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    हिसार के हांसी में भाटला के खेतों में पानी का सैलाब, जुगाड़ किश्ती बनाकर इसे रोक रहे ग्रामीण

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 02:54 PM (IST)

    हांसी के भाटला गांव में भारी बारिश के कारण जलभराव से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। कई दिनों से जल निकासी न होने से ग्रामीण परेशान हैं और स्वयं किश्ती बनाकर मिट्टी के कट्टे लगाकर पानी रोकने की कोशिश कर रहे हैं। हाईवे बंद होने से कारोबार प्रभावित है और जलभराव से बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है।

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    जुगाड़ किश्ती बनाकर मिट्टी के कट्टे भरकर ले जाते लोग

    संवाद सहयोगी, हांसी। क्षेत्र में बीते दिनों हुई भारी वर्षा ने भाटला गांव के लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई दिन बीत जाने के बावजूद गांव से जल निकासी नहीं हो पाई है, जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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    गांव के चारों तरफ पानी भरा हुआ है और अब यह धीरे-धीरे रिहायशी क्षेत्रों में घुसना शुरू हो गया है। ग्रामीण अपने स्तर पर जुगाड़ किश्ती बनाकर मिट्टी के कट्टे भरकर पानी रोकने की कोशिश कर रहे हैं। अब तक एक हजार से अधिक कट्टे लगाए जा चुके हैं, लेकिन हालात पर काबू नहीं पाया जा सका है। ग्रामीणों के अनुसार खेतों और ढाणियों से अभी तक पानी की निकासी नहीं हो पाई है।

    जिले में भारी वर्षा व ड्रेन टूटने के कारण हुए जलभराव से प्रभावित गांवों के किसानों को फसल खराबा दर्ज करने के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल 15 सितंबर तक खोला गया है। अभी तक इस पोर्टल पर जिले के विभिन्न गांवों के 56 हजार 405 किसानों की तरफ से तीन लाख 47 हजार 796 एकड़ भूमि में फसल नुकसान का पंजीकरण किया जा चुका है।

    कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा ने कहा कि प्रभावित गांवों के किसान जल्द से जल्द पोर्टल पर अपनी फसल खराबे की जानकारी अपलोड करें ताकि राजस्व विभाग द्वारा उसके आकलन की प्रक्रिया को तेजी से पूर्ण किया जा सके।

    उन्होंने बताया कि जिला राजस्व अधिकारियों द्वारा ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर प्राप्त दावों का विशेष गिरदावरी के रूप में सत्यापन किया जाएगा और आकलन के आधार पर निर्धारित मानकों के अनुसार मुआवजा जारी किया जाएगा।

    प्रभावित किसान द्वारा दावा दर्ज करने के बाद, संबंधित राजस्व अधिकारी/कर्मचारी जैसे पटवारी, कानूनगो, सर्कल राजस्व अधिकारी, जिला राजस्व अधिकारी, उप मंडल अधिकारी (नागरिक) व उपायुक्त नुकसान का आकलन करेंगे।

    प्रशासन ने अभी तक नहीं ली जलभराव की सुध भारी वर्षा और जलभराव का असर सिर्फ गांव तक ही सीमित नहीं है। हांसी-बरवाला नेशनल हाईवे 148-बी भी पिछले 15 दिनों से बंद पड़ा है। यह हाईवे पंजाब को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण मार्ग है। इसके बंद होने से कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सामान की सप्लाई बाधित हो रही है, जिससे व्यापारी नुकसान झेल रहे हैं। वहीं, भारी वाहन चालकों को दूसरे रास्तों से जाना पड़ रहा है, जिससे समय और डीजल दोनों की खपत दोगुनी हो रही है।

    जुगाड़ किश्ती से ग्रामीण 
लगा रहे मिट्टी के कट्टे भाटला गांव के लोग अपने स्तर पर पानी रोकने के प्रयास कर रहे हैं। ग्रामीण जुगाड़ किश्ती बनाकर मिट्टी के कट्टों को भरकर खेतों और गांव की ओर लगाते नजर आ रहे हैं। इस काम में गांव के सभी लोग जुटे हुए हैं। रोज सुबह से शाम तक ग्रामीण कट्टे भरने और उन्हें लगाने का काम करते हैं। बावजूद इसके पानी की रफ्तार धीमी नहीं हो रही। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की ओर से मदद नहीं मिल रही, इसलिए वे खुद ही प्रयास करने को मजबूर हैं।

    भाटला ड्रेन की हालत भी गंभीर बनी हुई है। प्रशासन ने कुछ दिन पहले चानौत गांव के खेतों के पानी की निकासी के लिए एक अस्थायी ड्रेन बनाकर उसे भाटला ड्रेन से जोड़ दिया था। लेकिन अब भाटला ड्रेन ओवरफ्लो हो गई है और इसके टूटने का खतरा मंडराने लगा है। यदि ड्रेन टूटती है तो गांव में हालात और बिगड़ सकते हैं। ग्रामीणों ने मिट्टी के कट्टे डालकर पानी रोकने का प्रयास किया है, लेकिन अगर दोबारा वर्षा हुई तो हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे।

    लगातार जलभराव से गांव में बीमारियों का खतरा भी बढ़ने लगा है। मच्छरों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है, जिससे डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का डर लोगों को सता रहा है। दूषित पानी के कारण जल जनित रोग फैलने की भी आशंका बनी हुई है।

    भाटला गांव की स्थिति दिन-प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है। खेतों में पानी भरा है, घरों में दरारें पड़ रही हैं, ढाणियों के लोग बेघर हो चुके हैं और हाईवे बंद होने से कारोबार पर भी असर पड़ा है।