घरेलू बजट में सेंधमारी कर रही महंगाई, डेढ़ से दोगुना तक बढ़े साबुन और डिटर्जेंट के दाम
पिछले तीन माह में साबुन और डिटर्जेंट की कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी हो चुकी है। कंपनियों ने हर दस से 15 दिन के अंतराल में साबुन और सर्फ की कीमतों में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी करते हुए इसे डेढ़ से दो गुणा दाम तक पहुंचा दिया।

जागरण संवाददाता, झज्जर : महंगाई किस रास्ते घरेलू बजट में सेंधमारी कर रही है, यह सीधे तौर पर पता ही नहीं चल रहा है। आए दिन किसी न किसी वस्तु की कीमत दो से चार रुपये बढ़ रही हैं। जाहिर है आम लोगों की परेशानी लगातार बढ़ रही है। पिछले तीन माह की बात करें तो साबुन और डिटर्जेंट की कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी हो चुकी है। कंपनियों ने हर दस से 15 दिन के अंतराल में साबुन और सर्फ की कीमतों में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी करते हुए इसे डेढ़ से दो गुणा दाम तक पहुंचा दिया है।
जबकि, आने वाले दिनों में भी राहत मिलती नहीं हुई दिख रहीं। हिंदुस्तान यूनिलीवर , एफएमसीजी कंपनी , एचयूएल समेत तमाम कंपनियों में सर्फ और साबुनों की कीमतों में बढ़ोतरी की है। प्राय: हर घर में इस्तेमाल होने वाले उत्पाद डिटाल, व्हील, रिन, सर्फ एक्सेल और लाइफबाय रेंज समेत सर्फ और डिटर्जेंट की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो चुकी है।
लघु उद्योगों के लिए भारी पड़ रही महंगाई की मार
बॉक्स : बढ़ते हुए इन दामों का असर लघु उद्योगों पर इस तरह से पड़ा है कि उन्हें कारोबार में पूंजी का निवेश बढ़ाना पड़ रहा है। क्योंकि, कच्चे तेल के दाम में दोगुने से अधिक की बढ़ोत्तरी की वजह से निरोल साबुन दोगुने दाम तक पहुंच गया है। आने वाले दिनों में भी यह महंगाई इसी रफ्तार से चलने की उम्मीद है। ऐसे में अब उन्हें इस बोझ को ग्राहकों पर डालना जरूरी हो गया है।
दाम वही पर वजन हुआ कम
बाजार की बात करें तो कई कंपनियों ने दाम वही रखे हैं। लेकिन, वजन कम करते हुए महंगाई बढ़ा दी है। 50 ग्राम तक की कटौती डिटर्जेंट पाउडर पर की है तो वहीं साबुन का वजन भी कम हो गया है। 200 ग्राम का उत्पाद उसी दाम में 150 ग्राम का हो गया है। कीमत वही दस रुपये है। इसी तरह दूसरी कंपनियों के दाम वही हैं और वजन कम किया गया है। किराना दुकानदार अजय गुप्ता ने बताया कि कंपनियों ने साबुन व डिटर्जेंट पावडर के दाम काफी बढ़ाए हैं। ग्राहक भी खरीदारी करने आते हैं तो चौंकते हैं। लेकिन, हमें महंगा मिलेगा तो उसी हिसाब से बेचा जाएगा। मनोज का कहना है कि ग्राहक पिछले दामों की दुहाई देते हैं, लेकिन, वे क्या करें।
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