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    Black Fungus: हरियाणा में ब्लैक फंगस का कहर, मई में अब तक मिले 30 मरीज, एक की मौत

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Fri, 14 May 2021 06:51 PM (IST)

    Black Fungus हरियाणा में ब्‍लैक फंगल कहर बरपाने लगा है। राज्‍य में मई में अब तक विभिन्‍न स्‍थानों से ब्‍लैक फंगस के करीब 30 मरीज मिल चुके हैं और इनमें से एक मरीज की मौत हो गई है।

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    हरियाणा में भी ब्‍लैक फंगस ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। (सांकेतिक फोटो)

    हिसार, जेएनएन। Black Fungus: कोरोना की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस (काली फफूंद) कहर बरपा रहा है। इस बीमारी का खतरा कोरोना संक्रमित उन मरीजों को ज्यादा है, जिनको शुगर है और स्टेरायड दिया गया है। ब्‍लैक फंगस (Black Fungus) का क्लीनिकल नाम म्यूकरमाइकोसिस है। राज्‍य में मई माह में अब तक इस बीमारी के 30 मरीज सामने आ चुके हैं। एक मरीज की मौत हो गई।

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    सितंबर 2020 से अप्रैल 2021 तक रोहतक पीजीआइ में आए थे 21 केस

    दरअसल, यह कोई नई बीमारी नहीं है। रोहतक के पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस में सितंबर 2020 से अप्रैल 2021 तक आठ महीने में जहां इस बीमारी के 21 केस आए थे, लेकिन वहीं पिछले 15 दिनों में ही छह नए मामले सामने आ चुके हैं। इन सभी मरीजों का आपरेशन होना है। एक गंभीर मरीज की मौत हो गई है।

    इस बार मई में ही पीजीआइ में आ चुके छह केस, गुरुग्राम में 14 और फरीदाबाद में छह केस मिले

    रोहतक पीजीआइ के अलावा गुरुग्राम में 14, फरीदाबाद में 6, करनाल में 2 और फतेहाबाद तथा झज्जर में एक-एक केस मिले हैं। रोहतक पीजीआइएमएस के ईएनटी विभाग के प्रोफेसर डा. रमन कुमार ने बताया कि कोरोना महामारी में ब्लैक फंगस के मामले काफी बढ़ गए हैं। ज्यादातर उन लोगों को यह शिकायत हो रही है, जिनको शुगर है और कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हो चुके हैं। स्टेरायड लेने वाले गंभीर कोरोना मरीज को इसका ज्यादा खतरा रहता है। ज्यादातर 45 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को ब्लैक फंगस हो रहा है।

    एंडोस्कोपिक सर्जरी से निकाले जाते हैं शरीर से डेड टिश्यु

    ब्लैक फंगस की शिकायत होने पर यदि समय से इलाज शुरू हो जाए तो मृत्यु दर काफी कम है। एंडोस्कोपिक सर्जरी के जरिए डेड टिश्यु को निकाला जाता है। एंटी फंगल इंजेक्शन से इलाज शुरू होता है।

    दिमाग में घुसा फंगस तो हो सकती है मौत

     समय पर इलाज से जल्द स्वस्थ हो जाते हैं। इलाज में देरी होने पर मरीज के बचने की संभावना कम रहती है। आंख में फंगस घुस जाने पर आंख को निकालना पड़ सकता है। दिमाग में प्रवेश करने पर मौत तक हो जाती है।

     ये हैं लक्षण

    नाक बंद रहने, नाक में पपड़ी बनने, गाल में दर्द होने या सुन्‍न्‍ होने, आंखें हल्की बाहर आने, अचानक कम दिखने लगना, तालू पर कालापन होने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाएं। यह ब्लैक फंगस के लक्षण हैं।

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    '' कोविड-19 की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस तेजी से फैल रहा है। कोरोना से स्वस्थ हो चुके उन लोगों को सचेत रहने की जरूरत हैं जिन्होंने इलाज के दौरान स्टेरॉयड लिया है। डाइबिटिक लोगों को भी खतरा रहता है।

                                                               - डा. रमन कुमाार, ईएनटी स्पेशलिस्ट, पीजीआइएमएस रोहतक।

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