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हरियाणा का राखीगढ़ी: हड़प्पा और हरियाणवी संस्कृति की जुड़ी कड़ी, उठेगा कई रहस्यों से पर्दा

हरियाणा के हिसार जिले के राखीगढ़ी में हड़प्‍पाकालीन सभ्‍यता को लेकर बड़े और चौंकाने वाले तथ्‍य उजागर हुए हैं। हड़प्‍पाकालीन सभ्‍यता व संस्‍कृति की कड़ी हरियाणवीं संस्‍कृति से जुड़ी मिली है। हडप्‍पा काल में भी महिलाओं को सजने-संवरने का शौक होता था व उनके आभूषण मिट्टी के होते थे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 10:40 AM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 10:40 AM (IST)
हरियाणा का राखीगढ़ी: हड़प्पा और हरियाणवी संस्कृति की जुड़ी कड़ी, उठेगा कई रहस्यों से पर्दा
हरियाणा के राखीगढ़ी में हड़प्‍पाकालीन सभ्‍यता की खोदाई का नजारा। (फाइल फोटो)

सुनील मान, नारनौंद (हिसार)। पांच हजार साल पुरानी हड़प्पा सभ्यता और हरियाणवी संस्कृति आपस में कितना मेल खाती है, इसके काफी प्रमाण सामने आ चुके हैं। अब हरियाणा दिवस पर राखीगढ़ी में कुछ और रहस्यों से पर्दा उठेगा। अभी तक जो प्रमाण मिले हैं, उनके अनुसार उस समय के लोग जो वस्तुएं प्रयोग करते थे, आज भी वही प्रयोग में लाई जा रही हैं। हड़प्पा सभ्यता में महिलाएं चूल्हा चौका से लेकर सजने-संवरने तक में मिट्टी का प्रयोग करती थीं। वहीं हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्र में तो आज भी मिट्टी के बर्तनों का उपयोग हो रहा है।

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हड़प्पा सभ्यता में महिलाओं को सजने संवरने का था शौक, मिट्टी से बने थे श्रृंगार

राखीगढ़ी पांच हजार वर्ष पुरानी सभ्यता समेटे हुए है। हरियाणा दिवस पर डेक्कन यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर वसंत ¨शदे खुद राखीगढ़ी में आकर सभी साइटों का अवलोकन करवाएंगे। साथ ही वह लोगों को जानकारी देंगे कि पांच हजार वर्ष पहले और आज की सभ्यता में कितना अंतर है।

मिट्टी की चूडि़यां, मनके की माला, सुरमेदानी और माथे पर मिट्टी का टीका लगाती थीं

हड़प्पा सभ्यता में महिलाएं श्रृंगार में मिट्टी की चूडि़यां, मनके की माला, सूरमेदानी, माथे पर मिट्टी का टीका, सिंगारदानी का इस्तेमाल करती थीं। हरियाणा सहित अन्य प्रदेशों की महिलाएं आज भी श्रृंगार में उन्हीं वस्तुओं को इस्तेमाल करती हैं। उस समय की महिलाओं का पहनावा भी ऐसा ही था, जैसा कि हरियाणवी महिलाएं नृत्य के समय पहनती हैं। जिनमें लंबा कुर्ता और घाघरा शामिल हैं।

हैरिटेज मेले में मिट्टी के बर्तनों में परासेंगे खाना : श्योराण

राखीगढ़ी में हैरिटेज मेले का आयोजन करने वाले अस्तित्व संस्था के फाउंडर दिनेश श्योराण ने बताया कि हरियाणा दिवस पर भी हड़प्पा सभ्यता का खाना मिट्टी के बर्तनों में परोसा जाएगा। इसमें अलग-अलग प्रकार के व्यंजन शामिल होंगे। वही खाने को भी मिट्टी के बर्तनों में बनाने की योजना है।

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'' पांच हजार वर्ष पुरानी हड़प्पा सभ्यता के बारे में लोगों को पहली बार बताया जाएगा कि उस समय के लोग अपने जीवन में क्या-क्या चीजें प्रयोग करते थे। हड़प्पा और हरियाणवी संस्कृति आपस में कितनी मेल खाती है। इन सबकी जानकारी दी जाएगी।

                                                         - प्रोफेसर वसंत शिंदे, पूर्व वाइस चांसलर, डेक्कन यूनिवर्सिटी, पुणे।

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