ऊन से आय में कमी की भरपाई करेगी मुज्जफरनगरी भेड़, ब्रीड तैयार करेगा हिसार का केंद्रीय भेड़ प्रजनन फार्म
हिसार स्थित केंद्रीय भेड़ प्रजनन फार्म अब मुज्जफरनगरी भेड़ के प्रजनन पर कार्य करेगा। भेड़ की इस नस्ल को इसलिए तैयार किया जा रहा है ताकि इससे मांस बहुत ...और पढ़ें

वैभव शर्मा, हिसार। ऊन की मांग में आई कमी के बीच भेड़ों की उपयोगिता को बनाए रखने के लिए भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग की देखरेख में हिसार स्थित केंद्रीय भेड़ प्रजनन फार्म अब मुज्जफरनगरी भेड़ के प्रजनन पर कार्य करेगा। भेड़ की इस नस्ल को इसलिए तैयार किया जा रहा है ताकि इससे मांस बहुतायत में मिल सके। भारतीय वातावरण में आसानी से ढल जाने वाली यह देसी नस्ल है इसलिए इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। विदेशी नस्ल की भेड़ों का भारतीय वातावरण में ढलना मुश्किल हो जाता है।
केंद्रीय भेड़ प्रजनन फार्म पहले इस नस्ल को सुधारेगा। फिर पशुपालकों को भेड़ दी जाएगी ताकि पशुपालक अपनी आय बढ़ाने के लिए इसका उत्पादन कर सकें। बता दें कि भेड़ पालन चीन, आस्ट्रेलिया, भारत, पूर्वी सूडान व ईरान में किया जाता है और भेड़ों की संख्या की दृष्टि से भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है।
उत्तर भारत के लिए की जा रही है कोशिश
मुज्जफरनगरी भेड़ की ब्रीड खासकर उत्तर भारत के पशुपालकों के लिए तैयार की जा रही है। मुज्जफरनगरी ब्रीड को मुख्यत: मांस और ऊन दोनों के लिए उत्पादित किया जाता है। अच्छी डाइट हो तो इस नस्ल के नर भेड़ का वजन 55 किलोग्राम और मादा भेड़ का वजन 50 किलोग्राम तक का होता है। किसान अपनी खेती के साथ इस भेड़ का उत्पादन कर सकते हैं ताकि उनके आय में इजाफा हो। इसके साथ ही अच्छी डाइट मिलने पर यह जल्दी बढ़वार पाती है। इस ब्रीड को और अच्छा करने का काम भी केंद्रीय भेड़ प्रजनन फार्म करेगा।
देसी नस्लों को दिया जा रहा बढ़ावा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले ही देश में देसी नस्लों को बढ़ावा देने की बात कह चुके हैं। इसी के तहत पूर्व में देसी कुत्तों की नस्लों को पंजीकृत किया गया। वहीं पशुपालन एवं डेयरी विभाग दूसरी देसी नस्लों को भी बढ़ावा दे रहा है। तभी मुज्जफरनगरी भेड़ को चयनित किया गया है।
मुज्जफरनगरी भेड़ की यह है खासियतें
मुज्जफरनगरी भेड़ की नस्ल मुख्यत: उत्तरप्रदेश के मुज्जफरनगर की है। मगर अब यह बुलंदशहर, सहारनपुर, मेरठ, बिजनौर, दिल्ली, उत्तराखंड व हरियाणा के उत्तर प्रदेश से सटे क्षेत्रों में भी पाई जाती है। इनका चेहरा और शरीर सफेद रंग का होता है। शरीर पर भूरे व काले रंग के चकत्ते भी पाए जाते हैं। इनके कान लंबे होते हैं। इनसे मिलने वाली ऊन सफेद, मोटी और खुली हुई होती है। हर छह महीने में यह नस्ल 600 ग्राम तक ऊन देती हैं।
----उत्तर भारत के राज्यों के लिए हम मुज्जफरनगरी ब्रीड को बढ़ावा देने की तैयारी कर रहे हैं। अब ऊन की मांग कम होती जा रही है। इसलिए, मांस उत्पादन के लिए यह ब्रीड काफी उपयुक्त है। खास बात यह कि देसी वातावरण में भी रह लेती है।
डा. रुन्तु गोगोई, सहायक आयुक्त, केंद्रीय भेड़ प्रजनन फार्म हिसार

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