जुगाड़ पर भारतीय रेल, ट्रेन में दरवाजे के टूटे हिस्से पर लगाया लकड़ी का फट्टा
रेलवे अब ट्रेनों को जुगाड़ सिस्टम से चलाने लगा है। इसका उदाहरण हिसार-लुधियाना ट्रेन में देखने को मिला। ट्रेन की अंतिम बोगी में खुले हिस्से को लकड़ी के फटृटे से बंद किया गया है।
हिसार, [अश्वनी कुमार]। आपने जुगाड़ से चलने वाले कई वाहन देखे होंगे। लेकिन, अब भारतीय रेलवे ने भी जुगाड़ का सिस्टम अपना लिया है। इस जुगाड़ के सिस्टम से आम यात्रियों के लिए खतरा पैदा हो रहा है। ऐसा ही कुछ हिसार-लुधियाना पैसेंजर ट्रेन में देखने को मिला। यहां ट्रेन के अंतिम डिब्बे पर क्रॉस के निशान वाले गेट की जगह लकड़ी का फट्टा लगा दिया है। रेलवे का यह जुगाड़ यात्रियों की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। लुधियाना से हिसार होकर भिवानी जाने वाली पैसेंजर ट्रेन के अंतिम डिब्बे में यह जुगाड़ देखकर हर कोई हैरान था।
यह घटना रेलवे के कायाकल्प के दावे को मुंह चिढ़ा रही है। नियमानुसार ट्रेन की अंतिम बोगी पूरी तरह बंद होती है। साथ ही हादसे रोकने के लिए संकेतक भी लगे होते हैं लेकिन लुधियाना से भिवानी वाया हिसार दौड़ने वाली इस पैसेंजर ट्रेन (नंबर 54634) के अंतिम डिब्बे को लकड़ी का फट्टे लगाकर बंद किया गया है। इससे कभी भी हादसा हो सकता है।
नियमों के मुताबिक, ट्रेन के अंतिम डिब्बे में पीछे की तरफ लाल रंग से क्रॉस का निशान लगाया जाता है। ऐसा यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रख किया जाता है। लेकिन, रेलवे अफसरों ने अलग ही बुद्धिमानी दिखाई और अंतिम डिब्बे के खुले हिस्से को लकड़ी के फट्टे से बंद कर दिया। दरअसल यह बोगी बीच में लगाने वाली होती है और जहां फट्टा लगाया गया है वह दो बोगियाें को जाेड़ वाला हिस्सा है। इस हिस्से पर लगा दरवाजा टूट गया तो इस पर लकड़ी का फट्टा लगा दिया गया।
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डिब्बे के अंत में बना होता है शौचालय
ट्रेन के डिब्बे के अंत में शौचालय बना होता है। इन शौचालयों का इस्तेमाल ट्रेन में सफर कर रहे यात्री ही करते हैं, लेकिन वहीं शौचालय के पास जुगाड़ कर लगाया लकड़ी का फट्टा लगाकर यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। इन शौचालयों को काफी यात्री प्रयोग करते हैं, ऐसे में शौचालय के पास किया गया जुगाड़ रेलवे प्रशासन की पोल खोल रहा है। यहां तक कि इस डिब्बे की ओर किसी भी रेलवे अधिकारी ने ध्यान तक नहीं दिया।
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अंतिम डिब्बे पर लगा क्रॉस का मतलब
ट्रेनों के अंतिम डिब्बे के बाहर क्रॉस का निशान लगा होता है। इस क्रॉस के निशान से पता चलता है कि यह ट्रेन का अंतिम डिब्बा है। रात के समय यह क्रॉस का निशान चमकता है। वहीं क्रॉस के नीचे लाल रंग की लाइट लगी होती है। ऐसे में दूसरी ट्रेनों के ड्राइवरों को रात के समय क्रॉस के निशान और लाल लाइट से ही अंतिम डिब्बे की पहचान का पता चलता है। लेकिन लुधियाना से हिसार होकर भिवानी जाने वाली ट्रेन के अंतिम डिब्बे में क्रॉस का निशान तो दूर, यहां लगाया गया दरवाजा भी पूरी तरह से असुरक्षित है।
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'' यदि ऐसा है तो वह पूरी तरह से असुरक्षित है। इस बारे में मैकेनिकल विभाग से बातचीत की जाएगी। जल्द से जल्द ट्रेन में लगे डिब्बे को ठीक कराया जाएगा।
- अभय कुमार, सीनियर डीसीएम, बीकानेर मंडल