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    हिसार के नंगथला में 11 और पशुओं की मौत, 40 पहुंची संख्‍या, डॉक्‍टरों में मची खलबली

    By Manoj KumarEdited By:
    Updated: Tue, 21 Jul 2020 02:51 PM (IST)

    नंगथला डेयरी में साेमवार तक 72 घंटे में 28 भैंस व एक गाय की मौत हुई थी। मंगलवार को यह संख्‍या 40 हो गई। अभी तक पशुओं के मरने का कारण समझ नहीं आया है।

    हिसार के नंगथला में 11 और पशुओं की मौत, 40 पहुंची संख्‍या, डॉक्‍टरों में मची खलबली

    अग्रोहा (हिसार) जेएनएन। गांव नंगथला से सिंदोल रोड पर पशु डेयरी में पशुओं के मरने का सिलसिला थमा नहीं है। 72 घंटे में 29 दूधारू भैंसों की मौत हुई थी तो अब मंगलवार को 11 और पशुओं ने दम तोड़ दिया। मृत भैंसों समेत और पशुओं की संख्‍या अब 40 हो गई है। क्योंकि डेयरी संचालक ने पशुओं का बीमा नहीं करवाया हुआ था इसलिए विभाग की तरफ से डेयरी संचालक को मृत पशुओं के लिए आर्थिक सहायता नहीं दी जाएगी। डेयरी संचालक रणवीर के अनुसार उसने बिना किसी  सरकार की सुविधा से डेरी खोली है वह पशुपालन का काम पिछले 30 सालों से कर रहा है। भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेंद्र पूनिया से हुई बातचीत के अनुसार सुरेंद्र पूनिया ने बताया कि मृत पशुओं की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद में मौत के कारणों का पता लगाकर सरकार के पास डेयरी संचालक को आर्थिक सहायता दिलवाने की कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए उन्होंने पशुपालन विभाग को उचित कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं।

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    डेयरी संचालक ने बताया कि 72 घंटे पहले उसकी चार भैंसें अचानक से खड़ी-खड़ी गिर गईं। मामला हैरान करने वाला था लिहाजा पशु पालक ने वेटरनरी चिकित्सक को फोन मिलाया। मगर कोई मदद नहीं मिली। इसके बाद भी पशुओं के मरने का सिलसिला नहीं रुका। जब पशु चिकित्सा विभाग से कोई मदद नहीं मिली तो पशु पालक ने रविवार सुबह लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में फोन किया और चार-पांच बार विश्वविद्यालय में भी पहुंचा, लेकिन आधिकारिक प्रक्रिया के चलते यह टीम भी नहीं पहुंच पाई।

    ऐसे में उपचार में लगातार देरी होती रही तो मृत भैंसों का आंकड़ा सोमवार तक 29 पहुंच गया, तब जाकर विभागीय अधिकारियों की नींद खुली। लिहाजा वेटरनरी चिकित्सक की सूचना पर लुवास के एक्सपर्ट की टीम मौके पर पहुंची। टीम ने मृत पशुओं का पोस्टमार्टम कर उनका विसरा लेकर जांच के लिए लैब में भेज दिया। दो से तीन दिनों के बाद सैंपल रिपोर्ट आने के बाद पशुओं की मौत की वजह का पता लग सकेगा। डेयरी संचालक ने जेसीबी मंगवाकर सभी मृत पशुओं को चिकित्सकों की देखरेख में करीब 30 फिट गहरे गड्ढे में दफना दिया और पूरी डेयरी को आसपास के क्षेत्र सहित सैनिटाइज किया गया। मगर अभी पशुओं के मरने का सिलसिला रुका नहीं है और मंगलवार को 11 और पशुओं की मौत हो गई।

    30 वर्षों से चला रहे डेयरी

    महालक्ष्मी डेयरी संचालक नंगथला निवासी संचालक रणवीर पिछले करीब 30 सालों से पशु डेयरी चला रहे हैं। डेयरी में करीब 110 पशु मौजूद थे, जिनके मरने का सिलसिला 5 दिन पहले शुरू हुआ था, जो अभी तक रुका नहीं। रणबीर ने बताया की 5 दिन पहले उनकी एक गाय की मौत हो गई थी, लेकिन इतने पशुओं में उसने गाय की मौत पर गंभीरता से ध्यान नहीं लिया। उसके बाद में उसकी 2 भैंस और मर गईं। रणबीर ने बताया की पिछले 3 दिनों में शनिवार से आज तक उसकी कुल 29 भैंसों की मौत हो चुकी है, जिनमें शनिवार को 3, रविवार को 9 और सोमवार सुबह से सायं तक 11 भैंसों की मौत हो चुकी थी। एक-एक भैंस की कीमत एक से दो लाख रुपये तक की थी, जिनके अज्ञात बीमारी से मर जाने से उन्हें 30 लाख रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। अब और मौत हुई है।

    लुवास के चिकित्सक बोले-स्थानीय चिकित्सक की कॉल पर पहुंचेगी टीम

    शनिवार को जब एक के बाद एक भैंस मरने लगी तो डेयरी संचालक ने इसकी सूचना स्थानीय सरकारी पशु चिकित्सक को दी। चिकित्सक ने बाहर होने का हवाला देकर आने से मना कर दिया। अगले दिन रविवार को डेयरी संचालक दिन भर लुवास चिकित्सकों से संपर्क का प्रयास करता रहा, लेकिन रविवार होने के कारण उनसे बातचीत नहीं हो पाई। उसने विश्वविद्यालय में भी चार-पांच बार पहुंचकर संपर्क किया। उसने आरोप लगाया कि उसे यह कहकर लौटा दिया गया कि स्थानीय चिकित्सक के फोन पर ही टीम पहुंचेगी। इसके बाद रविवार सायं जब स्थानीय चिकित्सक डेयरी पर पहुंचा तो उसने कुछ दवाएं देकर लुवास के चिकित्सकों को भी सूचित किया। सोमवार को पशु चिकित्सकों की टीम सूचना के 18 घंटे बाद दोपहर एक बजे पहुंची। जब तक डेयरी मालिक की 22 भैंसें दम तोड़ चुकी थी।

    जांच रिपोर्ट आने के बाद मौत का कारण चलेगा पता

    लुवास से पशु चिकित्सक डा. राजेश खुराना, डा. बाबूलाल, डा. रमेश सहित अन्य 7-8 कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर जांच की। मृत पशुओं का पोस्टमार्टम कर उनका विसरा जांच के लिए लैब में भिजवा दिया। चिकित्सकों के अनुसार जब तक विसरे की रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक पशुओं की मौत का कारण पता नहीं लग पाएगा।

    पशुओं को ये दिया खाने में

    डेयरी संचालक ने बताया कि वह अपने पशुओं को खाने में चना, चूरी, दलिया, खल-बिनौला आदि के साथ हरा चारा, तूड़ी देता है। इसके अतिरिक्त दुधारू पशुओं को मिनरल मिक्सर भी देता है। पिछले पांच दिनों से पशु चारा-पानी आदि सही रूप से खाते हैं। अचानक पशु खड़ा-खड़ा एकदम से जमीन पर गिर जाता है और दम तोड़ देता है।

    दवाइयों पर किए लाखों खर्च

    पशु चिकित्सकों की टीम बिना किसी उपकरण व दवाइयों के डेयरी में जांच के लिए पहुंचे। टीम ने डेयरी मालिक से आते ही थर्मामीटर, दस्ताने के साथ दवाइयां मंगवाईं। डेयरी संचालक के अनुसार सोमवार सायं तक लाखों रुपये की दवाइयां बाजार से आ चुकी थीं। वहीं इस मामले को लेकर लुवास के वेटरनरी पैथेलॉजी विभाग के अध्यक्ष डा. गुलशन नारंग ने बताया कि ऐसे मामलों के लिए उनके पास अलग से टीम और उपकरण से लैस एंबुलेंस है। हमारी टीम जब जाती है तो वैक्टीरिया, वायरस से लेकर सभी प्रकार के संक्रमण को देखती है। इसलिए हम सभी उपकरण साथ लेकर चलने होते हैं।

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    पशु पालक द्वारा पशु पालन विभाग पर लगाए गए आरोपों के सवालों के डिप्टी डायरेक्टर राजेंद्र वत्स ने ये दिए जवाब

    आरोप- डेयरी संचालक के भांजे दीप सिहाग ने बताया कि भैंस मरती रहीं, विभाग के चिकित्सकों ने फोन बंद कर लिया?

    जवाब- तीन दिन पहले ही हमारे चिकित्सक पहुंच गए थे।

    आरोप- आपके चकित्सकों ने फोन बंद क्यों कर लिए थे?

    जवाब- फोन बंद किए होते तो उपचार कौन दे रहा है

    आरोप- अचानक से भैंसों के मरने का अभी तक क्या कारण सामने आया है?

    जवाब- अभी तक भैसों के मरने की वजह जहरीला पदार्थ खाने से लग रही है। मगर आधिकारिक रूप से लुवास की रिपोर्ट आने के बाद ही बता सकेंगे।

    आरोप- लुवास की टीम क्या बिना उपकरणों के पहुंची थी और दवाओं पर साढ़े तीन लाख रुपये खर्च हो गए?

    जवाब- यह बात झूठी है, इतने रुपये में तो पूरे गांव की दवा आ जाती है।