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बार एसोसिएशन के 153 साल के इतिहास में केवल चार महिला आज तक पदाधिकारी बनीं, प्रधान एक भी नहीं

राजेश स्वामी, हिसार हिसार बार एसोसिएशन के 153 साल के इतिहास में अब तक चार महिला पदाधिकारी चुनी गई

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 02:49 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 02:49 AM (IST)
बार एसोसिएशन के 153 साल के इतिहास में केवल चार महिला आज तक पदाधिकारी बनीं,  प्रधान एक भी नहीं
बार एसोसिएशन के 153 साल के इतिहास में केवल चार महिला आज तक पदाधिकारी बनीं, प्रधान एक भी नहीं

राजेश स्वामी, हिसार

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हिसार बार एसोसिएशन के 153 साल के इतिहास में अब तक चार महिला पदाधिकारी चुनी गई हैं। वो भी प्रधान नहीं, उससे छोटे पदों पर। यह भी हकीकत है कि हिसार में वकालत के पेशे में पुरुषों की बजाय महिलाओं की संख्या काफी कम हैं।

हिसार बार एसोसिएशन का गठन साल 1865 के आस-पास किया गया था। बार एसोसिएशन चुनाव में अब तक केवल चार महिला पदाधिकारी चुनी गई हैं। साल 2002 में प्रधान सुभाष चंद्र मित्तल की कार्याकरिणी में शालिनी अत्री सचिव रही हैं। इसके अलावा साल 2009-10 में प्रधान सुभाष चंद्र गोदारा की कार्यकारिणी में सुनीला श्योकंद उप-प्रधान रही हैं। वहीं ललिता माटा कैशियर रही हैं। इसके साथ ही साल 2018 में रेखा मित्तल कथूरिया संयुक्त सचिव चुनी गईं थी। इससे जाहिर होता है कि बार एसोसिएशन के पदों पर पुरुषों का एकाधिकार रहा है। इससे वकालत के पेशे के प्रति महिलाओं का रुझान कम होने का पता भी चलता है।

1845 सदस्यों में केवल 212 महिला वकील

हिसार बार एसोसिएशन के सदस्यों की सूची में 1845 पुरुष और महिला सदस्यों का नाम है। इनमें से 212 महिला सदस्य हैं। पुरुष सदस्यों के मुकाबले महिला सदस्यों की संख्या काफी कम है। महिला सदस्यों की संख्या कम होना भी महिला पदाधिकारी नाममात्र होने का एक कारण है। अब के अंतिम सालों में महिला वकीलों की संख्या कुछ बढ़ी है।

किचन और बच्चों की परवरिश भी एक कारण

बार एसोसिएशन के पदों पर महिला पदाधिकारी नाममात्र होने का एक कारण यह भी है कि महिला वकीलों पर घर के कामकाज और बच्चों की परवरिश की जिम्मेवारी होती है। इन कामों में उनका खासा समय लग जाता है। इन कामों के साथ-साथ बार एसोसिएशन के कामों में हाथ बंटाना मुश्किल होता है। इसलिए महिला वकील चुनावी मैदान में कम उतरती हैं।

यह है ज्यूडिशियल इतिहास

ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल के दौरान हिसार में न्यायालय 1832 के आस-पास अस्तित्व में आया था। यह तब'इलाहाबाद उच्च न्यायालय'से संबद्ध था। उसके पास एक जिला न्यायालय था, जो सिविल, आपराधिक और राजस्व के मामले निपटाता था। सिविल और आपराधिक क्षेत्राधिकार के लिए, हिसार जिला अदालत शुरू मे ं'फिरोजपुर सत्र डिविजन' और मंडल और सत्र न्यायाधीश के रूप में थी। परीक्षण के लिए प्रतिबद्ध मामलों की सुनवाई और सिविल व आपराधिक अदालतों का निरीक्षण करने के लिए वर्ष में 3 या 4 बार जिले का दौरा किया जाता था। जिला यह केवल 1915 में था, जब हिसार कोर्ट को एक डिविजन के रूप में अपग्रेड किया गया था। जिला और सत्र न्यायाधीश की अदालत विधिवत हिसार में स्थित थी। पहले हिसार सेशन डिविजन का अधिकार क्षेत्र दूर-दूर तक फैला हुआ था, जिसमें फतेहाबाद, सिरसा, भिवानी जिले शामिल थे और गुरुग्राम 1950 के दशक तक हिसार सेशन डिविजन के अधीन था। जिला एवं सत्र न्यायाधीश, हिसार, गुरुग्राम का दौरा करते थे। अपीलीय अदालत के रूप में सिविल और आपराधिक कार्य के निपटान के लिए 1950 में गुरुग्राम जिले को हिसार से करनाल मंडल में स्थानांतरित किया गया था। समय बीतने के साथ भिवानी, सिरसा और फतेहाबाद में सत्र डिविजन की स्थापना की गई। जिला न्यायालय का भवन 1830 में क्रांतिमान पार्क के पास बनाया गया था। साल 1973 में जिला न्यायालय का भवन राजगढ़ रोड पर बनाया गया।

लाला लाजपत राय रहे चुके बार के सदस्य

हिसार बार का इतिहास गौरवपूर्ण है। स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय 1886 से 1892 तक इसके प्रमुख सदस्य रहे थे। इसके अलावा मदन मोहन मालवीय भी हिसार बार से जुड़े थे। बाबू महाबीर प्रसाद जैन का सर्वाधिक 78 साल तक प्रैक्टिस करने का रिकॉर्ड है। एडवोकेट गौरीशंकर अत्री 10 से ज्यादा बार बार एसोसिएशन के प्रधान रह चुके हैं। इसके अलावा हिसार बार एसोसिएशन की झोली में काफी और उपलब्धियां हैं।


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