गरीब कैदियों को जमानत या जुर्माना भरने में मिलेगी मदद, एक लाख तक की सहायता देगी हरियाणा सरकार
हरियाणा सरकार गरीब कैदियों को जमानत या जुर्माना भरने में सहायता करेगी। सरकार जमानत के लिए एक लाख तक और जुर्माने के लिए 25 हजार तक की मदद देगी। गृह सचि ...और पढ़ें
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गरीब कैदियों को जेल से बाहर आने में मिलेगी मदद (सांकेतिक तस्वीर)
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार गरीब कैदियों को जमानत या जुर्माना भरने में उनकी मदद करेगी। सरकार जमानत के लिए एक लाख तक और जुर्माने के लिए 25 हजार तक की सहायता देगी। गृह सचिव डा. सुमिता मिश्रा ने ‘गरीब कैदियों को सहायता’ योजना के लिए संशोधित गाइडलाइंस और स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी कर दी है। यह पहल गरीब कैदियों को जेल से बाहर निकालने और जेलों में भीड़ कम करने में सहायक होगी।
गाइडलाइन में क्या कहा गया है?
गाइडलाइन के तहत हर जिले में जिला-स्तरीय अधिकार प्राप्त समितियां बनाई जाएंगी। इनमें जिला कलेक्टर के कार्यालय, जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (DLSA), पुलिस विभाग, जेल प्रशासन और न्यायपालिका के प्रतिनिधि शामिल होंगे। डीएलएसए के सचिव इन समितियों के संयोजक और समन्वय प्रभारी होंगे, जो मामलों की समीक्षा और मंजूरी के लिए हर महीने के पहले और तीसरे सोमवार को नियमित रूप से बैठक करेंगे।
इसके अलावा हरियाणा में निगरानी करने और प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक राज्य-स्तरीय निगरानी समिति भी बनाई जाएगी, जिसमें प्रधान सचिव (गृह/जेल), सचिव (कानून विभाग), राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के सचिव, डीजी/आईजी (जेल) और उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल शामिल होंगे।
जमानत के लिए ऐसे मिलेगी मदद
गृह सचिव ने बताया कि ऐसे अंडरट्रायल कैदियों को जो पैसों के अभाव में बेल नहीं ले पाते हैं, उन्हें प्रति केस 50 हजार रुपये तक की सहायता दी जाएगी। इतना ही नहीं, सशक्त कमेटी को स्पेशल कंडिशन में एक लाख रुपये तक की राशि मंजूर करने का अधिकार होगा। जिन मामलों में एक लाख रुपये से ज्यादा की जरूरत होगी, उन्हें परमिशन के लिए राज्य-स्तरीय ओवरसाइट कमेटी के पास भेजा जाएगा।
जिन दोषी कैदियों पर कोर्ट ने जुर्माना लगाया है और वे उसे चुकाने में असमर्थ है, उन्हें सशक्त कमेटी द्वारा 25 हजार रुपये तक की सहायता दी जा सकती है। इससे ज्यादा की राशि के लिए ओवरसाइट कमेटी की मंजूरी जरूरी होगी।
पांच दिनों में होगा वेरिफिकेशन
डा. सुमिता मिश्रा ने कहा, 'अगर किसी अंडरट्रायल कैदी को जमानत मिलने के सात दिनों के अंदर रिहा नहीं किया गया, तो जेल अधिकारियों को तुरंत डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज अथारिटी के सचिव को जानकरी देनी होगी। कैदी की आर्थिक स्थिति के आकलन और वेरिफिकेशन से लेकर फंड जारी करने और कोर्ट में जमा करने तक की पूरी प्रक्रिया को एक तय समय-सीमा के अंदर पूरा किया जाएगा।
डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज अथारिटी के सचिव जेल विजिटिंग वकीलों, पैरालीगल वालंटियर्स या सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों की मदद से पांच दिनों के अंदर कैदी की आर्थिक स्थिति का वेरिफिकेशन करेंगे। इसके बाद कमेटी रिपोर्ट मिलने के पांच दिनों के अंदर फंड जारी करने का निर्देश देगी और कमेटी के फैसले के पांच दिनों के अंदर रकम कोर्ट में जमा कर दी जाएगी।

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