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    विदेशों में 8000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा हिसार के किसान का गेहूं, YouTube देख शुरू की थी प्राकृतिक खेती

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 02:00 AM (IST)

    हिसार के किसान राजपाल सिंह ने प्राकृतिक खेती से अपनी किस्मत बदल दी। वे यू-ट्यूब से प्रेरित होकर 14 साल पहले यह तरीका अपनाया। आज उनकी गेहूं विदेश में भी ऊंचे दामों पर बिकती है। इसके साथ ही वे दूध घी तेल और शहद जैसे उत्पाद भी बेचते हैं जिससे उनकी सालाना आय 10 लाख रुपये तक पहुंच गई है।

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    हिसार के किसान राजपाल सिंह ने बदली किस्मत। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, हिसार। हिसार के नारनौंद के गांव कौथकलां के रहने वाले 65 वर्षीय राजपाल सिंह ने 14 वर्ष पहले चार एकड़ में प्राकृतिक खेती शुरू की थी। उन्होंने सिर्फ यू-ट्यूब पर राजीव दीक्षित के वीडियो देखकर ही प्राकृतिक खेती शुरू की।

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    अब उनकी उगाई गेहूं अमेरिका, इंग्लैंड, मोरक्को, भूटान, श्री लंका सहित भारत में आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। यहीं नहीं उनकी गेहूं को लेने के लिए बुकिंग भी दो माह पहले फरवरी में ही हो जाती है।

    उनकी फसल सीधे खेत से ग्राहकों के पास पहुंच रही है। साथ ही वे गाय व भैंस के दूध से बना घी, सरसों का तेल, तिल का तेल, बाजरे के बिस्किट और शहद तैयार कर बेचते हैं। खेती के साथ उनकी अतिरिक्त आमदनी होती है।

    कुल मिलाकर 10 लाख रुपये वार्षिक की आमदनी खेती व अन्य प्रोडक्ट से हो जाती है। राजपाल सिंह ने हिसार के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित किए गए कृषि मेले में बिस्किट, सरसों के तेल सहित अन्य प्रोडक्ट पेश किए।

    फसलों में नहीं डालते कोई केमिकल

    राजपाल सिंह श्योराण ने बताया कि पहले वह सामान्य तौर पर होने वाली पुश्तैनी खेती करते थे। राजीव दीक्षित के वीडियो देखकर गेहूं, बाजरा, मूंग, ग्वार, ज्वार, चना, मेथी की प्राकृतिक खेती शुरू की। इस खेती में फसलों में किसी प्रकार का कोई केमिकल नहीं मिलाते, न ही पैदावार बढ़ाने के लिए कोई अन्य प्रोडक्ट ही प्रयोग करते हैं।

    हालांकि, उनकी फसलों की पैदावार पहले से आधी होती है, लेकिन उनकी फसल की डिमांड बहुत अधिक है। साथ ही मधुमक्खी पालन भी करते हैं। उनकी गाय व भैंस के दूध से बनाए घी और शहद की डिमांड बहुत अधिक है। कैथल के वजीर नगर के रहने वाले कश्मीरी सिंह ने बताया कि उसके पिता आर्मी में थे।

    वह भी पिता की तरह देश सेवा करना चाहता था, सेना में नहीं जा सके तो खेती में केमिकल से होने वाले नुकसान से लोगों को बचाने की सोची।। इसके बाद जमीन से केमिकल का जहर निकालने के लिए कुछ प्रोडक्ट का निर्माण शुरू किया।

    हर्बल प्रोडक्ट बनाना किया शुरू

    कुछ रिसर्च के बाद देशी-जड़ी-बूटियों से हर्बल प्रोडक्ट बनाने शुरू किए। पहला प्रोडक्ट ऋषि सेतु नाम से बनाया जो जमीन से केमिकल के प्रभाव को खत्म करने के लिए प्रयोग होता है। इसके बाद इसी तरह के पांच प्रोडक्ट और बनाए है।

    खास बात यह है कि इन प्रोडक्ट में किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, क्योंकि ये देशी-जड़ी बूटियों से बनाए गए हैं। कश्मीरी सिंह ने बताया कि उन्होंने कृषि सेतु, नीमेरियन, हरिरतन, फुगोन व अंकूरन नाम से प्रोडक्ट तैयार किए है।

    ये प्रोडक्ट भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ाते है। भूमि में पानी सोखने व जल धारण की क्षमता बढ़ती है। पौधे की जड़ों को लंबा व मजबूत बनाते हैं। फसल की जड़ों का दीमक, फफूंदी, जड़ के कीड़े खत्म करते हैं। फल-सब्जियों के फूल झड़ने से रोकते हैं। फसल के दानों को चमकदार व वजनदार बनाते हैं।