गीता का उपदेश जीवन के प्रबन्धन की कार्यशाला : स्वामी दिव्यानंद
संवाद सहयोगी, हिसार: रामपुरा मोहल्ला स्थित श्री काली माता मंदिर में चल रहे भागवत गीता अमृत मह
संवाद सहयोगी, हिसार: रामपुरा मोहल्ला स्थित श्री काली माता मंदिर में चल रहे भागवत गीता अमृत महोत्सव में प्रवचन करते हुए तपोवन हरिद्वार से आए गीता ज्ञानेश्वर डा. स्वामी दिव्यानंद ने कहा कि मानव शरीर की सबसे बड़ी विशेषता है। इसकी विवेकी बुद्धि। यदि यह विवेक बना रहा तो यह ओबामा जैसा भी हो सकता है। अन्यथा अविवेक होने पर यह ओसामा लादेन भी हो सकता है। संतो का संग यही सोच ही बदलता है।
उन्होंने कहा कि गीता के उपदेश का अर्थ है उसे श्रवण कर अर्जुन की भांति अपनी सोच बदल लेना। भ्रमित केवल अर्जुन ही नहीं हुआ था। सारी दुनिया अधिकांश भ्रमित है। इसीलिए तनाव में है। इस तनाव से मुक्ति के लिए व्यक्ति शराब का सेवन कर रहा है या फिर नींद की गोलियों की ओर जा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश का ¨चतन और मनन करने से आज का मानव विनाश से बच सकता है। स्वामी दिव्यानंद ने कहा कि एक चित्त में शोक का कारण केवल बाहर की सम्पदा का अभाव ही नहीं, बुद्धि की मूढ़ता भी है। जिसका उपाय है विवेक। भगवद् भक्ति और तत्वज्ञान से बुद्धि स्थिर-विवेक होती है। सत्संग का यही उद्देश्य होना चाहिए। यह विडंबना ही कहा जा सकता है कि आजकल सत्संग के मंच भी विवेक कम और मनोरंजन के साधन अधिक होते जा रहे हैं। भगवद् गीता सत्संग को साध्य और साधन दोनों रूप में स्वीकार करती है। इस अवसर पर अतिथि श्री काली माता सेवा समिति के प्रधान मदन, गोपीचंद वर्मा, मनोहर ग्रोवर, जोगिन्द्र वर्मा, पवन गिरधर, विनोद वर्मा, राजेंद्र पाहवा, जितेन्द्र सेहरा, रमेश सेहरा ने स्वामी डा. स्वामी दिव्यानंद का अभिनंदन किया।
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