केद्रीय आम बजट में जूते, कपड़ा और ज्वेलरी सस्ती होने से महिलाओं में खुशी, जानें प्रतिक्रिया
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा विशेषज्ञों ने इस बजट को आंकड़ों की जादूगरी करार दिया। इस बजट को लेकर सत्तापक्ष से जुड़े राजनीतिज्ञों ने सराहा वहीं विपक्षी नेताओं ने इसे खोखला बजट बताया है। किसान नेताओं ने बजट को निराशाजनक करार दिया।
सिरसा, जागरण संवाददाता। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में जैसे ही बजट कर अंदर जूते, चप्पल, कपड़ा व आर्टिफिशिल ज्वेलरी सस्ती करने की घोषणा की गई। इन घोषणाओं से महिलाओं में खुशी है। महिलाएं बजट में जूते, कपड़ा व आर्टिफिशिल ज्वेलरी सस्ती किए जाने पर महिलाएं दिनभर चर्चा करती हुई नजर आई।
महिलाओं का रखा विशेष ध्यान
बजट में जूते, कपड़ा व आर्टिफिशिल ज्वेलरी सस्ती किए है। यह बहुत ही अच्छा सराहनीय किया है। इससे महिलाओं में खुशी है, क्योंकि बजट में महिलाओं का विशेष ध्यान रखा गया है।
---सुमन शर्मा, महिला
इन चीजों के रेट में आएगी गिरावट
शादी का सीजन हो या कोई त्योहार का सीजन हो। महिलाओं को कपड़ों की खरीददारी करनी पड़ती है। पिछले सालों में महंगाई बढ़ती जा रही थी। अब जूते, चप्पल कपड़े सस्ते किए है। यह सबसे ज्यादा लोगों से जुड़ा सामान है। इस बजट में इन पर ध्यान दिया गया है।
---रानी गुप्ता
लोगों को मिलेगा फायदा
गरीब व्यक्ति के लिए कपड़े, जूते व चप्पल सस्ते मिल जाए तो इससे राहत महसूस करता है। बजट में जूते, चप्पल व कपड़े सस्ते किए गये हैं। इससे लोगों को काफी फायदा मिलेगा।
---प्रकाश कौर
पिछले सालों में महंगाई की मार सभी पर पड़ी
बजट सरकार ने बहुत ही अच्छा पेश किया है। इस बजट में जूते, कपड़ा व आर्टिफिशिल ज्वेलरी सस्ती होने से महिलाओं में खुशी है। क्योंकि पिछले सालों में महंगाई की मार सभी पर पड़ी।
---सुनीता
हेल्थ के लिए बजट में विशेष ध्यान रखा गया
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में जो बजट पेश किया है। वह मिला जुला बजट है। सर्विस सेक्टर के कर्मचारियों के लिए कुछ नहीं किया गया है। जो किसान चाहा रहे थे। उनके लिए भी इतना बजट में नहीं किया गया है। हालांकि हेल्थ के लिए बजट में विशेष ध्यान रखा गया है।
----प्रो. आरती गौड़, चेयरपर्सन, एमबीए विभाग, सीडीएलयू
मिला जुला रहा बजट
बजट में राजकीय कोष में घाटा कम नहीं हुआ है। जो आर्थिक तौर पर खतरा है। कर्मचारियों के लिए स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। किसान जो बजट में चाहा रहे थे, वो भी नहीं है, कुल मिलाकर बजट मिला जुला रहा है।
----डा. रोहताश कुमार, अर्थशास्त्र विभाग, सीडीएलयू
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