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    Rohtak PGI ने पूर्व महिला उपराज्‍यपाल को जनरल वार्ड में रखा, निजी अस्‍पताल में मिला इलाज

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Sun, 14 Jun 2020 09:30 AM (IST)

    हरियाणा की पहली सांसद व पुंडुचेरी की पूर्व उपराज्‍यपाल चंद्रावती को रोहतक पीजीआइ में उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। उनको इसके बाद निजी अस्‍पताल में ले जाना पड़ा।

    Rohtak PGI ने पूर्व महिला उपराज्‍यपाल को जनरल वार्ड में रखा, निजी अस्‍पताल में मिला इलाज

    रोहतक, जेएनएन। रोहतक पीजाआइ में संवेदनशीलता खत्‍म होती जा रही है। हरियाणा की पहली महिला सांसद एवं पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल 92 वर्षीय चंद्रावती को पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (पीजीआइएमएस) को उपेक्षा का सामना करना पड़ा। इस कारण उनको रात में ही निजी अस्‍पताल में ले जाना पड़ा। उनको कूल्‍हे में फ्रेक्‍चर होने के कारण राेहतक पीजीआइ ले जाया गया था। वहां उनको बेहतर ढंग से इलाज नहीं हो पाया और उनको जनरल वार्ड में रख दिया गया।

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    उनको प्रोटोकॉल के हिसाब से वीआइपी वार्ड में कमरा तक नहीं दिया गया। पूर्व उपराज्यपाल को स्वजन आखिरकार निजी अस्पताल ले गए, जहां उनका इलाज हुआ। पीजीआइएमएस में जनप्रतिनिधि के इलाज में पहली बार लापरवाही नहीं हुई है, इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री मास्टर हुकम सिंह के इलाज में भी लापरवाही हुई थी। इसमें पीजीआइ के निदेशक सहित कई बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई थी।

    गिरने से कूल्‍हा टूटने पर परिजन पीजीआइ ले गए, डॉक्‍टरों ने रख दिया जनरल वार्ड में

    पूर्व उपराज्यपाल चंद्रावती शुक्रवार को अपने चरखी दादरी स्थित आवास पर चारपाई से नीचे गिर गई थी। इससे उसके बाद कूल्हे की हड्डी टूट गई। स्वजन उन्‍हें उपचार के लिए पीजीआइएमएस के इमरजेंसी वार्ड में लेकर पहुंचे। उपराज्यपाल के नाती जगजीत सिंह ने बताया कि पहले तो इमरजेंसी वार्ड में इलाज में औपचारिकता निभाई। उनको सामान्य वार्ड में ही रखा गया।

    पीजीआइ में चिकित्सक बोले- नहीं मिलेगा वीआइपी कमरा, रहना पड़ेगा जनरल वार्ड में ही

    चिकित्सकों को बताया कि हरियाणा की पहली महिला सांसद के अलावा उपराज्यपाल भी रही हैं। इसलिए प्रोटोकॉल के मुताबिक उनको वीआइपी वार्ड में कमरा दिया जाना चाहिए। चिकित्सकों ने वीआइपी कमरा देने में हाथ खड़े कर दिए।

    पूर्व मुख्यमंत्री हुकम सिंह के इलाज में भी की गई थी लापरवाही, मेदांता अस्पताल में तोड़ दिया था दम

    बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब पीजीआइ में जाने-माने व प्रमुख लोगों को इस तरह के व्‍यवहार का सामना करना पडा हो। इससे पहले पूर्व मुख्‍यमंत्री हुकुम सिंह को गंभीर हालत में रोहतक पीजीआइ ले जाया गया था तो उनके इलाज मे लापरवाही हुई थी। इसके बाद गुरुग्राम के मेदांता अस्‍पताल ले जाते समय उनका निधन हो गया था। इसके बाद पीजीआइ के निदेशक सहित कई बड़े अफसरों पर कार्रवाई हुई थी।

    जगजीत सिंह ने बताया कि उम्र ज्यादा होने के चलते कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए चंद्रावती जी को रात को निजी अस्पताले में ले जाना पड़ा। पीजीआइ चिकित्सकों ने कोई सहयोग नहीं किया। इमरजेंसी वार्ड में सीएमओ कार्यालय में किसी अधिकारी को मोबाइल नबंर दिया गया, उनसे बात की। उन्होंने भी वीआइपी कमरा देने से मना कर दिया। निजी अस्पताल में इलाज करने के बाद  चिकित्सकों ने उम्र ज्यादा होने की बात करते हुए ऑपरेशन नहीं करने की सलाह दी है। शनिवार दोपहर को निजी अस्पताल से उनको डिस्चार्ज कर दिया।

    चंद्रावती के बारे में जानिए

    मूल रूप से भिवानी निवासी चंद्रावती ने 1977 में लोकसभा का चुनाव लड़ा। वह हरियाणा की पहली महिला सांसद निर्वाचित हुईं। इसके बाद हरियाणा विधानसभा की पहली महिला विधायक का गौरव भी इनको प्राप्त है। 1964 से 1966 तथा 1972 से 74 तक दो बार मंत्री रहने के अलावा 1982 से 85 तक विपक्ष की नेता चुनी हुई। फरवरी 1990 से दिसंबर 1990 तक पुडुचेरी की उपराज्यपाल भी रहीं।

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    '' कोरोना संक्रमण को लेकर प्राइवेट वार्ड को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है। कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे पीजीआइ चिकित्सक और स्टाफ नर्स को क्वारंटाइन किया गया है। इसलिए प्राइवेट वार्ड में पूर्व उपराज्यपाल चंद्रावती को कमरा नहीं मिल पाया। उनको बेहतर इलाज और देखभाल का भरोसा दिया गया था। लेकिन स्वजन मरीज को निजी अस्पताल में ले गए।

                                                                          - डा. संदीप कुमार, डीएमएस, पीजीआइएमएस, रोहतक।

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