रोहिड़ा के पौधे लगाने से सशक्त होंगे किसान, आमदनी भी बढ़ेगी और पर्यावरण संरक्षण भी होगा
किसान खेती के साथ-साथ रोहिड़ा के पौधे लगाकर अपनी आमदनी भी बढ़ा सकता है। इससे न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ेगी ब्लकि पर्यावरण संरक्षण भी होगा। रोहिड़ा की लकड़ी मजबूत टिकाऊ व बहुत सुंदर फिनिश वाली होती है।

सिरसा, जागरण संवाददाता। खेतों में किसान रोहिड़ा के पौधे लगाकर आमदनी बढ़ा सकते हैं। रोहिड़ा की लकड़ी की डिमांड काफी बढ़ रही है। क्योंकि लकड़ी के लिए यह एक महत्वपूर्ण और गुणकारी वृक्ष है। इसकी लकड़ी काफी सख्त, रवादार सलेटी से पीले रंग की होती है। इसकी लकड़ी मजबूत, टिकाऊ व बहुत सुंदर फिनिश वाली होती है। इसकी छाल विभिन्न बीमारियों के लिए उपयुक्त है। मुख्यतया मूत्र रोग, चमड़ी के रोगों व जिगर के रोगों में इसका विशेष महत्व है।
आर्द शुष्क जलवायु के लिए रोहिड़ा उपयुक्त
आर्द शुष्क जलवायु के लिए रोहिड़ा कृषि वानिकी की एक उपयुक्त किस्म है, जो कृषि की फसल को हानि नहीं पहुंचती है। रोहिड़ा बीज द्वारा आसानी से अंकुरित होता है और इसका पूर्व उपचार की आवश्यकता नहीं होती, यद्यपि बीज को चार घंटे के लिए पानी में डूबो देने से यह एक समान अंकरित होने के लिए प्रभावशाली बन जाता है। जब पौधा 9 से 12 महीने का हो तब उसे भुर भुरी मिट्टी में लगा दें। जिससे कि वह अधिक देर तक जीवित रह सके और बढ़ सके।
छोटे आकार का वृक्ष होता है रोहिड़ा
रोहिड़ा एक सदाबार लंबी झाड़ी या छोटे आकार का वृक्ष होता है। जिसकी शाखाएं झुकी हुई और तना मुड़ा हुआ होता है। इसमें नवंबर के प्रथम सप्ताह से पतझड़ आरंभ हो जाता है और मार्च के अंत तक बना रहता है। यह वृक्ष स्वयं भी और दूसरों के द्वारा भी परागित होता है। इसके फूल आने का समय दिसंबर से अप्रैल के मध्य तक का है। मई और जून के दौरान इसके फल तैयार होत हैं। पौधों की अंकुरण क्षमता फसल के तुरंत बाद होती है।
पौधे लगाने बहुत जरूरी
कृषि विज्ञान केंद्र सीनियर कोडिनेटर डा. देवेंद्र बैनीवाल ने बताया कि रोहिड़ा से जहां किसान बढ़ा सकते हैं। इसी के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधे लगाने बहुत जरूरी है। किसान रोहिड़ा के पौधे खेतों के चारों ओर भी लगा सकते हैं।
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