Updated: Mon, 22 Sep 2025 07:47 PM (IST)
हरियाणा के सोरखी गांव में सरकारी फंड को लेकर विवाद गहरा गया है। सरपंच के घर पर हमला होने के बाद सरपंच और उनका परिवार गांव छोड़कर चले गए हैं। ग्रामीणों ने विधायक से सुरक्षा की गुहार लगाई है। विवाद की जड़ में पंचायत की जमीन का मुआवजा है जिसके उपयोग को लेकर गांव दो गुटों में बंट गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
संवाद सहयोगी, हांसी/नारनौंद। बास क्षेत्र के सोरखी गांव में सरकारी फंड को लेकर बीते दिनों हुआ विवाद अब गहराता जा रहा है। रविवार को गांव के सरपंच रामचंद्र के घर पर करीब 100–150 लोगों ने हमला कर दिया। हमलावरों ने पहले घर में लगे सीसीटीवी कैमरों की तारें काटीं और फिर सरपंच व उनकी पत्नी के साथ हाथापाई की। घटना के बाद सरपंच परिवार ने जान का खतरा बताते हुए गांव छोड़ दिया।
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सोमवार सुबह सरपंच समेत करीब 100 ग्रामीण महिलाएं हांसी विधायक विनोद भयाना के आवास पर पहुंचें और उन्हें पूरी घटना की जानकारी दी। ग्रामीणों ने कहा कि गांव में हालात इतने तनावपूर्ण हैं कि अगर वे लौटते हैं तो उनकी जान को गंभीर खतरा हो सकता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए विधायक भयाना ने तुरंत पुलिस अधीक्षक से बात की।
एसपी ने बताया कि इस घटना को लेकर एससी-एसटी एक्ट सहित कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है और जांच जारी है। विधायक ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि प्रशासन उनकी सुरक्षा और मदद के लिए हरसंभव कदम उठाएगा। दरअसल विवाद की जड़ 2014-15 में हिसार-दिल्ली नेशनल हाईवे निर्माण के दौरान ग्राम पंचायत की जमीन का मिला मुआवजा है।
उस समय पंचायत खाते में एक करोड़ 21 लाख रुपये जमा हुए थे। अब इस राशि के उपयोग को लेकर गांव में दो पक्ष आमने-सामने है। एक पक्ष चाहता है कि पैसा इंद्रगिरी डेरे में लगाया जाए, जबकि सरपंच रामचंद्र का कहना है कि इस धनराशि का उपयोग अन्य सार्वजनिक कार्यों में होना चाहिए।
फिलहाल गांव में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। डीएसपी देवेंद्र नैन ने कहा कि वे स्वयं गांव जाकर स्थिति का जायजा लेंगे और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। वहीं सोरखी के पंच अशोक कुमार ने सरपंच के आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि इंद्र गिरी डेरा में हुई पंचायत में सभी बिरादरी के लोग मौजूद थे।
सरपंच को केवल विकास कार्यों पर चर्चा के लिए बुलाया गया था। जब वह नहीं आए तो लोग उसके घर पर गए, लेकिन वहां किसी तरह की गाली-गलौज या धमकी नहीं दी गई। ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।
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