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बहादुरगढ़ में कल दलाल खाप की महापंचायत, राकेश टिकैत भी हो सकते हैं शामिल

आंदोलन में शुरुआत से ही दलाल खाप सक्रिय है। टीकरी बॉर्डर पर भी खाप ने डेरा डाला हुआ है और बाईपास पर लगातार भंडारा चल रहा है। दलाल खाप का यह प्रयास रहेगा कि महापंचायत के मंच से कोई विवादित टिप्पणी न हो।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2021 10:38 AM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2021 10:38 AM (IST)
बहादुरगढ़ में कल दलाल खाप की महापंचायत,  राकेश टिकैत भी हो सकते हैं शामिल
संयुक्त किसान मोर्चे के कई बड़े नेताओं को निमंत्रण भेजा गया है। कई दिनों से निमंत्रण का सिलसिला जारी है।

हिसार/बहादुरगढ़, जेएनएन। कृषि कानूनों के विरोध में बहादुरगढ़ के टीकरी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन के बीच शुक्रवार 12 फरवरी को झज्जर की बड़ी खाप दलाल 84 की महापंचायत पर सभी की नजर टिकी हुई है। वैसे तो कई दिनों से अलग-अलग हिस्सों में महापंचायतों का दौर चल रहा है। लेकिन बहादुरगढ़ इस आंदोलन का एक अहम केंद्र है। ऐसे में यहां पर इस तरह की महापंचायत पहली बार हो रही है। इसमें राकेश टिकैत समेत तमाम संयुक्त मोर्चे के नेताओं को बुलाया गया है। कई दिनों से उन्हें निमंत्रण देने का सिलसिला चल रहा है। इस महापंचायत को ऐतिहासिक बनाने के लिए जोर लगाया जा रहा है।

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आंदोलन में शुरुआत से सक्रिय है दलाल खाप

आंदोलन में शुरुआत से ही दलाल खाप सक्रिय है। टीकरी बॉर्डर पर भी खाप ने डेरा डाला हुआ है और बाईपास पर लगातार भंडारा चल रहा है। बता दें कि पिछले कई दिनों से खापों में शक्ति प्रदर्शन की होड़ चल रही है, ऐसे में अब दूसरी महापंचायतों के मुकाबले दलाल खाप का प्रदर्शन कैसा होगा इसको लेकर भी चुनौती है। अब तक हुई महापंचायतों में किसानों से जुड़ी मांग तो उठी है साथ ही कई जगह टिप्पणियों को लेकर भी सवाल उठे हैं। ऐसे में दलाल खाप का यह भी प्रयास रहेगा कि महापंचायत के मंच से कोई विवादित टिप्पणी न हो । जिस मसले को लेकर यह महापंचायत हो रही है केवल उसी की बात की जाए। कोई राजनीतिक बात न हो।

12 फरवरी से आंदोलन तेज करेंगे किसान

12 फरवरी से ही किसानों ने इस आंदोलन को और तेज करने का भी ऐलान कर रखा है। इस दिन तो राजस्थान के टोल को फ्री किया जाएगा। उसके बाद 14 को पुलवामा में शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। 16 को किसान एकजुटता दिखाएंगे। जबकि 18 को 4 घंटे तक रेल रोकने का ऐलान कर रखा है। किसान रणनीति भी बना रहे हैं । इधर किसानों की ओर से बातचीत का प्रस्ताव दिए जाने की बजाय आंदोलन को तेज करने की रणनीति बनाने से प्रभावित लोगों की चिंता बढ़ गई है।


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