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    फिरोजशाह तुगलक के बेटे फतेह खां के नाम से पड़ा था फतेहाबाद का नाम

    By Naveen DalalEdited By:
    Updated: Fri, 15 Jul 2022 03:09 PM (IST)

    फतेहाबाद जिले को बने हुए 25 साल बीत गए है और 26वें साल में प्रवेश कर चुके है। साल-दर साल जिला विकसित होता गया है। लेकिन आज भी अनेक चीजों की कमियां है जो इस साल पूरी हो सकती है। जिला मुख्यालय में सरकारी कालेज नहीं है।

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    23 अगस्त 1351 को तुगलक के घर पुत्र का हुआ था जन्म।

    फतेहाबाद, जागरण संवाददाता। फतेहाबाद को यह नाम तुगलक शासन ने दिया था। सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने शहर में अनेक मस्जिदों व भव्य इमारतों का निर्माण करवाया। शहर के तहसील चौक में एक दरगाह है। यहां एतिहासिक लाट बनी हुई है। बलुआ मिट्टी, लाल, सफेद पत्थर व लोहे के मिश्रण से बनी इस लाट पर तुगलक वंश से संबंधित सक्षिप्त जानकारी खुदी हुई है। कुछ इतिहासकार इस लाट को अशोक का कीर्ति स्तम्भ मानते हैं।

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    जिसका फतेखां रखा गया था नाम

    इतिहासकार इस लाट को हिन्दू शासक द्वारा निर्मित मानते हैं, क्योंकि इस पर संस्कृत भाषा के शब्द खुदे हुए है। बताया जाता है कि इस क्षेत्र में भील जाति के लोग बसा करते थे और यह क्षेत्र उदयानगरी के नाम से जाना जाता था। इस क्षेत्र में घने जंगल होने के कारण यहां जगली जानवर थे। शिकार का शौकीन बादशाह फिरोजशाह तुगलक भी इस स्थान के प्रति आकर्षित था। 23 अगस्त 1351 को तुगलक के घर पुत्र का जन्म हुआ। पुत्र की खुशी व अपनी स्थिति सुदृढ़ होने पर हुई फतेह पर यहां एक नगर बसाया जिसका नाम फतेहाबाद रखा और नवजात शिशु का नाम फतेह खां रखा। उसके बाद से ही इस जिले का नाम फतेहाबाद पड़ गया।

    साल दर साल होता गया विकास

    15 जुलाई 1997 को जिले की स्थापना हुई थी। 25 साल बीत गए है और 26वें साल में प्रवेश कर चुके है। साल-दर साल जिला विकसित होता गया है। लेकिन आज भी अनेक चीजों की कमियां है जो इस साल पूरी हो सकती है। जिला मुख्यालय में सरकारी कालेज नहीं है। रेलवे स्टेशन 18 किलोमीटर भट्टू, 60 किलोमीटर टोहाना व जाखल में है। फतेहाबाद में रेल लाइन बनने की घोषणा हुई, लेकिन आज तक यह प्रोजेक्ट सीरे नहीं चढ़ पाया है। इसके अलावा शहरों का विकास हो गया। सेक्टर कट गए और आबादी भी बढ़ गई।

    आंकड़ों पर एक नजर:::::::

    जिले का गठन : 15 जुलाई 1997

    फतेहाबाद का क्षेत्रफल : 2538 वर्ग किमी

    उपमंडल- रतिया, टोहाना व फतेहाबाद

    तहसील- रतिया, टोहाना व फतेहाबाद

    उपतहसील- भूना, कुलां, भट्टूकलां व जाखल

    विकास खंड : भट्टूकला, भूना, नागपुर, फतेहाबाद, जाखल, रतिया व टोहाना

    मार्केट कमेटी - भट्टूकला, भूना, फतेहाबाद, जाखल, रतिया, टोहाना व धारसूल

    नगरपालिका- रतिया, जाखल व भूना

    नगर परिषद : फतेहाबाद व टोहाना

    पंचायतें : जिले में 260 पंचायतें हैं

    जिले में गांव- जिला में 301 गांव हैं

    :: जनसंख्या ::

    वर्ष 1997 में फतेहाबाद की जनसंख्या : 6 लाख 46 हजार 160

    वर्ष 2011 में फतेहाबाद की जनसंख्या : 9 लाख 42 हजार 240

    वर्ष 2019 मे फतेहाबाद की जनसंख्या : 10 लाख 50 हजार

    वर्ष 2022 में फतेहाबाद की जनसंख्या : 10 लाख 55 हजार

    साक्षरता दर प्रतिशत में

    वर्ष साक्षारता दर

    1961 17.2

    1971 22.8

    2001 60.2

    2011 68

    2019 73

    2020 75

    2021 75.3

    2022 75.6

    यह आंकड़ा प्रतिशत में

    ::: लिंगानुपात ::

    वर्ष 2013 : 850 प्रति हजार लड़कियां

    वर्ष 2014 : 820 प्रति हजार लड़कियां

    वर्ष 2015 : 894 प्रति हजार लड़कियां

    वर्ष 2016 : 923 प्रति हजार लड़कियां

    वर्ष 2018 : 893 प्रति हजार लड़कियां

    वर्ष 2019 : 924 प्रति हजार लड़कियां

    वर्ष 2020 : 937 प्रति हजार लड़कियां

    वर्ष 2021 : 898 प्रति हजार लड़कियां

    वर्ष 2022 : 987 प्रति हजार लड़कियां

    कृषि योग्य भूमि : 229966 हेक्टेयर भूमि

    सिंचित भूमि : 211768 हेक्टेयर भूमि

    मुख्य फसलें : गेहूं, बाजरा, ज्वार, जौ, दाले, धान, कपास, चना, सरसों।

    :::उद्योग:::

    कुल पंजीकृत उद्योग : 1500

    लघु उद्योगों की संख्या : 1077

    घरेलू पंजीकृत औद्योगिक इकाइयां : 15

    भाखड़ा से जिले की भूमि होती है सिंचाई

    फतेहाबाद जिले में भाखड़ा नहर का पानी आता है ऐसे में तस्वीर भी उसी से बदली। भाखड़ा बाध पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के लिए अमूल्य देन है। इस बांध का निर्माण का कार्य भी रायबहादुर कंवर सैन की देखरेख में हुआ। टोहाना के रहने वाले 24 जनवरी 1900 में जन्में कंवर सैन ने पहले 1940-41 में रोहतक में आई भयंकर बाढ़ का समाधान ढूंढा़ तभी उन्हें राय बहादुर का खिताब मिला। 1945-46 में जब भाखड़ा बांध की परियोजना बनी तब इस पूरे क्षेत्र में पानी की कमी थी और यहा रेतीले टिब्बे थे। आजाद भारत के बाद भाखड़ा डेम का निर्माण हुआ और 1953 में भाखड़ा नहर में पानी छोड़ा गया। इसी भाखड़ा नहर के सहारे धीरे-धीरे क्षेत्र की तस्वीर बदलती गई और रेतीले टिब्बों की जगह लहलाती फसलों ने किसान की तकदीर लिखी।

    परमाणु संयंत्र ने दिलाई विश्व में पहुचान

    गाव गोरखपुर में अणु परमाणु बिजली संयंत्र का निर्माण शुरू हो गया है। इसके लगने के साथ ही पूरे विश्व में जिले का नाम रोशन हुआ है। पहले गांव गोरखपुर को कोई नहीं जानता था, लेकिन जब से निर्माण कार्य शुरू हुआ है तभी से विश्व की पटल पर जिले का नाम भी आना शुरू हो गया है। हालांकि इसका निर्माण कार्य होने में अभी समय लगेगा। लेकिन जब शुरू हो जाएगा तो जिले का विकास भी तेजी से बढ़ेगा। गांव गोरखपुर व बड़ोपल की करीब 1503 एकड़ भूमि में बनने वाले परमाणु विद्युत संयंत्र में 28 सौ मेगावाट बिजली के लिए यहा चार इकाईया लगाई जाएंगी।

    संगीतकार व खिलाड़ियों ने दलाई पहचान

    गांव पीलीमंदोरी निवासी स्वर्गीय पंडित जसराज ने शास्त्रीय गायन में अलग पहचान बनाई। उन्हें पद्म विभूषण सम्मान से वर्ष 2000 में नवाजा गया। उन्हीं के परिवार से गायिका सुलक्षणा पंडित व फिल्मी कलाकार विजया पंडित के अलावा संगीतकार जोड़ी जतीन व ललित ने बॉलीवुड में अलग पहचान बनाई। पंडित जसराज फतेहाबाद स्थित अपने गांव आए थे। लेकिन पिछले दिनों उनकी मौत के बाद गांव में कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था। पर्वतारोही रामलाल, अर्जुन अवार्डी उदयचंद जांडली कलां, एथलेटिक्स में देश का नाम चमकाने वाले सुखवंत सिंह धीड़ माने हुए खिलाड़ी हैं। एथलीट मनोज कुमार, एथलीट संतोष कुमार जांडली, हाकी में रीना बैजलपुर, साइकिलिंग में सतीश कुमार धोलू, गीता रानी सुखलमपुर, सीमा रानी अयाल्की तथा हाकी में पूनम रानी बैजलपुर, सुनीता रानी फतेहाबाद, रजनी बोस्तीवाली, कविता धारसूल, मंगलसिंह टोहाना समैन की रामभतेरी व गांव बड़ोपल की क्रिकेट खिलाड़ी सुमन ने अलग ही पहचान दिलाई है।

    जिले की सबसे बड़ी उपलब्धि

    प्रदेश का पहला राष्ट्रपति स्काउट अवार्ड फतेहाबाद के हिस्से में आया था। वर्ष 1967 में राष्ट्रपति डा. जाकिर हुसैन राष्ट्रपति स्काउट अवार्ड फतेहाबाद निवासी डा. राजेन्द्र प्रसाद गर्ग को दिया। उन्होंने 16 वर्ष की आयु में स्काउट के सर्वोच्च पुरस्कार को प्राप्त किया। जिले के लिए यह सबसे बड़ी उपलब्धि है।

    25 सालों में ये आया बदलाव

    -जिला बनने के बाद लघु सचिवालय का निर्माण हुआ

    -फतेहाबाद में जिला न्यायालय व टोहाना व रतिया में उपमंडल न्यायालय स्थापित हुए।

    -माडल टाउन और सेक्टर भी कट गए।

    -अल्फा व सोमा जैसी राष्ट्रीय कंपनियों ने मकान बनाए। आज यहां पर अनेक लोग अपनी कोठियां बनाकर रह रहे

    -नेशनल हाइवे ने फोरलेन का रूप ले लिया जिससे दिल्ली तक का सफर आसान हो गया।

    -दरियापुर में फुटबाल अकेडमी व भोडियाखेड़ा में जिले का खेल स्टेडियम बना।

    -शहर में मल्टीस्टोरी पार्किंग स्थल का निर्माण हुआ।

    -वही शहर में कोई सिनेमा घर नहीं था वो भी अब पूरा हो गया।

    दूसरे कस्बों का यह है इतिहास

    :: रतिया ::

    फतेहाबाद से 25 किलोमीटर दूर स्थित रतिया का इतिहास 400 वर्ष पुराना है। बताया जा रहा है कि यहां जैसलमेर से सिद्धू व खोखर गोत्रीय की बस्ती बख्तावर सिंह द्वारा बसाई गई थी। इसीलिए बाबा बख्तावर सिंह की याद में अगस्त माह में मेला का आयोजन किया जाता है।

    :::टोहाना:::

    टोहाना जिला की प्रमुख तहसील है। हरियाणा के जिला हिसार में हासी के पश्चात टोहाना का किला ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस किले पर 38 बार विदेशी आक्रमण हुए जिससे इसकी महत्ता और आवश्यकता का अनुमान लगाया जा सकता है। सिंधु सभ्यता काल में टोहाना एक विकसित नगर रहा है। सरस्वती नदी के किनारे बसे इस नगर की चर्चा अष्टाध्यायी के प्रसिद्ध व्याकरणशास्त्री पाणिनि ने भी की है। यह सरोवर आज भी अनंगसागर के नाम से जाना जाता है। उसने इस आबादी का नाम अपने वंश तोमर के नाम तुराना रखा जो कालान्तर में तुराना से टोहाना हो गया।

    :::भूना:::

    प्राचीन समय में भूना को बाहुना नाम से जानते थे। उस समय यहां चारों ओर जंगल था और बाहुनाखाना नामक राजा का राज्य था जिसके नाम पर ही इसका नाम भूना पड़ा। वहीं कुछ इतिहासकार का मत है कि इस क्षेत्र में भूंकप ज्यादा आता था। कई बार भूंकप आने के बाद यहां थेह बना हुआ है जिसके नाम पर इसका नाम भूना पड़ा।

    :::जाखल:::

    घग्घर नदी के दायें पर जाक्खू द्वारा बसाई गई बस्ती को ही जाखल मंडी के रुप में जानते हैं। सन 1892 में यहां रेल लाइन बिछाई गई और कुछ समय बाद जींद-नरवाना-टोहाना-बठिंडा रेल लाइन डाली गई। अब यहां पर रेलवे लाइन विकसित तो नहीं हुई लेकिन ट्रेनों की आवाजाही अधिक बढ़ गई है।

    ::: जिले के ऐतिहासिक स्थल:::

    - पिरथला में एतिहासिक शिव मंदिर

    - झाड साहब गुरूद्वारा

    - बड़ोपल का बाबा रामदेव मंदिर

    - भिरड़ाना में हरियाणा की सबसे पुरानी हवेली

    - भूना में बाबा राणाधीर का मंदिर

    - टहलदास डेरा कमाना

    - अशोक की लाट

    - पुराना किला

    - शिवालय जोहडी मंदिर

    - गांव ढिंगसरा में मनसागर मंदिर