फास्टफूड खराब कर रहा बच्चों की तंदुरुस्ती, रोहतक में 25 प्रतिशत में मिल रही खून की कमी
रोहतक सिविल अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 100-150 तक छोटे बच्चों की ओपीडी होती है। इनमें 25 प्रतिशत तक बच्चों में खून की कमी मिल रही है। डाक्टर का कहना ह ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, रोहतक। आपके घर में बच्चे हैं तो यह आपके काम की खबर है। दरअसल, छोटे बच्चों का घर के भोजन और पौष्टिक आहार से मोहभंग हो रहा है। फास्टफूड की तरफ रुझान ऐसा बढ़ रहा है कि 25 प्रतिशत बच्चों में खून की कमी निकल रही है। सिविल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. जसबीर परमार ने चिंता जाहिर करते हुए सुझाव दिया है कि स्वजन ही बच्चों का बेहतर तरीके से ध्यान रख सकते हैं।
डा. परमार का कहना है कि सिविल अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 100-150 तक छोटे बच्चों की ओपीडी होती है। इनमें 25 प्रतिशत तक बच्चों में खून की कमी मिल रही है, जोकि चिंताजनक स्थिति है। इनका कहना है कि अधिक फास्टफूड, बाहरी खान-पान का इस्तेमाल करने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बच्चों की प्रभावित हो जाती है। लीवर से संबंधित बीमारियां भी बढ़ने के आसार होते हैं।
इसी तरह से बच्चे जब बड़े होते हैं तो उन्हें शुगर तक अपनी चपेट में ले सकती है। क्योंकि फास्टफूड से मोटापा बढ़ता है, इसी के बाद समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं। आंतों तक में सूजन आ सकती है। इससे पाचन शक्ति गड़बड़ा सकती है। इनका यह भी कहना है कि छोटे बच्चे कई बार चौक और मिट्टी व दीवारों पर जमी पपड़ी तक खा जाते हैं। ऐेसे में छोटे बच्चों का ध्यान स्वजन रखें।
यह करें इंतजाम, तभी बच्चे होंगे तंदुरुस्त
डा. जसबीर परमार का कहना है कि बच्चों को खिचड़ी, केला, चीकू, गुड़-शक्कर खाने को दें। इससे खून अधिक बढ़ता है। इसके साथ भुने हुए चने और पानी में भीगे हुए चने खाने को दें। दाल सबसे अधिक फायदेमंद हैं। हरी सब्जियों के अलावा मौसम के हिसाब से मिलने वाले फलों को खाने की भी बच्चों को आदत डलवाएं। दही, दूध, अमरूद भी सेवन करें। यह सभी पाचन शक्ति मजबूत करने के साथ ही खून की कमी भी दूर करेंगे। बच्चों को चाय-काफी, चाकलेट, बाहरी के चिप्स व अधिक तली-भुनी हुईं खाद्य-वस्तुएं, पेय पदार्थ न दें।

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