'रोज 3-3 हत्याएं हो रही हैं...' कानून व्यवस्था को लेकर दुष्यंत चौटाला ने नायब सरकार को घेरा
हिसार के नारनौंद में मुर्रा नस्ल की भैंस धन्नो रानी के जीवन-जग समारोह में पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शिरकत की। उन्होंने प्रदेश की पुलिस व्यवस्था पर तंज कसते हुए कहा कि आज गुंडे नायाब हैं और पुलिस गायब है। चौटाला ने मनीषा मामले में सीबीआई जांच का समर्थन किया और छात्रों के धरने पर सरकार से समाधान निकालने का आग्रह किया।
संवाद सहयोगी, नारनौंद (हिसार)। आज गुंडे नायाब हैं, पुलिस गायब है। सरकार और प्रदेश में मौजूदा पुलिस व्यवस्था पर तंज कसते हुए यह वाक्य पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहें। मौका था प्रदेश की पहचान मानी जाने वाली मुर्रा नस्ल की मशहूर भैंस धन्नो रानी का रविवार को गांव सिंघवा खास में आयोजित भव्य जीवन-जग समारोह का।
इस कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शिरकत की थी। बता दें कि धन्नो रानी छह बार की राष्ट्रीय चैंपियन रह चुकी है और उसने अपने 25 साल के लंबे जीवनकाल में कई बार गांव और प्रदेश का नाम रोशन किया। इस मौके पर प्रदेशभर से पशुपालक पहुंचे और भैंस के मालिक ईश्वर सिंघवा के परिवार को बधाई दी।
इस दौरान प्रदेशभर के अनेक पशुपालकों को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला द्वारा सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम के आयोजक ईश्वर सिंघवा ने बताया कि धन्नो को वर्ष 2008 में खरीदा गया था। 2008 से लगातार यह भैंस अवार्ड जीतती रही। इसके बाद लगातार 2015 तक इसने नेशनल लेवल पर खिताब जीते। धन्नो ने हमारे गांव ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा को देशभर में पहचान दिलाई।
इस कार्यक्रम के दौरान पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि आज हरियाणा में गुंडे नायाब हैं और पुलिस गायब है। हर रोज तीन-तीन हत्याएं हो रही हैं। पुलिस का डर खत्म हो चुका है। पिछले एक साल में जितने एनकाउंटर हुए हैं, उनमें हर अपराधी को गोली पांव में ही लगी है। मुझे लगता है कि हरियाणा पुलिस को ओलंपिक में गोल्ड मेडल मिलना चाहिए, क्योंकि कोई अपराधी बिना पांव पर गोली खाए नहीं गया।
चौटाला ने मनीषा मामले में कहा कि अब यह केस सीबीआई को सौंपा गया है। ऐसे में किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले जांच एजेंसी को काम करने देना चाहिए। जो भी दोषी होगा, उस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। एचएयू के छात्रों के धरने को लेकर भी चौटाला ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा बनाई गई कमेटी ने जिन मांगों को मान लिया था, उन्हें अब टालना गलत है। छात्रों की बातें सुनी जाएं और समाधान निकाला जाए।
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