अमेरिकी कानून देख नौ साल किया संघर्ष, भारतीयों को दिलाया था तिरंगे का यह बड़ा हक
कानून के मुताबिक आम भारतीय कुछ खास अवसरों पर ही राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकते थे। मगर पूर्व सांसद नवीन जिंदल ने कोर्ट के माध्यम से देश में हर रोज तिरंगा फहराकर देशप्रेम जताने का हक दिलाया
हिसार [श्याम कुमार नंदन] तिरंगा देश की शान है, मगर फिर भी इसे देशवासी विशेष अवसरों पर ही फहरा पाते थे। मगर हिसार के उद्योगपति एवं पूर्व सांसद नवीन जिन्दल चाहते थे कि तिरंगे को जब मन करे तब फहरा लिया जाए। ऐसा ख्याल मन में आना स्वभाविक नहीं था बल्कि अमेरिका में पढ़ाई करते हुए जब नवीन जिन्दल ने अमेरिकियों के आत्मानुशासन, देश के प्रति उनके प्रेम और राष्ट्रध्वज के प्रति लगाव को देख वे लोकतंत्र के मंदिर भारत में भी इस परंपरा को शुरू करने का संकल्प कर बैठे। अमेरिकी अपने झंडे को हर दिन सम्मानपूर्वक घर, दफ्तर कहीं भी फहराते थे। इसके लिए उन्हें किसी खास दिवस का इंतजार नहीं करना होता था।
यूनिवर्सिटी ऑफ डलास एट टेक्सास में अध्ययन कर रहे जिंदल ने वहां रहकर अमेरिकियों के देशप्रेम पर अनवरत शोध भी किया। शोध के विभिन्न आयामों में एक एंगल यह भी था कि भौतिकवाद को बढ़ावा देने वाले अमेरिका के लोगों का अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम कहीं दिखावा तो नहीं है। वह अंत में इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अमेरिकियों की देशभक्ति में सच्चाई है और इसकी प्रेरणा उन्हें उनके लाल, सफेद और नीले रंग के राष्ट्रीय ध्वज से मिलती है। यही से शुरू हुई तिरंगा को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की जिद्द, जो संसद में प्रस्ताव पारित करने ही कानून बन गया। मगर ये सफर और डगर आसान न थी।
रायपुर के डीसी ने तिरंगा फहराने से रोका, तो बनाया संकल्प
नवीन जिन्दल ने अमेरिका में रहते हुए ही संकल्प ले लिया था कि वह भारत में हो रहे बदलाव के साथी बनेंगे और भारतीयों में देशप्रेम की लौ जलाएंगे। वहां से लौटने के बाद बिलासपुर के तत्कालीन संभागीय आयुक्त ने जिन्दल को उनकी रायगढ़ स्थित फैक्टरी में नियमित रूप से तिरंगा फहराने से साफ मना कर दिया। यही वह वक्त था जब जिन्दल ने तिरंगा को सरकारी तंत्र से आजाद कराने का संकल्प लिया।
कोर्ट का खटखटाया दरवाजा, नौ साल लड़ी लड़ाई
घर, कपड़ों या कहीं पर भी तिरंगा लगाने की स्वीकृति के लिए नवीन जिंदल 1995 में दिल्ली हाईकोर्ट गए मगर फैसले के इंतजार में नौ साल बीत गए। 23 जनवरी 2004 को सुप्रीम कोर्ट से विजय पताका लहराते हुए पूरे देश में छा गए। इसके बाद जन-जन तक देशभक्ति की भावना पहुंचाने के लिए शुरू हुई नवीन जिन्दल की तिरंगा यात्रा, जो अनवरत जारी है। बता दें कि पहले कोई भी व्यक्ति तिरंगा टोपी नहीं पहन सकता था, अपने कपड़ों पर लैपल पिन या किसी अन्य रूप में तिरंगे का उपयोग नहीं कर सकता था। जिंदल के प्रयास से इसकी छूट मिल गई।
आसमान का रंग तिरंगा और हर हाथ में झंडा
एक आम आदमी के रूप में तिरंगा को जन-जन तक पहुंचाने की जंग जीतने वाले नवीन जिन्दल द्वारा जगाई गई चेतना का ही असर है कि आज हर हाथ में तिरंगा है। जब भी देश को कोई सम्मान मिल रहा हो, तो वहां तिरंगा सबसे पहले नजर आता है। खेल के मैदान से लेकर राजनीति के मैदान तक तिरंगा ही तिरंगा नजर आ रहा है तो इसका श्रेय बेहिचक उन्हें जाता है। आसमान का रंग तिरंगा और हर हाथ में झंडा की जो यात्रा उन्होंने शुरू की थी, वह अब तिरंगा आंदोलन का रूप ले चुका है।
यहां इतना ऊंचा ध्वज
207 फीट की ऊंचाई पर
- हनुमान वाटिका, कैथल
- ब्रह्म सरोवर, कुरुक्षेत्र
- लाडवा
- हिसार
- सोनीपत
100 फीट की ऊंचाई पर
- जेएसपीएल, गुरुग्राम
- लेजर वैली, गुरुग्राम
- मिलिट्री स्टेशन, हिसार
- ओपी जिंदल पार्क, कुरुक्षेत्र
- शाहाबाद, कुरुक्षेत्र
- भिवानी
- पलवल
- सिरसा
- पेहवा, हरियाणा
- कलायत, हरियाणा
- पुंडरी, हरियाणा
- लघु सचिवालय, पानीपत
- लघु सचिवालय, महेंद्रगढ़
- नूंह, हरियाणा
- गन्नौर, हरियाणा
- रोहतक
- मिलिट्री स्टेशन, पंचकूला
- सर छोटू राम मेमोरियल गृह, सांपला
- स्टॉक यार्ड, फरीदाबाद
प्रकाश का हो समुचित प्रबंध तो रात में फहरा सकते हैं तिरंगा
पहले रात में तिरंगा फहराना तो पूरी तरह वर्जित था लेकिन नवीन जिन्दल के अथक प्रयासों के कारण ये बाधाएं समाप्त हो गईं। दिसंबर 2009 में गृह मंत्रालय ने रात में तिरंगा फहराने के उनके प्रस्ताव पर सशर्त सहमति दे दी। मंत्रालय ने कहा कि जहां समुचित रोशनी की व्यवस्था हो, वहां इमारत या विशाल खंभे पर तिरंगा रात में भी फहराया जा सकता है। इसके लिए जिन्दल ने 100 फुट और 207 फुट के 72 कीर्ति ध्वज स्तंभ पूरे देश में लगवाए हैं । इसके बाद 2010 में जिन्दल ने लोकसभा अध्यक्ष को सहमत कर लिया कि कोई भी सांसद संसद भवन में लैपल पिन के माध्यम से तिरंगा लगाकर अपनी देशभक्ति का प्रदर्शन कर सकता है।
हिसार के जिंदल पार्क में नवीन जिंदल द्वारा लगवाया गया झंडा, इसी तरह वो 400 जगहों पर वो भारतीय ध्वज लगवा चुकें हैं।
देश में लहरा रहे 400 से अधिक विशालकाय तिरंगा
देश में 400 से अधिक विशालकाय तिरंगा लहर-फहर कर देशभक्ति की गंगा बहा रहे हैं, जो अपने-आप में अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड है। किसी भी देश में इतने विशालकाय ध्वजदंड नहीं लगाए गए हैं जितने कि भारत में । इनमें से 72 अकेले फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने लगाए हैं। इस कार्य में उपाध्यक्ष के शालू जिन्दल हाथ बंटा रही हैं।
तिरंगा हमारे स्वाभिमान का प्रतीक है
पूर्व सांसद नवीन जिंदल ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा हमारे गणतंत्रीय स्वाभिमान की पताका है जिसमें हमें अपने संविधान के आदर्शों के दर्शन होते हैं। राष्ट्रीय ध्वज न सिर्फ जीवन में आवश्यक मूल्यों का प्रतीक है बल्कि यह उन लाखों लोगों के अथक संघर्ष का उद्बोधक भी है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। आज दुनिया में सबसे अधिक युवा आबादी के साथ भारत विकास की ओर अग्रसर है। इसलिए युवा पीढ़ी पर तिरंगे की आन-बान-शान को आगे ले जाने की अहम जिम्मेदारी है। मैं देश के युवाओं से आग्रह करता हूं कि वे गर्व के साथ तिरंगा फहराएं और अपने देशप्रेम का इजहार करें।
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