हरियाणा के सैकड़ों स्कूलों में शिकायत पेटिका नहीं, ग्रामीण क्षेत्र के कई विद्यालयों की स्थिति खराब; छात्राओं को हो रही दिक्कत
हरियाणा के स्कूलों में शिकायत पेटियों की स्थिति पर एक रिपोर्ट सामने आई है। अधिकांश स्कूलों में शिकायत पेटियां लगी हुई हैं, लेकिन कुछ स्कूलों में ये उप ...और पढ़ें
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हरियाणा: कई स्कूलों में शिकायत पेटी गायब। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, करनाल। स्कूलों में बढ़ती छेड़छाड़ के मामलों को देखते हुए शिक्षा निदेशालय ने सभी सरकारी स्कूलों में शिकायत पेटिका लगाने के आदेश दे रखे हैं, लेकिन करनाल में इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है। जिले में कुल 778 सरकारी स्कूल हैं इनमें से 178 कक्षा नौ से 12 तक के स्कूल हैं जिनमें सभी में शिकायत पेटी लगी हुई है।
वहीं, 600 कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक के स्कूल हैं, जिनमें 300 प्राथमिक स्कूलों में शिकायत पेटी नहीं है व बाकी 300 मिडिल स्कूल जो शहरी क्षेत्र में हैं, उनमें स्थिति ठीक है जबकि ग्रामीण क्षेत्र के मिडल स्कूलों में स्थिति खराब है।
ऐसे हैं जहां पर भी अधिकतर में या तो पेटी टूट गई है या फिर उनकी हालत खराब है। सवाल ये है कि जिले के सरकारी स्कूलों में लगी शिकायत पेटियों की स्थिति ठीक नहीं होगी तो कैसे विद्यार्थी अपने विचारों को व्यक्त कर सकेंगे और अगर स्थिति में सुधार नहीं होगा तो कैसे सरकारी स्कूलों की शिक्षा में सुधार हो सकेगा।
इसके अलावा जिले में 450 के करीब प्राइवेट स्कूल हैं। इनमें अधिकतर में शिकायत पेटियां व सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं जबकि सरकारी स्कूलों में नहीं है। हालांकि शिकायत पेटी व समस्या को लेकर यौन उत्पीड़न कमेटी सप्ताह भर में स्कूलों का निरीक्षण करती है, जिनमें से इस बार 45 प्राइवेट व 18 सरकारी स्कूलों की शिकायत पेटी चैक की गई थी।
लेकिन सुविधा के लिए सरकारी स्कूलों में सहायता के लिए इन कमेटियों के लोगों के मोबाइल नंबर नहीं लिखे हुए है, तो कैसे स्कूलों में बच्चों में सुरक्षा की भावना आएगी।
इस कमेटी का स्कूल मुखिया के अलावा अन्य शिक्षक भी नोडल हो सकता है। लेकिन सबसे मुख्य बात शिकायत पेटी के लिए विद्यार्थी व अध्यापकों को जागरूक करने की आवश्यकता है। शिक्षक भी इसको लेकर कहीं न कहीं जागरूक नहीं है।
इसके अलावा स्कूलों के शिक्षक व शिक्षिकाओं का कहना भी है कि आज के समय में अभिभावक विद्यार्थियों को लेकर कई प्रकार की गंंभीर समस्या लेकर आते है। प्राथमिक स्कूलों में शिकायत पेटी जरूर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी अभिभावक कोशिश करें कि अपने बच्चों को स्कूल लेकर व छोड़कर जाएं।
शिकायत पेटी की चाबी डीईओ आफिस में हो
अभिभावक रामकुमार ने कहा कि जिले के जिन सरकारी स्कूलों में शिकायत पेटियां लगी हुई हैं, उनकी चाबी शिक्षकों की जगह पर डीईओ आफिस के पास होनी चाहिए। जोकि सप्ताह अनुसार अपने स्टाफ की डयूटी लगाए कि जितनी भी शिकायत पेटी में आई है, उनको सीधा विभाग में लाया जाए, ताकि उन पर अमल किया जा सके।
शिकायत पेटी का होना बहुत जरूरी
जिला अभिभावक संघ के महासचिव नवीन अग्रवाल ने बताया कि कक्षा एक से लेकर 12वीं तक के सभी सरकारी स्कूलों में शिकायत पेटियों का होना बहुत जरूरी है। इसके माध्यम से विद्यार्थी अपने मन की बात बिना नाम लिख व्यक्त कर सकते हैं।
वहीं, दूसरी सबसे बड़ी बात यह पेटी स्कूलों के साथ-साथ उपायुक्त कार्यालय, विधायक, सांसद व जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालयों में लगी होनी चाहिए। ताकि जो बच्चा स्कूलों में अपनी बात नहीं डाल सकता, वह यहां पर अपने अभिभावकों के साथ मिलकर बात रख सके।
सभी स्तर के स्कूलों में शिकायत पेटियां जरूरी
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रतिनिधि कृष्ण निर्माण ने बताया कि आज के समय में शिकायत पेटियां जिले के बालवाटिका से लेकर 12वीं तक के सभी स्तर के स्कूलों में होनी चाहिए। ताकि बच्चा इनके माध्यम से अपने विचार किसी के प्रति रख सके। विद्यार्थियों के विकास के लिए यह माध्यम जरूरी है।
लगभग सभी स्कूलों में लगी हुई हैं शिकायत पेटी
हसला प्रधान रमेश शर्मा ने बताया कि जिले के सभी स्कूलों में शिकायत पेटी लगी हुई है। किसी प्रकार की समस्या नहीं है। शिक्षक बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। पेटी में बच्चे शिकायत डालते हैं।
जल्द भेजी जाएगी मांग
अतिरिक्त कार्यभार जिला शिक्षा अधिकारी ज्योत्सना मिश्रा ने बताया कि शिकायत पेटी के माध्यम से विद्यार्थी अपने विचारों को गुप्त रूप से रख सकते हैं। वहीं, इस समय जिन स्कूलों में शिकायत पेटियों की स्थिति सही नहीं है, उनका डाटा तैयार कर मांग निदेशालय भेजी जाएगी।
हरासमेंट कमेटी तो बनी, सुझाव पेटियों में अनियमितता
पानीपत के 15 स्कूलों में हरासमेंट कमेटी की कार्यप्रणाली और बच्चों की शिकायत प्रणाली का निरीक्षण किया गया। इन स्कूलों में 7 सरकारी और 8 प्राइवेट स्कूल शामिल रहे। निरीक्षण में पाया गया कि अधिकांश स्कूलों में सुझाव पेटियां तो उपलब्ध हैं, लेकिन हरासमेंट कमेटी के सदस्यों के नंबर वाले डिस्पले बोर्ड किसी भी स्कूल में नहीं लगाए गए हैं।
जांच में सामने आया कि तीन स्कूल ऐसे भी हैं, जहां पर सुझाव पेटियां नहीं लगी हैं। इन स्कूलों में बच्चे सीधे प्रिंसिपल से शिकायत करने के लिए मजबूर हैं।
जब प्रिंसिपल से इस बारे में बात की गई, तो उन्होंने बताया कि अगर बच्चों को कोई समस्या होती है, तो वे सीधे प्रिंसिपल को शिकायत कर सकते हैं। जिन स्कूलों में सुझाव पेटियां लगी हैं, वहां इन पेटियों को हर 15 दिन में एक बार खोला जाता है।
इसके बाद जो भी शिकायतें आती हैं, उन्हें स्कूल स्तर पर ही निपटाने का प्रयास किया जाता है। सभी स्कूलों में हरासमेंट कमेटी में लगभग 5 से 6 सदस्य शामिल हैं, जिनमें प्रिंसिपल के अलावा पुरुष और महिला शिक्षक भी शामिल हैं। सुझाव पेटियां प्राइवेट स्कूलों में रिसेप्शन के पास और सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल के कमरे के बाहर लगाई गई हैं।

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