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    Haryana News: 20 एकड़ में फैली ब्लू बर्ड झील में बेहद कम हुआ पानी, सैकड़ों मछलियों की मौत

    Updated: Mon, 23 Dec 2024 05:14 PM (IST)

    हरियाणा के हिसार में स्थित ब्लू बर्ड झील सूख रही है। पानी की कमी के कारण सोमवार को झील में मछलियां मरी हुई पाई गईं। ठंड भी एक कारण बताया जा रहा है। झील में पानी की सप्लाई बंद होने से यह खतरा पैदा हुआ है। सरकार ने झील के लिए अलग से एक लाइन बिछाने का फैसला किया है।

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    ब्लू बर्ड झील में सैकड़ों मछलियों की हुईं मौत।

    जागरण संवाददाता, हिसार। नेशनल हाईवे पर मौजूद शहर की ब्लू बर्ड झील धीरे-धीरे सूख रही है। पानी तेजी से कम होने के कारण सोमवार को उसमें मछलियां मरी हुई मिलीं। ठंड भी एक कारण बताया जा रहा है। ठंड से बचने के लिए मछलियां पानी के नीचे जाती हैं, मगर यहां पानी कम होने से वह बच नहीं पाईं। झील में मछलियों के लिए पांच से छह फीट पानी होना चाहिए मगर अभी ढाई से तीन फीट ही पानी है।

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    झील में तेजी से पानी सूखने का बड़ा कारण एयरपोर्ट के पास से निकल रही राणा माइनर से पानी की सप्लाई बंद होना है। सालों से बंद इस पानी की सप्लाई को दोबारा सही से शुरू नहीं किया जा सका। झील में जलघर की एक लाइन से पानी देने का दावा किया गया है, मगर उसकी सप्लाई बहुत कम है।

    पानी सप्लाई बंद होने से झील पर मंडराया खतरा

    सरकार की तरफ से नेशनल हाईवे-9 पर ब्लू बर्ड का 52 एकड़ में निर्माण किया गया था। उसमें 20 एकड़ में झील बनाई गई। उस झील में पहले पानी पूरा भरा रहता था। मगर पिछले कुछ सालों में पानी धीरे-धीरे कम हो रहा है। पिछले तीन साल से एयरपोर्ट निर्माण के बाद पानी सप्लाई बंद होने से झील पर खतरा मंडरा गया है।

    पानी की निकासी बंद होने के बाद झील में स्काडा की लाइन और ट्यूबवेल का पानी डाला जा रहा था, मगर यह पानी काफी कम था। झील को भरने में दिक्कत आ रही थी। उस पानी के नाले से भी पानी चोरी के आरोप लग रहे हैं।

    1995 में बना था ब्लू बर्ड

    सरकार की तरफ से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 1995 में 52 एकड़ में ब्लू बर्ड को स्थापित किया गया है। इसमें झील, काम्पलेक्स, जंगल एरिया सहित अनेक जगह छोड़ी गई। यहां पर आस पास के लोग घूमने भी आते है। इसके अलावा झील में नौकाविहार भी होता है।

    35 लाख में तीन साल का ठेका

    झील में मछली पानी के लिए साढ़े 35 लाख रुपये में तीन साल का ठेका लिया गया है। इसमें गोल्डन, रोहू, कतला, मराठी प्रजाति की मछलियों का पालन होता है। इसको ठेकेदार की तरफ से दिल्ली मंडी में बेचा जाता है। ठेकेदार के अनुसार मछली पालन में पांच से छह फीट पानी होना चाहिए।

    सिंचाई विभाग की तरफ से झील के लिए अब अलग से एक लाइन बिछाई जाएगी। इस पर 98 लाख रुपये खर्च होंगे। टेंडर किया जा चुका हैं। विभागों से एनओसी भी अभी लेनी बाकी है।

    - एसएस कुहाड़, एसडीओ, सिंचाई विभाग।

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