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    जल्द ही मिल सकती है रेबीज की ओरल वैक्सीन, बेंगलुरु लैब में चल रहा ट्रायल

    जल्‍द ही देश में रेबीज की ओरल वैक्‍सीन मिल सकती है। इसके लिए बेंगलुरु के लैब में जानवरों पर ट्रायल चल रहा है। मूवमेंट के रूप में डायग्नोज करें तो एक साल में ही रेबीज मुक्त हो सकता है देश।

    By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Tue, 29 Sep 2020 09:14 PM (IST)
    लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय-नेशनल एकेडमी ऑफ वेटरनरी साइंस (एनएवीएस) की ओर से व‍ेबिनार हुआ।

    हिसार, जेएनएन। जल्द ही देश को रेबीज के उपचार के लिए ओरल वैक्सीन मिल सकती है। इसके लिए बेंगलुरु स्थित वर्ल्‍ड आर्गेनाइजेशन ऑफ एनिमल हेल्थ की रिफरेंस लैब में विज्ञानी लगातार जुटे हुए हैं। लैब के डायरेक्टर श्रीकृष्णा इसलूर बताते हैं कि लैब में विज्ञानी ओरल वैक्सीन का ट्रायल पशुओं पर कर रहे हैं।

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    खास बात है कि इस वैक्सीन में किसी प्रकार से पशु को टीका नहीं लगाया जाएगा बल्कि इस वैक्सीन के आने के बाद पशुओं के खाने में इसे दिया जा सकेगा। पशुओं में अभी तक रेबीज को खत्म करने की ऐसी कोई वैक्सीन नहीं बनी है।

    दरअसल विश्व रेबीज दिवस पर सोमवार को लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय और नेशनल एकेडमी ऑफ वेटरनरी साइंस (एनएवीएस) ने मिलकर वेबिनार आयोजित कराया था। जिसमें विज्ञानियों ने रेबीज की देश में स्थिति जाहिर की। इसमें मुख्य रूप से लुवास के कुलपति डा. गुरदियाल सिंह, एनएवीएस के प्रेसीडेंट मेजर जनरल डा. श्रीकांत जुड़े।

    कुत्तों में वैक्सीनेशन बहुत जरूरी

    सिडनी विश्वविद्यालय से वेटरनरी इपिडिमियोलॉजिस्ट ले. कर्नल हरीश तिवारी बताते हैं कि कुत्तों में वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है तभी हम इस रोग पर पूरी तरह से रोकथाम लगा सकते हैं। वैक्सीनेशन करने के बाद यह आगे नहीं बढ़ेगा। लुधियाना की गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस विश्वविद्याल से वेटनरी पैथलॉजी विभाग के हैथ डा. सीके सिंह ने बताया कि रेबीज पहले डाइग्नोज नहीं होता अगर यह पशुओं में पहले ही डाइग्नोज हो जाए तो इसको रोका जा सकता है। उन्होंने बताया कि पीसीआर व एलाइजा टेस्ट के माध्यम से इसे डायग्नोज किया जा सकता है। इसके लिए वेटेनेरियन पशु के मुंह या मूत्र से सैंपल ले सकता है। उन्होंने कहा कि अगर वेटेनेरियन यह ठान लें तो वह भारत को एक साल में रेबीज मुक्त कर सकते हैं। क्योंकि यहां आ पर्यावरण लीजा वायरस के लिए उपयुक्त नहीं है जिससे कि रेबीज फैलता है। कार्यक्रम में आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डा. एसके गुप्ता, सह समन्वयक एसोसिएट प्रोफेसर डा. विजय जयंत जाधव व संचालन डा. नीलेश सिंधु भी उपस्थित रहे।

    रेबीज डायग्नोज के लिए 7 सेंटर

    रेबीज डायग्नोज के लिए देश में सात स्थानों पर सेंटर बनाए गए हैं। जिसमें हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मनीपुर, असम, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश व लक्ष्यदीप शामिल हैं। नवंबर माह में वल्र्ड आर्गेनाइजेशन ऑफ एनिमल हेल्थ वर्चुअल रूप से विभिन्न क्षेत्रों में डायग्नोज की ट्रेनिंग भी देने की तैयारी कर रहा है।

    रेबीज से जुड़े कुछ खास आंकड़े

    - भारत में हर साल 20 हजार से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु रेबीज से होती है।

    - बिल्ली, बंदर, नेवला, गीदड़, गाय, भेड़, बकरी, ऊंट, गाय, भैंस में भी रेबीज के वायरस का प्रसार हो सकता है।

    - 99 फीसद इंसानों के मामलों मे रेबीज कुत्तों के काटने से मिलती है

    - विश्वभर में हर 9 मिनट में एक व्यक्ति की रेबीज से मौत होती है

    - प्रत्येक 10 मौतों में चार बच्चे होते हैं