कभी बरवाला की जीवन रेखा माना जाता था मीठे पानी का मशहूर और ऐतिहासिक कुआं
सैकड़ों वर्ष पुराने इस ऐतिहासिक कुएं से पुराने समय में रस्सों की सहायता से पानी खींचा जाता था और सुबह चार बजे ही यहां से पानी भरने का दौर शुरू हो जाता ...और पढ़ें

बरवाला [राजेश चुघ] कभी बरवाला की जीवन रेखा माना जाने वाला मीठे पानी का मशहूर और ऐतिहासिक कुआं पानी के बदलाव के कारण अब लंबे समय से बंद पड़ा है। सैकड़ों वर्ष पुराने इस ऐतिहासिक कुएं से पुराने समय में रस्सों की सहायता से पानी खींचा जाता था और सुबह चार बजे ही यहां से पानी भरने का दौर शुरू हो जाता था जो रात को आधी रात तक चलता था। बुजुर्गों की मानें तो इलाके में यही एकमात्र मीठे पानी का कुआं था। बाकी आसपास के जितने भी कुएं थे उनका पानी इस प्रकार से मीठा नहीं था।
इसलिए इस कुएं पर पानी भरने के लिए बरवाला ही नहीं बल्कि कई गांवों के लोग भी पानी भरने के लिए आया करते थे। बरवाला के पुराना बस अड्डा पर नगर पालिका कार्यालय के गेट के बिल्कुल नजदीक इस ऐतिहासिक कुएं के मीठे पानी को लोग आज भी याद करते हैं। लेकिन इस कुएं का पानी खारा हो जाने के कारण इसे बंद करना पड़ा और इस पर लोहे का जाल डाल दिया गया।
कई परिवारों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई थी इस कुएं के पानी के से
पुराने समय में शहर में कई परिवार ऐसे थे जो इस मीठे पानी के कुएं से पानी भर कर शहर में घर-घर और दुकान-दुकान सप्लाई करते थे और इस तरह वे अपना पेट पालते थे। बरवाला में पानी को कंधों पर कावड़ के माध्यम से भी ढोया जाता था। बांस की कावड़ पर आगे और पीछे दोनों तरफ पानी के बर्तन इस प्रकार रखे जाते थे जिस प्रकार इतिहास में श्रवण कुमार की कहानी आती है कि उसने अपने माता पिता को कंधे पर कावड़ में बिठाकर तीर्थ यात्रा कराई थी। इसी प्रकार यहा पर पानी ढोने का काम कुछ परिवार करते थे।
समय बदला और रस्सों से पानी खींचने का चलन हुआ बंद
इसके बाद समय बदला और रस्सों से पानी खींचने का चलन बंद हुआ। बरवाला में इस ऐतिहासिक कुएं में बिजली की मोटर लगा दी गई और बाहर एक टंकी बनाकर उसमें पानी डाला जाता था। टंकी से नीचे कई टोंटिया लगा दी गई ताकि लोग आसानी से उससे पानी भर सकें। यह दौर भी लंबे समय तक चला। सुबह और शाम ही नहीं बलि्क सारा दिन इस टंकी में पानी रहता था। लोग आसानी से यहां से पानी भरने लगे। इस बीच पानी का स्वाद जब बदल गया तो सरकार की ओर से पानी के सैंपल भी समय-समय पर लिए जाते रहे। वह पानी के सैंपल जब फेल आए तो इस कुएं को बंद कर दिया गया और जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा कुएं के बाहर बनाई गई पानी की टंकी में पेयजल आपूर्ति की पाइप लाइन डाल दी गई। अब इस टंकी में कुएं के पानी की बजाए जलघर से पानी सप्लाई किया जाता है और उसी पानी को आसपास के लोग भरते हैं।

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