साथ जीने-मरने की खाई जा रही थी कसमें, तभी दुल्हन ने दूल्हे से मांग लिया ऐसा वचन
दुल्हन बनी सोनू ने कहा कुछ लोग मत का प्रयोग नहीं करते। इसलिए उन्होंने मन में ठानी कि क्यों न वे शादी समारोह में आए लोगों को अधिक से अधिक मत का प्रयोग करने के लिए प्रेरित करें।
भिवानी/बवानीखेड़ा, जेएनएन। शादी में फेरे लेते वक्त मरने जीने की कसमें तो सब खाते हैं। इन दिनों कुछ लोग कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए आठवां फेरा भी ले रहे हैं। मगर हरियाणा के भिवानी जिले में एक जोड़े ने नई पहल शुरू करके मिसाल पेश की है। एमएससी पास युवती सोनू व गांव घिलौर खुर्द निवासी सरपंच दीपक ने शादी समारोह के दौरान फेरों पर ही मतदान करने की शपथ ली।
फेरों पर एक साथ मरने जीने की कसमें खाई ही जा रही थी कि दोनों ने मतदान के महत्व के बारे में बताना शुरू कर दिया। एक बार सबको अजीब लगा मगर फिर सब लोगों ने इस पहल को सुभाशिष दिया। दुल्हन ने कहा वचन दो कि सब वोट डालने जाओगे। इतना ही नहीं नवविवाहित जोड़े ने मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाने की भी बात कही। इसके साथ ही वहां पर उपस्थित लोगों को भी मतदान करने की शपथ दिलाई।
जानकारी के मुताबिक कस्बा बवानीखेड़ा निवासी महेंद्र अत्रि की पुत्री सोनू एमएससी पासआउट है। उनकी शादी जिला रोहतक के गांव घिलौरखुर्द निवासी सरपंच दीपक के साथ मंगलवार रात को संपन्न हुई। परिणय सूत्र में बंधने के बाद नवविवाहित जोड़े ने पहली बार ये नया बदलाव शुरू किया है।
इस अवसर पर कस्बा बवानीखेड़ा निवासी युवती सोनू ने बताया कि उनके पिता महेंद्र अत्रि किसान हैं। इसके बावजूद भी उनके पिता ने उन्हें बेटों से बढ़कर मान दिया है और शिक्षित भी किया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव नजदीक है। कुछ लोग मत का प्रयोग नहीं करते। इसी के चलते उन्होंने मन में ठानी कि इस शुभ अवसर पर क्यों न वे शादी समारोह में पहुंची महिलाओं को अधिक से अधिक मत का प्रयोग करने के लिए प्रेरित करें। इसी प्रकार उनके पति भी जनप्रतिनिधि है। इससे भी उन्हें मत के प्रति जागरूक करने के लिए प्रेरणा मिली है।
इस बार एक वोट नहीं डालने पर देश काे 72 रुपये का नुकसान
आपको बता दें कि हर बार चुनाव करवाने में खर्च वहन होता है। इसके लिए एक विशेष बजट बनता है। पहले आम चुनावों में सरकार ने एक मतदाता पर जहां 0.60 रुपये खर्च किए थे, वहीं 2014 में यह खर्च 46 रुपये तक पहुंच गया था। 17वें लोकसभा चुनाव में यानि इस बार प्रति मतदाता लगभग 72 रुपये तक खर्च होंगे। इसके बावजूद अगर आप मतदान के लिए नहीं जाते हैं तो इतना समझ लीजिए कि आप अपने एक वोट का नुकसान 72 रुपये हाेगा। वहीं देश में इस बार करीब 6500 करोड़ रुपये मतदान पर खर्च होने का अनुमान है। ऐसे में वोट न करने वाले प्रति व्यक्ति के 72 रुपये इस बजट में से नुकसान में जाएंगे।
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