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    कभी कागज के लिफाफे बनाकर बेचे अब हरियाणा सरकार में मंत्री बने हिसार के विधायक डा. कमल गुप्‍ता

    By Manoj KumarEdited By:
    Updated: Tue, 28 Dec 2021 11:43 AM (IST)

    डा. कमल गुप्ता मूल रूप से फतेहाबाद के बिढाना गांव के निवासी हैं। शुरुआत में आर्थिक रूप से काफी कमजोर रहे। पिता मनफूल सिंह गुप्ता डाक विभाग में कार्य क ...और पढ़ें

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    हिसार के बीजेपी विधायक डा. कमल गुप्‍ता को मंत्री बनने के बधाई संदेश भेजे जा रहे हैं

    जागरण संवाददाता, हिसार। सरकार में हिसार का कद और भी बढ़ने की पूरी उम्मीद है। हिसार के विधायक डा. कमल गुप्ता मंगलवार को मंत्रीपद की शपथ लेंगे। स्वयं डा. गुप्ता तो इस बात को लेकर मना कर रहे थे, मगर सीएम मनोहर लाल ने इसकी घोषणा कर दी। वहीं शहर में भाजपा के पदाधिकारियों ने अपने इंटरनेट मीडिया अकाउंट पर इस बात की खुलेआम घोषणा कर दी है और बधाई संदेश देने भी शुरू कर दिए हैं। डा. कमल गुप्ता के मंत्री बनने से हिसार की राजनीति में बड़ा मोड़ आएगा।

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    क्योंकि हिसार में पहले से ही डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा, श्रम राज्य मंत्री अनूप धानक सरकार में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इसके साथ ही डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला हिसार से सांसद रहे हैं ऐसे में उनका रुझान हिसार में भी काफी है।अब अगर डा कमल गुप्ता मंत्री बनते हैं चार जनप्रतिनिधि हिसार की दावेदारी सरकार में पेश करेंगे। इसके साथ लोगों के कार्य आसानी से सिरे चढ़ सकेंगे।

    गरीबी के दिनों में लिफाफा तक बेच चुके हैं डा. गुप्ता

    डा. कमल गुप्ता मूल रूप से फतेहाबाद के बिढाना गांव के निवासी हैं। शुरुआत में आर्थिक रूप से काफी कमजोर रहे। पिता मनफूल सिंह गुप्ता डाक विभाग में कार्य करते थे और मां सुशीला देवी गृहणी थी। उनके चार भाई हैं जिसमें दो भाई बोलने में अक्षम हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए कागज के लिफाफे बनाकर भी बेचे हैं। इन परिस्थितियों के बावजूद वह युवावस्था में संर्घष करते रहे। 69 वर्षीय डा. कमल गुप्ता ने रोहतक मेडिकल से एमबीबीएस की पढ़ाई की। यहां भी वह छात्र राजनीति में सक्रिय रहे। इसके बाद एमएस भी उच्च अंकों के साथ उत्तीर्ण की। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा से प्रभावित होकर वह स्वयंसेवक बने और कभी नहीं रुके। वह 10 वर्षों तक सरकारी चिकित्सक के रूप में कार्य कर चुके हैं फिर प्राइवेट प्रैक्टिस की।

    यह है राजनीतिक करियर

    डा. कमल गुप्ता ने 1996 में हिसार से पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। जिसमें सावित्री जिंदल से वह हार गए। इसके बाद वर्ष 2000 में भी उन्हें विस चुनाव में शिकस्त मिली। इसके बाद उन्होंने 2014 में तीसरी बार चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत दर्ज कराई। इसके बाद 2019 में भी हिसार की जनता ने उन्हें सिरमौर बनाया। 2015 में दो वर्ष के लिए उन्हें सीपीएस बनाया गया मगर हाईकोर्ट से सीपीएस हटाने के आदेश के बाद वह पदमुक्त हो गए। तब से हिसार की राजनीति व सामाजिक कार्यों में वह काफी सक्रिय रहे हैं। उनका सरल स्वभाव लोगों को काफी भाता है।