कभी गूंजता था गीत माहू की ढाणी - पिवे नलकां का पाणी.....,आज गांव वासी बूंद-बूंद को तरसे
गांव ढाणी माहू में पिछले चार महीने से पीने का पानी नहीं आया है। गांव के जलघर के टैंक सूखे पड़े हैं। लोग टैंकरों के ज़रिए खारा पानी ख़रीदकर पीने को मजबूर हैं। वो खारा पानी जो चर्मरोग और अन्य बीमारियों की वजह बनता जा रहा है।

भिवानी,तोशाम, जेएनएन। माहू की ढाणी पीवै नलकां का पाणी.....। जी हां एक जमाना था जब गांव और आसपास के ग्रामीणों में यह गीत गूंजा करता था। इस गांव में 24 घंटे पीने का पानी उपलब्ध रहता था। आज वही गांव पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस गया है। पिछले चार महीने से गांव के वाटर टैंक सूखे है। गांव वासी खारा पानी पीने को मजबूर है। हद तो तब है जब छोटे से लेकर बड़े अधिकारी और नेताओं से लेकर मुख्यमंत्री तक गांव वासी फरियाद कर चुके हैं। हालात अभी भी जस के तस बने हैं। भगवान जाने इस गांव की कब सुध जाएगी। अस्सी के दशक में गांव ढाणी माहू में पानी भरपूर मात्रा में हुआ करता था आज हालात बदल गए हैं। अब इस गांव की पहचान प्यासे से गांव के रूप में होने लगी है।
लगभग सात हज़ार की आबादी वाले गांव ढाणी माहू में पिछले चार महीने से पीने का पानी नहीं आया है। गांव के जलघर के टैंक सूखे पड़े हैं। लोग टैंकरों के ज़रिए खारा पानी ख़रीदकर पीने को मजबूर हैं। वो खारा पानी जो चर्मरोग और अन्य बीमारियों की वजह बनता जा रहा है। दुर्भाग्य की बात ये है कि इस पानी के लिए भी चार दिन की वेटिंग लिस्ट चल रही है। सोमवार को टैंकर बुक करवाओ तो वीरवार को नम्बर आता है।
ढाणी माहू के ग्रामीणों में पानी की कमी से बेहद रोष है। गांव के पूर्व सरपंच रणबीर सिंह और पूर्व पंच भान सिंह बड़सरा बताते हैं कि एक जमाना था जब गांव के नलकों में चौबीसों घंटे पानी चलता था। जोहड़ लबालब भरे रहते थे। आज हालात ये है कि ना खेत में पानी है, ना घरों में पानी है और ना ही जोहड़ों में पानी है। यही हालात रहे तो गांव के लोग पलायन को मजबूर हो जाएंगें।
किसान क्रांति कुनबा के संयोजक सुशील वर्मा बताते हैं कि पहले गांव में पीने का पानी बापोड़ा से आता था। फिर गांव का कनेक्शन सुंगरपुर से जोड़ा गया। वर्ष 2000 में गांव में अलग से वॉटर वर्क्स बन गया और इसका कनेक्शन माहू डिस्ट्रीब्यूटरी के साथ जोड़ दिया गया। निंगाना फ़ीडर में कम पानी पहुंचने के कारण गांव में पानी की समस्या बढ़ती चली गई। वर्ष 2015 में भाजपा के तत्कालीन जन स्वास्थ्य मंत्री व भिवानी के विधायक घनश्याम सर्राफ़ ने ग्रामीणों की मांग पर निंगाना फ़ीडर से जलघर तक दस किलोमीटर लम्बी पाइप लाइन को मंज़ूरी दी थी। इस पाइप लाइन से कुछ साल तो पानी आया लेकिन फ़ीडर पर बने चेम्बर में मोटर की क्षमता कम होने की वजह से पानी की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही।
एक साल से ग्रामीण नई मोटर की मांग कर रहे
फ़िलहाल एक साल से ग्रामीण नई मोटर लगवाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन उनके प्रयास सिरे नहीं चढ़े और गांव ढाणी माहू आज भी पानी के इंतज़ार में प्यासा है।
नहरी पानी के लिए हुआ आंदोलन
ग़ौरतलब है कि गांव ढाणी माहू में दो साल पहले किसान क्रांति कुनबा के बैनर तले नहरी पानी के लिए आंदोलन हुआ था। सामाजिक कार्यकर्ता सुशील वर्मा व कई किसानों ने पांच दिन तक अनशन किया था। तब भिवानी महेंद्रगढ़ के सांसद धरमबीर सिंह ने नहरी पानी दिलाने का आश्वासन दिया था। लेकिन वह आश्वासन भी सिरे नहीं चढ़ पाया। तोशाम की विधायक व पूर्व मंत्री किरण चौधरी भी पानी की कमी का मुद्द उठा चुकी हैं।
तोशाम से भेदभाव किया जा रहा है। कृषि मंत्री से भी मंग की जा चुकी है। समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है। निंगाना फीडर के हिस्से का पानी लोहारू की जुई नहर को दिया जाता है। ऐसे में इस गांव में पानी का संकट बना है।
मास्टर सुखदेव सिंह, संरक्षक, किसान क्रांति कुनबा
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