डॉ. हरिगोविंद खुराना का यह राज चौंका देगा आपको, हरियाणा की माटी से था गहरा नाता
मशहूर वैज्ञानिक डॉ. हरगोविंद खुराना का हरियाणा से गहरा नाता था, लेकिन दुर्भाग्य से कुछ ललची लोगों ने उनकी राज्य से जड़ी यादों को नष्ट कर दिया है। ...और पढ़ें

सुनील मान, नारनौंद (हिसार)। दुनिया के मशहूर वैज्ञानिक आैर नोबल पुरस्कार विजेता डॉ. हरगोविंद खुराना का हरियाणा की माटी से गहरा रिश्ता था। हरियाणा से उनके जुड़े उनके राज आपकाे चौंका देंगे। आजादी के बाद उनका परिवार हिसार जिले के नारनौंद में आकर बस गए था। उन्होंने शुरूआती पढ़ाई यहां के सरकारी स्कूल में ग्रहण की और फिर रोहतक जाकर अपनी शिक्षा पूरी की। पूरे विश्व में उनका नाम रोशन है, लेकिन नारनौंद में उनके निशान मिटा दिए गए। उनकी जमीन पर कब्जे कर लिए गए और उनका मकान तक ध्वस्त कर सारी पहचान मिटा दी गई।
22 एकड़ पुश्तैनी भूमि चचेरे भाई को सौंप रोहतक बस गए थे डॉ. खुराना, फिर अमेरिका चले गए
डॉ. हरगोविंद खुराना का परिवार नारनौंद के पुराने बाजार स्थित एक मकान में रहता था। नारनौंद क्षेत्र में उनकी 22 एकड़ जमीन भी थी। उन्होंने आठवीं कक्षा तक की शिक्षा कस्बे के सरकारी स्कूल में ग्रहण की। उसके बाद उनका परिवार रोहतक में चला गया। नारनौंद से जाते समय अपना घर और पुश्तैनी जमीन चचेरे भाई रामजीदास खुराना को देखरेख के लिए देकर गए थे।

डॉ. हरगाेविंद खुराना की फाइल फोटो।
नोबल पुरस्कार विजेता डॉ. हरगोविंद खुराना ने नारनौंद से की आठवीं तक की पढ़ाई
बताया जाता है कि बाद में उसमें से कुछ जमीन रामजीदास व उसके गोद लिए पुत्र चांददास ने बेच दी थी और कुछ जमीन पर लोगों ने कब्जा कर लिया। नारनौंद के कुछ लोगों ने उनकी जमीन से कब्जा छुड़वाने के प्रयास किए थे, लेकिन राजनेताओं की मिलीभगत के कारण कब्जा नहीं छूट पाया। आज डॉ. हरगोविंद खुराना का नारनौंद में न तो मकान बचा है और न ही जमीन। इस तरह से नोबल पुरस्कार विजेता का नाम नारनौंद के इतिहास से धूमिल हो चुका है।
.jpg)
यादों में डॉ. हरगाविंद खुराना।
बता दें कि डॉ हरगोविंद खुराना को वर्ष 1968 में प्रोटीन संश्लेषण में न्यूक्लिटाइड की भूमिका का प्रदर्शन करने के लिए चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें यह पुरस्कार साझा तौर पर दो और अमेरिकी विज्ञानियों के साथ दिया गया।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।