हरियाणा सरकार की रिपोर्ट से खुली फोर्टिस अस्पताल को पोल
हरियाण सरकार द्वारा हाईकोर्ट में पेश रिपोर्ट में गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल की पोल खुल गई है। सात वर्षीय बच्ची के इलाज के मामले में सरकार ने उसे दोषी माना है।
जेएनएन, चंडीगढ़/हिसार। गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में सात वर्षीय बच्ची के इलाज के लिए 15.59 लाख रुपये का बिल बनाए जाने के मामले में हरियाणा सरकार ने अपनी जांच रिपोर्ट में अस्पताल को दोषी माना है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल ने बच्ची के परिवार से हर स्तर पर पैसा कमाने की कोशिश की। हाई कोर्ट अब 12 फरवरी को इसकी सुनवाई करेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, जिन चीजों का इस्तेमाल किया गया वह अस्पताल को 3,22,044 रुपये की पड़ी थीं। इन पर अस्पताल ने 108 फीसद मुनाफा कमाते हुए बच्ची के परिवार वालों 6,70,000 वसूले। इसमें सीरिंज और ग्लब्स की कीमत शामिल नहीं है।
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रिपोर्ट के अनुसार बच्ची को एक ही इंजेक्शन दो अलग-अलग ब्रांड के लगाए गए। जहां एक ब्रांड का वही इंजेक्शन 3,112 रुपये प्रति यूनिट का था तो अन्य ब्रांड का वही इंजेक्शन 499 का रुपये का था। अस्पताल प्रबंधन यह नहीं बता सका कि जब किफायती कीमत का इंजेक्शन उपलब्ध था तो क्यों उससे बहुत ज्यादा की कीमत वाला इंजेक्शन दिया जाता रहा।
सस्ती दवा के दाम महंगी वाले के लगाए
रिपोर्ट बताती है कि बच्ची को दो अलग-अलग की दवाएं एक साथ दी जाती रही। इन दोनों के मूल्यों में भी भरी अंतर था। एक ब्रांड कीमत 6,350 रुपये प्रति यूनिट थी तो दूसरे ब्रांड की वही दवा 2,777 रुपये प्रति यूनिट थी। यह सब कुछ एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) की आड़ में किया गया।
बिल पर स्टाफ ने किए हस्ताक्षर
जांच में सामने आया कि रिपोर्ट तैयार करते समय कई जगह पर अस्पताल के स्टाफ ने ही मरीज के परिजनों का नाम खुद लिख इसे हस्ताक्षर के तौर पर दिखाने का प्रयास किया है। कमेटी ने कहा कि पीडि़त परिवार चाहे तो अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ फ्राड का केस दर्ज करा सकता है।
प्लेटलेट्स में भी किया घपला
जांच में पाया गया कि दो तरह के प्लेटलेट्स होते हैं एसडीपी और आरडीपी। एसडीपी की एक यूनिट का मूल्य 11,000 रुपये है और आरडीपी की एक यूनिट का मूल्य 400 रुपये है। बच्ची आद्या को 38 यूनिट ब्लड कंपोनेंट्स दिए गए थे। इसमे से 25 यूनिट आरडीपी के थे । इन 25 में से 17 यूनिट्स के 400 रुपये वसूले गए, लेकिन बाकी 8 यूनिट के प्रति यूनिट 2000 रुपये वसूले गए इस तरह से जो बिल महज 3200 रुपये का होना चाहिए था, उसे 16,000 का बना दिया गया। एंबुलेंस के 3200 रुपये चार्ज करने के बजाय 5500 रुपये पीडि़त परिवार से वसूल लिए गए।
अस्पताल ने नहीं दी थी डेंगू के मरीज की सरकार को जानकारी
हाई कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने मार्च सभी निजी और सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिए थे कि उनके यहाँ डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि के जो भी मरीज आएं उनकी जानकारी सरकार को दी जाए। अस्पताल ने बच्ची के डेंगू पीडि़त होने की जानकारी सरकार को नहीं दी।
गरीबों के इलाज में भी खेल
रिपोर्ट के अनुसार, फोर्टिस अस्पताल को 30 फीसद सब्सिडी पर जमीन दी गई थी। इसके एवज में गरीबों को 20 फीसद बेड और 20 फीसद ओपीडी की सुविधा निशुल्क दी जानी चाहिए। लेकिन, अस्पताल ने बड़े तरीके से इसे मैनेज किया और फालोअप केस को भी हर बार नए मरीज के तौर पर दिखा संख्या पूरी कर ली।
70 फीसद डिस्काउंट को इस तरह मैनेज किया जाता है कि इन मरीजों को सस्ती दवाओं के बजाय महंगी दवाएं खरीदने को कहा जाता हैं। एक ही दवा जो 3,110 रुपये की और 70 फीसद डिस्काउंट के बाद जो 933 रुपये की मिलती है। वही दवा अन्य ब्रांड में 499 की है और यह 70 फीसद डिस्काउंट पर 149 में मिल जाती है। इस सस्ती दवा के बजाय अस्पताल महंगी दवा इन गरीब दे रहे हैं।
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