सिरसा में पराली को जलाने की बजाय भूमि में मिलाकर उपजाऊ शक्ति बढ़ा रहे किसान सुखविंद्र सिंह
सिरसा के गांव सुलतानपुरिया का किसान सुखविंद्र सिंह पिछले छह सालों से पराली को भूमि में मिलाने का कार्य कर रहा है। इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ रही है जिससे उत्पादन बढ़ रहा है। किसान सुखविंद्र सिंह के पास 40 एकड़ भूमि है।

जागरण संवाददाता, सिरसा। सिरसा में कई ऐसे किसान हैं जो पराली जलाने की बजाय प्रंबधन में विश्वास रखते हैं। गांव सुलतानपुरिया का किसान सुखविंद्र सिंह पिछले छह सालों से पराली को भूमि में मिलाने का कार्य कर रहा है। इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ रही है जिससे उत्पादन बढ़ रहा है। किसान सुखविंद्र सिंह के पास 40 एकड़ भूमि है। वह प्रतिवर्ष धान फसल की रोपाई करता है। उसने चार साल पहले बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए पराली नहीं जलाने का फैसला लिया। इसके बाद सुखविंद्र पराली को भूमि में मिलाने लगा। इससे अब फसलों का उत्पादन बढ़ने लगा। जिससे पड़ोसी किसानों ने भी धान की पराली जलाना बंद कर दिया है।
पराली नहीं जलाने पर मिला सम्मान
किसान सुखविंद्र सिंह धान की पराली न जलाने के साथ दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहा है। इसके लिए जब भी समय मिलता है दूसरे गांव में जाकर भी किसानों को जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं। जिसको लेकर किसान सुखविंद्र सिंह को पिछले साल कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित जिला स्तरीय समारोह में सम्मानित किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डा. सुनील बैनीवाल ने कहा कि किसान पराली न जलाकर बहुत अच्छा कार्य कर रहा है। पराली जलाने से जहां प्रदूषण बढ़ता है वहीं इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति कमजोर होती है। किसान अगर लगातार धान की पराली जलाते रहे तो इससे भूमि में फसलों का उत्पादन बहुत कम हो जाएगा। वहीं भूमि भी बंजर होने का खतरा बढ़ जाएगा।
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धान की पिछले चार साल से पराली नहीं जला रहा हूं। पराली को भूमि में मिलने का कार्य रहा है। इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ रही है। इससे उत्पादन भी धीरे धीरे बढ़ रहा है। वहीं रासायनिक खादों का प्रयोग भी कम करना पड़ रहा है।
सुखविंद्र सिंह, किसान, सुलतानपुरिया
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