Famous temple of Hisar: 52 सालों से कच्चे टीले पर बाबा श्याम के शीश की रखी मूर्ति
Famous temple of Hisar बीड़ बबरान में मंदिर के पास एक बरगद का पेड़ भी है। इस पेड़ के हर पत्तों में आज भी सुराख है। बताया जा रहा है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी बरगद के पेड़ के नीचे बर्बरीक की परीक्षा ली थी।

हिसार, कुलदीप जांगड़ा। हिसार से पांच किलोमीटर की दूरी पर बसा गांव बीड़ बबरान। जो अपनी प्राचीनता एवं अखंडता से प्रसिद्ध है। 1970 के दशक में बीड़ बबरान गांव के जंगलों में बाबा श्याम की प्राचीन पत्थरों से बनी मूर्ति मिली थी। इस मूर्ति को कच्चे टीले पर रखा था। यह बाबा श्याम शीश के आकार में बनी है। यह काली कसौटी का पत्थर है, जो जल्दी से कहीं मिलता भी नहीं। यह आज मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है।
अब मंदिर बनाने के लिए एक एकड़ जमीन की पशुपालन एवं डेयरी विभाग से मांग
गांव के अलावा नजदीकी गांव या दूरदराज क्षेत्र से भी लोग मंदिर में धोक लगाने आते है। गांव के लोग भी काफी मान्यता रखते है। पांडव पुत्र भीम के प्रपोत्र बर्बरीक को ही बाबा श्याम के नाम से जाना जाता है। बर्बरीक का भी गांव से गहरा नाता रहा है। तभी गांव का नाम बीड़ बबरान रखा गया था। पहले यहां घना जंगल था।
बाबा श्याम का भव्य मंदिर बनाया जा सके
अब श्री श्याम बाबा मंदिर ट्रस्ट बीड़ बबरान ने श्याम बाबा का मंदिर बनाने के लिए एक एकड़ जमीन की मांग को लेकर पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। ट्रस्ट का कहना है कि विभाग द्वारा निर्धारित मानदेय तय होने के बाद ट्रस्ट जमा करवा देगा। पहले यह जमीन केंद्र सरकार के दायरे में आती थी, क्योंकि यह जमीन जीएलएफ की थी। मगर बाद में जीएलएफ से लुवास में आ गई। अभी मौजूद जहां पर मंदिर बना है। यह क्षेत्र लुवास में है। इसलिए पशुपालन एवं डेयरी विभाग से जमीन की मांग रखी है, ताकि इस जगह पर बाबा श्याम का भव्य मंदिर बनाया जा सके।
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बर्बरीक काैरव-पांडवों के युद्ध में शामिल होने के लिए कुरुक्षेत्र जा रहे थे। रास्ते में जाते समय बर्बरीक ने बीड़ बबरान के जंगलों में एक रात रूके थे। उसी दौरान भगवान श्रीकृष्ण की बर्बरीक से मुलाकात हुई थी।
बरगद पेड़ के पत्तों में आज भी सुराख
बीड़ बबरान में मंदिर के पास एक बरगद का पेड़ भी है। इस पेड़ के हर पत्तों में आज भी सुराख है। बताया जा रहा है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी बरगद के पेड़ के नीचे बर्बरीक की परीक्षा ली थी। अगर बर्बरीक किसी भी पक्ष में युद्ध करता तो उसकी विजय निश्चित थी, क्योंकि उसके पास तीन बाण दिव्य अस्त्र थे। इसलिए बर्बरीक की परीक्षा ली गई थी। भगवान श्रीकृष्ण ने बरगद के हर पत्तों को बाण से भेदने को कहा था और एक पत्ता पांव के नीचे दबा लिया था। बर्बरीक का बाण या तीर पेड़ के सभी पत्ते भेद दिए, पर भगवान श्रीकृष्ण के पांव के नीचे रखे पत्ते को भेद नहीं पाया था। क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण के पांव में पदम था।
तूफान में पेड़ गिरा, पर लोगों की श्रृद्धा से फिर हरा-भरा हुआ
यह बरगद का पेड़ करीब दो साल पहले बारिश में आंधी या तूफान के कारण गिर गया था और सूख गया था। मगर ग्रामीणों की बरगद के पेड़ से काफी श्रृद्धा थी और इस पेड़ को जेसीबी से दोबारा लगाया और इसकी टहनियां लगाई। छह माह के बाद पेड़ हरा-भरा होना शुरू हो गया। इससे गांव के लोगों में आस्था गहरी हुई।
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