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    Guru Purnima 2022: पिता से पहले महाबीर फोगाट को माना गुरु, सफलता की बुलंदी छू गईं दंगल गर्ल

    By Manoj KumarEdited By:
    Updated: Wed, 13 Jul 2022 01:53 PM (IST)

    पहलवान महावीर फोगाट ने पिता के तौर पर अपनी बेटियों की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी। साथ ही एक गुरु के रूप में उन्हें कुश्ती के गुर भी बारीकी से सिखाए। आज उनकी बेटियां दंगल गर्ल के नाम से पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाए हुए हैं।

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    पिता व गुरु पहलवान महावीर फोगाट के सिखाए गुर की बदौलत गीता-बबीता बनीं दंगल गर्ल

    जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : पिता एक ऐसा व्यक्तित्व, एक ऐसा शब्द, जिसकी व्याख्या कर पाना बेहद मुश्किल है। वह एक पिता ही होता है जो हमेशा अपने बच्चों का कद खुद से भी ऊंचा देखकर खुश होता है। जो सपने वह खुद पूरे नहीं कर पाता, फिर वह उन सपनों को अपने बच्चों की आंखों में देखता है। जब बच्चे अपने पिता के सपने को पूरा करते हैं तो पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। ऐसा ही एक उदाहरण है दादरी जिले के गांव बलाली निवासी पहलवान महावीर फोगाट का।

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    पहलवान महावीर फोगाट ने पिता के तौर पर अपनी बेटियों की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी। साथ ही एक गुरु के रूप में उन्हें कुश्ती के गुर भी बारीकी से सिखाए। इसी का नतीजा है कि आज उनकी बेटियां दंगल गर्ल के नाम से पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाए हुए हैं। गांव बलाली निवासी अंतरराष्ट्रीय पहलवान गीता फोगाट, बबीता फोगाट आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। उनकी मेहनत को सभी सलाम करते हैं।

    बबीता फोगाट अपने पति के साथ

    लेकिन उनके पिता महावीर फोगाट की पर्दे के पीछे की मेहनत की बदौलत ही आज उनकी बेटियां इस मुकाम पर हैं। गीता, बबीता के अलावा उनकी बेटी रितू फोगाट व संगीता फोगाट ने भी कुश्ती में खूब नाम कमाया। हालांकि रितू फोगाट कुछ वर्ष पहले कुश्ती को अलविदा कह मिक्सड मार्शल आर्ट्स में नाम कमा रही है। अपने भाई की बेटी विनेश फोगाट के भी गुरु रहे।

    महाबीर फोगाट की भतीजी विनेश फोगाट, जिन्‍हें उन्‍होंने गुरु के तौर पर प्रशिक्षण दिया

    पिता ने हर कदम पर गुरु के तौर पर किया मार्गदर्शन : गीता

    गांव बलाली निवासी अंतरराष्ट्रीय पहलवान व वर्तमान में हरियाणा पुलिस में डीएसपी गीता फोगाट बताती हैं कि उनके पिता महावीर फोगाट खुद पहलवान हैं। उनका सपना ओलिंपिक में मेडल लाकर पहलवानी में अपना नाम चमकाना था। लेकिन पारिवारिक कारणों के चलते उनके पिता को यह सपना बीच में ही छोड़ना पड़ा। गीता ने बताया कि वर्ष 2000 में कर्णम मल्लेश्वरी ने ओलिंपिक में पदक जीता तो उनके पिता ने सोचा कि जब यह बेटी पदक जीत सकती है तो उनकी बेटियां क्यों नहीं। बस फिर क्या था, उन्होंने दोनों बहनों (गीता व बबीता) की आंखों में अपना सपना देखा और उन्हें एक गुरु, कोच के रूप में कुश्ती के गुर सिखाने शुरू कर दिए।

    गीता और बबीता।  

    बेटियों को कुश्ती जैसे खेल में उतारने पर कई लोगों ने उनके पिता को खूब ताने भी दिए। लेकिन उन्होंने इस प्रकार की बातों के बजाय बेटियों को प्रशिक्षित करने पर ही ध्यान केंद्रित रखा। हर रोज कई-कई घंटों तक प्रेक्टिस करवाई। गीता का कहना है कि उनके पिता ने हर कदम पर, हर मुश्किल घड़ी में पिता के साथ-साथ गुरु के तौर पर उनका मार्गदर्शन किया है। यह सिलसिला अभी भी जारी है। गीता फोगाट ने बताया कि उनके पिता, गुरु पहलवान महावीर फोगाट हमेशा उनके प्रेरणास्त्रोत रहेंगे।

    गुरु के तौर पर दी सभी परिस्थितियों का सामना करने की सीख : बबीता

    हरियाणा महिला विकास निगम की चेयरपर्सन व अंतरराष्ट्रीय पहलवान बबीता फोगाट का कहना है कि उनके पिता महावीर फोगाट ने उन्हें गुरु के तौर पर हर वो सीख दी है, जिससे वे किसी भी प्रकार की स्थिति का खुद ही सामना कर सकें। उन्होंने बताया कि कुश्ती के मैदान में या फिर प्रेक्टिस के दौरान उनके पिता केवल कोच के तौर पर ही उनसे बात करते थे। इस दौरान यदि उनसे कोई गलती होती तो वे उन्हें धमकाने में भी गुरेज नहीं करते थे।