हरियाणा ट्रेड यूनियन की हड़ताल स्थगित, अब 9 जुलाई को होगा राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन; क्या हैं कर्मचारियों की मांगें?
पहलगाम हमले के बाद बदली परिस्थितियों के चलते केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 20 मई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को स्थगित कर दिया है। अब यह हड़ताल 9 जुलाई को होगी। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अनुसार कर्मचारी और मजदूर विरोध प्रदर्शन करेंगे। हड़ताल का मुख्य कारण श्रम कानूनों में बदलाव पुरानी पेंशन की बहाली और न्यूनतम वेतन में वृद्धि की मांग है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में बदले हालात को देखते हुए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व कर्मचारी संघों ने 20 मई को होने वाली राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल को स्थगित कर दिया है। अब यह हड़ताल नौ जुलाई को होगी।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि मंगलवार को देशभर में कर्मचारी एवं मजदूर अपने कार्यस्थलों व जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा ऑनलाइन मीटिंग में लिए गए फैसले का अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के सचिव मंडल ने भी ऑनलाइन बैठक में अनुमोदन कर दिया। राष्ट्रव्यापी हड़ताल में देश की 11 में से दस केंद्रीय ट्रेड यूनियन और केंद्र एवं राज्य सरकार तथा पीएसयू में कार्यरत कर्मचारी व मजदूर संगठन शामिल होंगे।
क्यों की जा रही ये हड़ताल?
लांबा ने बताया कि यह हड़ताल 29 श्रम कानूनों को खत्म कर बनाए गए चार लेबर कोड्स को रद करने, पीएफआरडीए एक्ट रद कर पुरानी पेंशन बहाली, ईपीएस-95 के पेंशनर्स को भी ओपीएस के दायरे में लाने, राजस्थान, छत्तीसगढ़ व झारखंड सरकार व कर्मचारियों द्वारा पीएफआरडीए में जमा राशि को वापस करने, सभी प्रकार के आउटसोर्स, संविदा, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों और स्कीम वर्करों को नियमित करने, 26 हजार रुपये न्यूनतम वेतन रिवाइज करने की मांग को लेकर की जा रही है।
18 महीने के बकाया डीए-डीआर आदि को रिलीज करें'
इसके अलावा आठवें वेतन आयोग गठित करने की अधिसूचना जारी करने, देशभर में खाली पड़े करोड़ों पदों को भरने, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण पर रोक, नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को वापस लेने, 18 महीने के बकाया डीए डीआर को रिलीज करने।
संविधान के अनुच्छेद 310,311 (टू) ए,बी व सी को निरस्त करने, पेंशनर्स की 65 व 75 साल की उम्र में बेसिक पेंशन में 10 प्रतिशत बढ़ोतरी करने, कम्युटेशन राशि को 15 सालों की बजाय दस साल आठ महीने में रिकवरी करने, सरकारी सहायता से कैशलैस मेडिकल सुविधा प्रदान करने की मांगें मुख्य हैं।

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