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    Kisan andolan, आंदोलनकारी युवाओं के परिजनों को सता रही उनके भविष्य की चिंता, आंदोलन पर पड़ सकता है असर

    By Umesh KdhyaniEdited By:
    Updated: Sat, 29 May 2021 07:56 AM (IST)

    हरियाणा सरकार की ओर से बनाए क्षतिपूर्ति कानून का डर आंदोलनकारियों में दिखने लगा है। नए युवाओं की भागीदारी आंदोलन में कम होने लगी है। पढ़े लिखे बेराेजगार युवा भी आंदोलन से धीरे-धीरे कदम पीछे खींच रहे हैं। इस बात से किसान नेताओं के होश उड़े हुए हैं।

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    हिसार में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में हिंसा में 350 लोगों पर केस दर्ज किए गए। इनमें अधिकतर युवा हैं।

    हिसार [चेतन सिंह]। हरियाणा सरकार द्वारा हाल ही बनाए क्षतिपूर्ति कानून का डर अभी से आंदोलनकारियों में दिखने लगा है। वहीं हिसार में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान पुलिस व किसान संगठनों के बीच हुई हिंसा में 350 लोगों पर केस दर्ज किए गए। इनमें अधिकतर युवा हैं। हालांकि प्रशासन ने एफआइआर रद करने के लिए सहमति जताई है। मगर बावजूद इसके आंदोलकारी आंदोलनकारी युवाओं के स्वजन काफी चिंतित हैं।

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    इसका असर बॉर्डर व टोल नाकों पर चल रहे किसान आंदोलन पर देखा जा सकता है। नए युवाओं की भागीदारी आंदोलन में कम होने लगी है। पढ़े लिखे बेराेजगार युवा भी आंदोलन से धीरे-धीरे कदम पीछे खींच रहे हैं। ऐसे में इस बात से किसान नेताओं के होश उड़े हुए हैं और इसी पर मंथन किया जा रहा है। तय किया गया है कि जो सरकार की दर्ज कराई एफआइआर को हवा हवाई बताया जाए और क्षतिपूर्ति कानून महज डराने वाला कानून है इसके लिए गांव-गांव प्रचार किया जाए। अब किसान नेताओं ने अपना भाषण भी इसी पर केंद्रित कर लिया है। बुजुर्गों व महिलाओं से अपील की जा रही है कि इस तरह के कानून और एफआइआर से डरने की जरूरत नहीं है। यह सरकार के बनाए होते हैं जो समय के साथ खत्म हो जाते हैं।

    आंतरिक कमेटी का किया गया है गठन

    इसके लिए आंतरिक तौर पर कमेटी का गठन किया है जो गांव-गांव जाकर युवाओं और उनके स्वजनों को समझा रही है। इसकी शुरुआत हिसार से हुई। भाकियू के प्रदेश महासचिव दिलबाग सिंह हुड्डा ने वीरवार को रामायण टोल पर अपना भाषण इन्हीं बिंदुओं पर केंद्रित रखा। उन्होंने अपने भाषण में 16 अप्रैल को हुई हिंसा में दर्ज एफआइआर और क्षतिपूर्ति जैसे कानून पर केंद्रित रखा और बुजुर्गों व महिलाओं को समझाने का प्रयास किया। हालांकि किसान नेता आंतरिक तौर पर इस बात से चिंतित भी है। मगर वह इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं है।

    हिंसा करने वालों की पहचान की जा रही : हुड्डा

    इस बारे में किसान नेता दिलबाग सिंह हुड्डा ने कहा कि युवाओं की भागीदारी पहले की तरह है मगर फिर भी हम उनको हाेश के साथ जोश रखने की सलाह दे रहे हैं। 16 दिसंबर को जो हुआ वह गलत हुआ। इसके लिए प्रशासन भी जिम्मेदार है। उनकी भी युवाओं से अपील है कि जोश के साथ होश रखना जरूरी है। संगठन की ओर से एक कमेटी बनाई गई है जो उन लोगों की पहचान कर रही है जो हिंसा कर रहे थे। जल्द ही उनकी पहचान कर उनको आंदोलन से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।