Protest on Delhi Border: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चले रहे आंदोलन के बदलने लगे समीकरण, बनाई जा रही है इस तरह की रणनीतियां
बहादुरगढ़ आंदोलन में भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा की महिला किसान नेता ज्योति कौर मनसा और छिन्दर कौर भालाईके ने आह्वान किया है कि नेता वोट मांगने आए तो पूछे एक सवाल दिन-रात मेहनत करने के बाद भी हमारी हालत क्यों बिगड़ती जा रही है।
बहादुरगढ़, जागरण संवाददाता। दिल्ली के सीमा पर तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दस माह पूरे होने को हैं। आंदोलन की धार धीरे-धीरे कुंद होती जा रही है। मगर इस धार को तेज करने के लिए बहादुरगढ़ में टीकरी बार्डर और बाईपास के साथ लगती आटो मार्केट में चल रही सभाओं में लगातार आंदोनलनकारियों को जागरूक किया जा रहा है। उनमें जोश भरा जा रहा है। आंदोलन को तेज करने के लिए लगातार गांवों में संपर्क कर ग्रामीणों को भी जागरूक किया जा रहा है और बार्डरों पर चल रहे धरने में भाग लेने का आह्वान किया जा रहा है।
अब आटो मार्केट में चल रही सभा में एक बात पर और भी जोर दिया जा रहा है कि पंजाब में चुनाव के दौरान नेताओं से कुछ सवाल किए जाएं। उन्हें किसानों की दशा के बारे में बताया जाए। सभा के माध्यम से बताया जा रहा है कि जो कानून ब्रिटिश राज में बनते थे वहीं कानून हमारे देश पर राज करने वाले लोग भी ला रहे हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे किस राजनीतिक दल के हैं।
भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा की महिला किसान नेता ज्योति कौर मनसा और छिन्दर कौर भालाईके ने आह्वान किया है कि इस लूट के शासन से छुटकारा पाने के लिए, हमें राजनीतिक दलों को घेरने की जरूरत है। जब वे चुनाव के दौरान गांवों में आते हैं तो उनसे एक ही सवाल पूछे कि दिन-रात मेहनत करने के बावजूद हमारी हालत क्यों बिगड़ती जा रही है? किसानों की हालत क्यों खराब होती जा रही है। उन्हें उनका हक क्यों नहीं दिया जा रहा है।
इस दौरान किसानों को कहा किया वोट मांगने नेता आए तो पूछे एक सवाल, दिन-रात मेहनत करने के बाद भी हमारी हालत क्यों बिगड़ती जा रही है। साथ ही आंदोलन में मंच से आह्वान किया जा रहा है कि पंजाब के गांवों में राजनीतिक दलों को घेरने की जरूरत है। वहीं आंदोलनकारियों का मानना है कि ग्रामीणों काे इस बारे में जागरूक भी करेंगे कि आंदोलन को तेज करने के लिए बढ़ाई संख्या जाएंगी।