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    राखीगढ़ी की खोदाई शुरू, हड़प्पा कालीन संस्कृति से रूबरू होंगे पर्यटक

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 11 Sep 2021 06:06 AM (IST)

    राखीगढ़ी को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने केंद्र सरकार ने कदम उठाया है।

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    राखीगढ़ी की खोदाई शुरू, हड़प्पा कालीन संस्कृति से रूबरू होंगे पर्यटक

    फोटो : 31 और 32 सुनील मान, नारनौंद

    राखीगढ़ी को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने रोड मैप खींच दिया है। इसके तहत टीला संख्या एक पर साइट को खोद कर खुला छोड़ा जाएगा, ताकि देशी-विदेशी पर्यटक हड़प्पा कालीन संस्कृति से रूबरू हो सकें। सरकार इस साइट का लगातार विस्तार करने की योजना पर काम करेगी। सबसे पहले टीला संख्या एक को विकसित किया जाएगा।

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    हड़प्पा कालीन संस्कृति की दुनिया की सबसे बड़ी साइट राखीगढ़ी को केंद्र सरकार पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने जा रही है। इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी खोदाई के लिए राखीगढ़ी में पहुंच चुके हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिल्ली के संयुक्त महानिदेशक डा. संजय मंजूल ने शुक्रवार को खोदाई का काम भी शुरू कर दिया है। खोदाई सबसे पहले टीला नंबर एक पर होगी, क्योंकि इसी टीले पर पहली खोदाई में जो अवशेष निकले थे। उनको दोबारा से खोद कर खुला छोड़ा जाएगा ताकि पर्यटक उनको देखकर जिज्ञासा शांत कर सकें। अब तक जो भी पर्यटक राखीगढ़ी के टीलों को देखने के लिए आते थे तो उनको निराशा हाथ लगती थी। सरकार ने राखीगढ़ी के महत्व को समझते हुए इसको आइकानिक साइट घोषित किया है और इसके लिए करोड़ों रुपए के बजट की घोषणा 2020 में कर दी थी। सरकार ने इस साइट का विकास करने के लिए अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को जिम्मेवारी सौंपी है।

    टीम में ये हैं शामिल

    खोदाई करने के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग की टीम से डिप्टी डायरेक्टर हिजार आलम हाशमी, सहायक पुरातत्वविद विनय कुमार राय कुमार सौरभ, पंकज चोसाले, सर्वेयर व ड्राफ्ट्समैन दिल्ली पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से कमलेश ठाकुर, केवल सिंह देहरादून सर्कल से सर्वेयर गणेश नेगी व केवल की टीम यहां काम कर रही है।

    1997 में शुरू हुई थी खोदाई

    टीला संख्या एक पर सबसे पहले 1997 से 2000 के बीच खोदाई की गई थी। उस समय खुदाई के दौरान चौंकने वाले अवशेष मिले थे। जिनमें तंदूर भी पाया गया था। इससे साबित होता था कि उस समय भी लोग अपना भोजन पका कर खाते थे। आसपास भारी मात्रा में भेड़ बकरियों की हड्डियां भी मिली थीं।

    दुनिया जानेगी राखीगढ़ी का महत्व

    भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संयुक्त महानिदेशक डा. संजय मंजूल ने बताया कि आज काफी महत्वपूर्ण दिन है। राखीगढ़ी दुनिया में अहम स्थान रखता है। अभी तक बड़े लेवल पर इसका विकास नहीं हो सका। अब इसके विकास को लेकर हम कार्य करेंगे कुछ साइटों को खुला छोड़ा जाएगा। ताकि आने जाने वाले पर्यटक खोदाई की हुई साइटों को देख सके।