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    Haryana Day: हरियाणा में फतेहाबाद की है अलग पहचान, शहरों के लेकर गांवों तक हुए विकास कार्य, जानें इतिहास

    By Naveen DalalEdited By:
    Updated: Sun, 31 Oct 2021 09:36 PM (IST)

    फतेहाबाद प्रदेश का 17वां जिला 15 जुलाई 1997 में बना। बंसीलाल व मनीराम गोदारा ने जिला बनाने के साथ ही फतेहाबाद में लघु सचिवालय के भवन का शिलान्यास करवा दिया था। इसके अलावा जिला मुख्यालय में खेल स्टेडियम व महिला कालेज का भी शिलान्यास किया।

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    फतेहाबाद को 1961 में मिला उपमंडल का दर्जा।

    विनोद कुमार, फतेहाबाद। हरियाणा गठन के 55 साल में प्रदेश व जिले में खूब विकास हुआ है। पहले शहरों में विकास होता था, लेकिन इन 55 सालों में शहर से निकलकर अब गांवों में लगातार विकास हो रहे हैं। अब तो जिले में बनी ढाणियों में भी बिजली व पानी की सुविधा मिल चुकी हैं। ऐसे में हम कह सकता है कि प्रदेश का विकास होने के साथ जिले का लगातार विकास हुआ है। लेकिन आज भी अनेक ऐसे क्षेत्र है जहां हम पिछड़ रहे है। जिले के विकास के लिए सबसे बड़ी जरूरत शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं होती है। लेकिन इन दोनों क्षेत्रों में जिला पिछड़ा हुआ हैं। जिले में लड़कों के लिए एक भी कालेज नहीं है। इसके अलावा जिला अस्पताल में सुविधा तक नहीं है। पिछले सात सालों से अस्पताल की नई बिल्डिंग बनने की घोषणा केवल कागजों में चल रही हैं।

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    जिला बनाते ही कालेज, लघु सचिवालय के साथ कई भवनों का हुआ शिलान्यास

    फतेहाबाद प्रदेश का 17वां जिला 15 जुलाई 1997 में बना। बंसीलाल व मनीराम गोदारा ने जिला बनाने के साथ ही फतेहाबाद में लघु सचिवालय के भवन का शिलान्यास करवा दिया था। इसके अलावा जिला मुख्यालय में खेल स्टेडियम व महिला कालेज का भी शिलान्यास किया। फतेहाबाद को तहसील का दर्जा अंग्रेजों ने 1834 में ही दे दिया था। फतेहाबाद शहर 1898 में नगर पालिका बनी। इसे उपमंडल का दर्जा 1961 में बना था।

    वन्य जीवों के संरक्षण में भी आगे जिलावासी

    जिले के लोग वन्य सरंक्षण में भी आगे है। सरकार ने भी तीन गांव धांगड़, ढाणी माजरा व काजल में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए क्षेत्र निर्धारित कर दिए है। लोग वन्य जीवों से बेहद प्रेम करते है, तभी तो कई क्षेत्रों में बड़ी संख्या में काले हरिण भी मौजूद है। लेकिन जिले में वन क्षेत्र 2.95 ही है। जो प्रदेश के मुकाबले कम हे। प्रदेश में वन क्षेत्र 6 फीसद के करीब है।

    ये प्रोजेक्ट अब अधूरे

    जिला मुख्यालय में सरकारी कालेज नहीं है।

    स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर सभी अस्पताल रेफर करते है।

    जेल का प्रस्ताव भी अधर में लटका हुआ।

    जिले में तकनीकी शिक्षा के लिए कालेज नहीं।

    जिले में नाबार्ड का कार्यालय नहीं।

    जिले में उद्योगिक क्षेत्र विकसित नहीं हुआ।

    आंकड़ों पर एक नजर

    फतेहाबाद का क्षेत्रफल : 2538 वर्ग किमी

    उपमंडल- रतिया, टोहाना व फतेहाबाद

    तहसील- रतिया, टोहाना व फतेहाबाद

    उपतहसील - भूना, कुलां, भट्टूकलां व जाखल

    विकास खंड : भट्टूकला, भूना, नागपुर, फतेहाबाद, जाखल, रतिया व टोहाना

    मार्केट कमेटी - भट्टूकला, भूना, फतेहाबाद, जाखल, रतिया, टोहाना व धारसूल

    नगरपालिका- रतिया, जाखल व भूना

    नगर परिषद : फतेहाबाद व टोहाना

    पंचायतें- जिले में 260 पंचायतें हैं

    जिले में गांव- जिला में 301 गांव हैं

    जनसंख्या 

    वर्ष 1997 में जनसंख्या : 6 लाख 46 हजार 160

    वर्ष 2011 में जनसंख्या : 9 लाख 42 हजार 240

    वर्ष 2021 में अनुमानित जनसंख्या : 10 लाख 50 हजार

    साक्षरता दर प्रतिशत में

    वर्ष साक्षरता दर

    1961 17.2

    1971 22.8

    2001 60.2

    2011 68

    2019 73

    2021 76

    लिंगानुपात

    वर्ष 2013 : 850 प्रति हजार लड़कियां

    वर्ष 2014 : 820

    वर्ष 2015 : 830

    वर्ष 2016 : 870

    वर्ष 2018 : 893

    वर्ष 2019 : 917

    वर्ष 2020 : 940

    वर्ष 2021 : 880 अब तक

    नोट: यह आंकड़ा प्रति हजार लड़कियां।

    जिले में कुल भूमि : 252500

    कृषि योग्य भूमि : 226966 हेक्टेयर भूमि

    सिंचित भूमि : 22768 हेक्टेयर भूमि

    मुख्य फसलें- गेहूं, बाजरा, ज्वार, जौ, दाले, धान, कपास, चना, सरसों।

    उद्योग

    कुल पंजीकृत उद्योग- 1800

    लघु उद्योगों की संख्या- 1477

    घरेलू पंजीकृत औद्योगिक इकाइयां- 20

    भाखड़ा ने बदली किसानों की जिंदगी

    फतेहाबाद जिले की तस्वीर भाखड़ा नहर से बदली। भाखड़ा बाध पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के लिए अमूल्य देन है। इस बांध का निर्माण का कार्य भी रायबहादुर कंवर सैन की देखरेख में हुआ। टोहाना के रहने वाले 24 जनवरी 1900 में जन्में कंवर सैन ने पहले 1940-41 में रोहतक में आई भयंकर बाढ़ का समाधान ढूंढा़ तभी उन्हें राय बहादुर का खिताब मिला। 1945-46 में जब भाखड़ा बांध की परियोजना बनी तब इस पूरे क्षेत्र में पानी की कमी थी और यहा रेतीले टिब्बे थे। आजाद भारत के बाद भाखड़ा डेम का निर्माण हुआ और 1953 में भाखड़ा नहर में पानी छोड़ा गया। इसी भाखड़ा नहर के सहारे धीरे-धीरे क्षेत्र की तस्वीर बदलती गई।

    परमाणु संयंत्र के लगने से विश्व पटल पर मिली पहचान

    गांव गोरखपुर में परमाणु संयंत्र का निर्माण शुरू हो गया है। गांव गोरखपुर व बड़ोपल की करीब 1503 एकड़ भूमि में बनने वाले परमाणु विद्युत संयंत्र में 2800 मेगावाट बिजली के लिए यहां चार इकाइया लगाई जाएंगी। यह संयंत्र स्थापित होने से यहां आने से इस क्षेत्र में विकास के नए आयाम स्थापित होंगे। अब इस क्षेत्र में काम तेजी से हो रहा है। हालांकि इस पर काम करीब तीन साल बाद शुरू होगा।

    खिलाड़ियों व संगीतकार ने दिलाई अलग पहचान

    गांव पीलीमंदोरी से ऐसी विलक्षण प्रतिभा निकली जिसको सुन विश्व में वाहवाही मिली। पंडित जसराज ने शास्त्रीय गायन में अलग पहचान बनाई और उन्हें पद्म विभूषण सम्मान से वर्ष 2000 में नवाजा गया। उन्हीं के परिवार से गायिका सुलक्षणा पंडित व फिल्मी कलाकार विजया पंडित के अलावा संगीतकार जोड़ी जतीन व ललित ने बालीवुड में अलग पहचान बनाई। पर्वतारोही रामलाल, मनीषा पायल, अर्जुन अवार्डी उदयचंद जांडली कलां, एथलेटिक्स में देश का नाम चमकाने वाले सुखवंत सिंह धीड़ माने हुए खिलाड़ी हैं। एथलीट मनोज कुमार, एथलीट संतोष कुमार जांडली, हाकी में रीना बैजलपुर, साइकिलिंग में सतीश कुमार धोलू, गीता रानी सुखलमपुर, सीमा रानी अयाल्की तथा हाकी में पूनम रानी बैजलपुर, सुनीता रानी फतेहाबाद, रजनी बोस्तीवाली, कविता धारसूल, मंगलसिंह टोहाना समैन की रामभतेरी व बनगांव की ज्योति, रेखा व गांव बड़ोपल की क्रिकेट खिलाड़ी सुमन सैनी ने अलग ही पहचान दिलाई है। उनकी उपलब्धियों से जिला हर समय एक नई ऊंचाई प्राप्त कर रहा था।

    यह सबसे बड़ी उपलब्धि

    प्रदेश का पहला राष्ट्रपति स्काउट अवार्ड फतेहाबाद के हिस्से में आया था। वर्ष 1967 में राष्ट्रपति डा. जाकिर हुसैन राष्ट्रपति स्काउट अवार्ड फतेहाबाद निवासी डा. राजेन्द्र प्रसाद गर्ग को दिया। उन्होंने 16 वर्ष की आयु में स्काउट के सर्वोच्च पुरस्कार को प्राप्त किया। फतेहाबाद जिलावासी को यह अवार्ड मिलने के साथ ही एक नया अध्याय भी लिखा गया है।

    55 सालों में ये आया बदलाव

    लघु सचिवालय परिसर बना

    फतेहाबाद में जिला न्यायालय व टोहाना व रतिया में उपमंडल न्यायालय स्थापित हुए।

    अल्फा व सोमा जैसी राष्ट्रीय कंपनियों ने मकान बनाए। आज यहां पर अनेक लोग अपनी कोठियां बनाकर रह रहे

    नेशनल हाइवे ने फोरलेन का रूप ले लिया जिससे दिल्ली तक का सफर आसान हो गया।

    दरियापुर में फुटबाल अकेडमी व भोडियाखेड़ा में जिले का खेल स्टेडियम बना।

    शहर में मल्टीपर्पज पार्किंग स्थल का निर्माण हुआ।

    शहर में मल्टीफ्लैस

    अधिकांश गांव व शहरों में नहरी पानी की सप्लाई

    गांवों में 24 घंटे बिजली व हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा

    नए साल में ये रहेगी उम्मीद

    200 बेड के काम शुरू होने की

    नए बस स्टैंड का शुभारंभ जल्द से जल्द हो।

    टोहाना में नए बस स्टेंड़

    रतिया में आईटीआई

    टोहाना में पिकनिक स्पाट विकसित होने की

    जिले के ऐतिहासिक स्थल

    पिरथला में एतिहासिक शिव मंदिर

    झाड साहब गुरूद्वारा

    बड़ोपल का बाबा रामदेव मंदिर

    भिरड़ाना में हरियाणा की सबसे पुरानी हवेली

    भूना में बाबा राणाधीर का मंदिर

    टहलदास डेरा कमाना

    अशोका की लाट

    पुराना किला

    शिवालय जोहडी मंदिर

    गांव ढिंगसरा में मनसागर मंदिर

    भिरडाना व कुनाल में पुरातत्व विभाग की जगह

    भूना में कर्ण कोट।