समय जब मंदिर में लगे घंटों की टंकार होती है तो मन को प्रफुल्लित करने वाली होती है। यहां पर 588 किलो का एक घंटा लगा है जो आकर्षण का केंद्र बना है। इसके अलावा 151 किलो के तीन घंटे हैं और 51 किलो वजन के 12 घंटे लगाए गए हैं। 

    मंदिर में लगाई गई है चारपाई

    बाबा जहरगिरी मंदिर करीब दो एकड़ में बना है। मंदिर में बाबा जहरगिरी की चारपाई लगाई गई है। ऐसी मान्यता है कि बाबा जहरगिरी यहां पर हर रात को साेते हैं। चार पाई के साथ हुक्का भी रखा गया है। जब सुबह उठ कर देखते हैं तो चार पाई पर बिस्तर में पड़ी सलवटें कहती नजर आती हैं कि बाबा यहां पर आकर सोते हैं। इस चारपाई की पूजा होती है और श्रद्धालु मानते हैं बाबाजी यहां पर रहते हैं। मंदिर में बाबाजी की संगमरमर की मूर्ति स्थापित की गई है। 

    जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण की मिसाल है मंदिर

    बाबा जहरगिरी मंदिर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया गया है। यहां पर बरसाती पानी का संग्रहण किया जाता है। मंदिर में जितना पानी प्रयोग होता है उसका सीधा जमीन में छोड़ा जाता है। भगवान शिव पर जलाभिषेक के रूप में चढने वाला जल और दूध भी जमीन में छोडने के लिए पाइप लाइन दबाई गई हैं। पौधा रोपण को लेकर लगातार काम किया जा रहा है। मंदिर और आस पास 5100 पौधे लगाए गए हैं। 

    वैदिक और योग शिक्षा का प्रमुख केंद्र बना है बाबा जहरगिरी मंदिर 

    बाबा जहरगिरी मंदिर में वैदिक शिक्षा का ज्ञान दिया जा रहा है। वहीं यहां पर योगशाला नियमित रूप से चल रही हैं। सुबह शाम यहां पर अनेक युवा, महिला, बच्चे आदि नियमित रूप से योग करते हैं। 

    बाबा जहरगिरी को पंजाब से लेकर आए थे सेठ खूबाराम अग्रवाल

    मंदिर के संचालन का फिलहाल जिम्मा संभाल रहे श्रीमहंत जूना अखाड़ा डा. अशोक गिरी बताते हैं कि उन्होंने महात्माओं से पता चला है कि भिवानी के सेठ खूबाराम अग्रवाल की मन्नत पूरी होने पर वह बाबा जहरगिरी को पंजाब के संगरूर से लेकर आए थे। 315 वर्ष पहले बाबा जहरगिरी ने यहां पर आकर मंदिर की स्थापना की। आज यह मंदिर देश के प्रमुख मंदिरों में शुमार हो चुका है। 

    गोसंवर्धन का केंद्र भी बना है यह मंदिर

    बाबा जहरगिरी मंदिर में गोसंवर्धन का काम भी हो रहा है। यहां पर गोशाला बनाई गई है जिसमें गिर, साहीवाल, हरियाणा आदि नस्ल की गाय हैं। यहां पर 32 गाय पाली गई हैं। इतना ही नहीं गाय पालन के लिए लोगों को प्रेरित भी किया जाता है। 

    10 हजार से ज्यादा आबादी के लिए जल संवाहक बना है बाबा जहरगिरी मंदिर

    बाबा जहरगिरी मंदिर जल स्रोत भी बना है। यहां पर बरसाती पानी का संग्रहण किया जाता है। यहां पर जमीन में बड़ा टैंक बनाया गया है। इसके अलावा बरसाती पानी और मंदिर में प्रयोग होने वाले पानी को जमीन में छोड़ा जाता है। टैंक मेें छोड़ा गया बरसाती पानी आस पास की 10 हजार से ज्यादा की आबादी के लिए पीने को प्रयोग होता है। टैंक मेें छोड़ा गया बरसाती पानी आस पास की 10 हजार से ज्यादा की आबादी के लिए पीने को प्रयोग होता है। मंदिर के आस पास हालुवास गेट, आजाद नगर, महताबदास ढाणी, श्यामपुरा, बाबा शंकरगिरी कालोनी, नेताजी कालोनी आदि के नागरिक यहां मंदिर से पीने का पानी ले जाते हैं। 

    धार्मिक, वैदिक और योग शिक्षा का केंद्र भी है बाबा जहरगिरी मंदिर

    श्रीमहंत जूना अखाड़ा एवं मंदिर संचालक डा. अशोक गिरी ने बताया कि छोटी काशी भिवानी का बाबा जहरगिरी मंदिर 315 वर्ष से ज्यादा पुराना है। इसे बाबा जहरगिरी ने बनाया था। वर्तमान में यह मंदिर देश के प्रमुख मंदिरों में शुमार है। यहां पर 121 किलो का पारद का शिवलिंग है। यह पारा धातु का बना होता है। इसे संस्कृत में पारद धातू भी कहते हैं। इसके अलावा भी मंदिर में अनेक विशेषताएं हैं। यहां पर नित्य प्रति पूजा आराधना, अखंड ज्योत के अलावा धार्मिक, योग, वैदिक शिक्षा के आयोजन होते रहते हैं। भिवानी के लोगों में धार्मिक आस्था देखते ही बनती है।