अब सांप डसने का सरल उपचार, पढ़ें विशेषज्ञ पद्मश्री डा ओमेश की रिसर्च
हिमाचल प्रदेश के इपिडिमियोलाजी विशेषज्ञ के रूप में शोध कर रहे डां ओमेश भारती सांप डसने के उपचार के ब्रिटेन की बैंगोर यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर काम कर र ...और पढ़ें

हिसार, वैभव शर्मा। वर्ल्ड जूनोसिस डे पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से संबंधित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीइ) में राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित हुई। जिसमें देश को रेबीज का सस्ता उपचार देने वाले महामारी विशेषज्ञ पदमश्री अवार्डी डा. ओमेश भारती ने भी अपने शोध को प्रस्तुत किया। उन्होंने दैनिक जागरण से बात करते हुए बताया कि रेबीज के बाद वह अब सांप डसना का प्रभावी उपचार खोजने में जुटे हैं। इस कार्य की शुरुआत उन्होंने हिमाचल प्रदेश से की है।
वीनम को प्रभावी बनाने का रास्ता खोजेंगे विशेषज्ञ
इस प्रोजेक्ट को वह ब्रिटेन की बैंगोर यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। जिसमें हिमाचल प्रदेश में कौन-कौन से सांप पाए जाते हैं, इसका सर्वे कर रहे हैं। इसके साथ ही किस सांप के अंदर कौन सा जहर और किस मात्रा में पाया जाता है, इसका भी पता लगाया जा रहा है। इस पूरे डाटा को एकत्रित करने के बाद वह सांप डसना के बाद उपचार के रूप में दिया जाने वाले एंटी वीनम को प्रभावी बनाने का रास्ता खोजेंगे। ताकि लोगाें की जान सांप डसना से न जाए। उनकी जान को बचाया जा सके। गौरतलब है कि मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश के इपिडिमियोलाजी विशेषज्ञ के रूप में डा ओमेश भारती शोध कर रहे हैं।
देश में कितने लोग सांप डसना से मरते हैं रिकार्ड कर रहे एकत्रित
अभी तक भारत में कितने लोगों की सांप के डसना से मौत होती है इसको लेकर अधिक रिकार्ड नहीं है। इसके साथ ही यह डाटा भी नहीं है कि कौन सा सांप है जो हर साल भारत में अधिकांश लोगों की माैत का कारण बन रहा है। डा. ओमेश बताते हैं कि यही कारण है कि वह एक नेशनल शोध कार्यक्रम में जुड़कर कार्य कर रहे हैं। जिसमें यह पता किया जा रहा है कि विभिन्न राज्यों में सांप के डसना से कितने लोगों की मृत्यु होती है। उनकी मौत में किस सांप का क्या योगदान रहा। इस प्रोजेक्ट में कुछ वरिष्ठ विज्ञानियों का एक नेटवर्क भी जुड़ा हुआ है।
सांप डसना के लिए उपचार क्यों जरूरी
सांप डसना के अधिकांश मामले ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं। मगर जानकारी के अभाव में स्नेक बाइट से ग्रसित अधिकांश लोग अस्पताल तक पहुंच ही नहीं पाते हैं। बल्कि स्थानीय स्तर पर झाड़फूंक या अन्य किसी तंत्र मंत्र से उपचार कराते हैं। इसके साथ ही देश में अभी भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां एंटी वीनम उपलब्ध ही नहीं है। एंटी वीनम से उपचार कराना भी काफी महंगा है। ऐसे में डा ओमेश चाहते हैं कि स्नेक बाइट का ऐसा उपचार खोजें कि लोगों को आसानी से उपलब्ध हो सकें। जिस प्रकार से उन्होंने रेबीज में उपलब्ध कराया था। मगर इसमें चुनौती यह है कि हर सांप का जगह अलग होता है और उस पर प्रभाव करने वाला एंटी वीनम भी अलग होता है। इसी कारण से वह ऐसे जटिल प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं।
रेबीज से बचाव का 350 रुपये में उपचार देने के लिए मिला था पद्मश्री
हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा स्थित ज्वालामुखी निवासी डा. ओमेश भारती के शोध से रेबीज से बचने का इलाज सस्ता हुआ। इसके लिए डा. भारती को काफी संघर्ष भी करना पड़ा। पहले रेबीज के इलाज के लिए लोगों को 35000/- तक रुपए खर्च करने पड़ते थे, वहीं अब डा. ओमेश के योगदान से यह खर्च 350 रुपए हो गया है। इसी को लेकर उन्हें करीब तीन वर्ष पहले पद्मश्री अवार्ड से भारत सरकार ने नवाज था।

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