सच्ची श्रद्धांजलि, वीर चक्र से सम्मानित शहीद सरदार सिंह के नाम पर होगा बहादुरगढ़ में सरकारी स्कूल का नाम
1962 में हुए युद्ध में शहीद हुए गांव जसाैर खेड़ी निवासी शहीद लांस नायक सरदार सिंह के परिवार का संघर्ष कई सालों बाद काम आया है। मरणोपरांत वीर चक्र विजेता शहीद सरदार सिंह के नाम पर अब गांव के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का नामकरण होगा।

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: चीन के साथ वर्ष 1962 में हुए युद्ध में शहीद हुए गांव जसाैर खेड़ी निवासी शहीद लांस नायक सरदार सिंह के परिवार का संघर्ष कई सालों बाद काम आया है। मरणोपरांत वीर चक्र विजेता शहीद सरदार सिंह के नाम पर अब गांव के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का नामकरण होगा। मुख्यमंत्री और सांसद अरविंद शर्मा की सिफारिश पर स्कूल का नाम शहीद के नाम पर करने की स्वीकृति उपायुक्त ने दी है। अब बहुत जल्द ही शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल के भवन व रिकार्ड में शहीद सरदार सिंह के नाम पर स्कूल का नाम अंकित करवा दिया जाएगा।
शहीद सरदार सिंह के स्वजनों ने शिक्षा विभाग के अधिकारी, उपायुक्त, सांसद अरविंद शर्मा व मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आभार जताया है। अब तक गांव में शहीद लांस नायक सरदार सिंह के नाम पर कोई द्वार व सरकारी स्थल का नामकरण नहीं हुआ था। परिवार की ओर से की गई भागदौड़ के बाद अब जाकर उनके नाम पर स्कूल का नामकरण हुआ है।
गांव जसौर खेड़ी निवासी शहीद सरदार सिंह पोते रोमी तहलान ने बताया कि उनका जन्म 12 मई 1939 को हुआ था। 1956 में उन्होंने आर्मी इन्फेंट्री यूनिट 2 ग्रेनेडियर ज्वाइन की थी। चीन युद्ध के दौरान 20 अक्टूबर 1962 को नेफा में ग्रेनेडियर्स बटालियन को पीछे हटने के लिए आदेश दिया गया, मगर लांस नायक सरदार सिंह अपने सेक्शन में कमांड करने में दूसरे स्थान पर थे। एक ताकतवर चीनी टुकड़ी नामकाचू नदी के विपरीत किनारे पर घात लगाए बैठी थी और उन्होंने पीछे हटने के रास्ते को बंद कर दिया। सरदार सिंह की टुकड़ी को सुरक्षा के साथ पीछे हटने की चुनौती दी गई।
मुख्य सेक्शन का मुखिया होने के नाते उन्होंने यह ध्यान रखा कि टुकड़ी शत्रुओं पर फायरिंग जारी रखे। उन्होंने अपनी टुकड़ी को इकट्ठा रखने का काम किया। इसी दौरान सरदार सिंह खुद एक चीनी शत्रु की गोली का शिकार हो गए। लांस नायक सरदार सिंह ने साहस का परिचय दिया और अपने कर्तव्य के प्रति झुकाव व्यक्त किया। इनके साहस और वीरता को देखते हुए भारत सरकार ने मरणोपरांत उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया था।

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