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    'कानून का उल्लंघन कर रही सरकार', हिसार में सीनियर डिप्टी मेयर के चुनाव की देरी पर विपक्ष ने उठाए सवाल

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 03:24 PM (IST)

    हिसार नगर निगम में सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव छह महीने से अधिक समय से लंबित हैं, जबकि सत्ता पक्ष के पास 85% से अधिक बहुमत ह ...और पढ़ें

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    हिसार नगर निगम। (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, हिसार। हिसार नगर निगम में सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव अधर में लटका हुआ है। शहर की सरकार के शपथग्रहण को छह महीने 26 दिन बीत जाने के बाद भी यह दो संवैधानिक कुर्सियां अभी तक खाली हैं। सत्तापक्ष के पास नगर निगम में मेयर हैं, पार्षद हैं और 85 प्रतिशत बहुमत के साथ संख्या बल भी है, फिर भी पता नहीं क्यों सरकार नगर निगम के इस चुनाव से परहेज कर रही है।

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    इन सबके बीच सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। विपक्ष ने मेयर और निगम आयुक्त को पत्र भेजकर चुनाव करवाने की मांग की है। विपक्ष का आरोप है कि शपथग्रहण को महीनों बीत चुके हैं, लेकिन चुनाव न कराना सत्ता पक्ष की नीयत पर सवाल खड़े करता है। निगम में कांग्रेस के एकमात्र निर्वाचित वार्ड-19 के पार्षद सत्यवान पानू ने तीखे और गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि मौजूद सरकार हरियाणा नगर निगम एक्ट 1994 की अवहेलना कर रही है।

    क्या कहते हैं आंकड़े?

    गौरतलब है कि वर्तमान नगर निगम में भाजपा का दबदबा है। 20 में से 17 पार्षद भाजपा के, दो निर्दलीय समर्थन में यानी कुल 19 पार्षद सत्ता पक्ष के साथ हैं। 85 प्रतिशत से अधिक बहुमत होने के बावजूद चुनाव न होना, सियासी गणित से ज्यादा सियासी मनोविज्ञान की ओर इशारा करता है। सवाल यह है कि जब जीत तय है, तो मतदान से डर क्यों है।

    तारीखें जो सवाल पूछती हैं

    • 2 मार्च : निगम चुनाव
    • 12 मार्च : परिणाम घोषित
    • 25 मार्च : शपथग्रहण
    • इन तारीखों के बाद कैलेंडर चलता रहा, लेकिन चुनाव की घड़ी जैसे थम गई।

    निगम की तस्वीर : संख्या में शक्ति

    • 20 वार्डों: 17 भाजपा, 1 कांग्रेस, 2 निर्दलीय
    • 7 महिला पार्षद : संख्या बलशाली है, पर निर्णय कमजोर दिखाई दे रहा है।

    क्या कहता है कानून?

    हरियाणा नगर निगम एक्ट 1994 साफ-साफ कहता है कि

    • धारा 36(1) : चुने हुए पार्षदों में से सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव अनिवार्य।
    • धारा 56(1) : हर माह कम से कम एक हाउस की मीटिंग जरूरी।
    • धारा 56(2) : 1/4 पार्षद (20 में से 5) लिखित निवेदन दें तो 48 घंटे में स्पेशल मीटिंग बुलाई जा सकती है।
    • धारा 55(1) : कोरम सिर्फ 1/3 - यानी 7 पार्षद ही चुनाव प्रक्रिया शुरू करवा सकते हैं।
    • धारा 55(2) : मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर इत्यादि की अनुपस्थिति में निगम की मीटिंग को चालू रखने के लिए पार्षदों में से ही किसी एक को प्रेजाइडिंग आफिसर चुन सकते है।

    चुनाव के नियम?

    • नियम 72 : एक प्रत्याशी हो तो सर्वसम्मति, ज्यादा हों तो बैलेट से चुनाव।
    • नियम 73 : वोट बराबर हों तो ड्रा से फैसला। यानि प्रक्रिया इतनी आसान कि बहाना ढूंढना ज्यादा कठिन है।

    जानें: पूर्व जनप्रतिधियों ने जब जानकारी के अभाव में गंवाई थी कुर्सियां

    26 फरवरी 2019 को भी सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव थे। तब सत्ता पक्ष चुनाव नहीं करवाने के लिए अपने पार्षदों को राजधानी घुमाने ले गया। उधर नौ पार्षद निगम गेट से करीब 100 मीटर दूर बैठे रहे, सिर्फ इसलिए कि उन्हें लगा चुनाव के लिए 50 प्रतिशत से एक ज्यादा पार्षद चाहिए। अंदर आयुक्त एक्ट की किताब लेकर बैठे थे, बाहर पार्षद अज्ञान के कारण पद गंवा बैठे। इतिहास मानो आज फिर मुस्कुरा रहा है फर्क सिर्फ इतना है कि अब जानकारी है, इच्छाशक्ति नहीं। शायद सत्तापक्ष का डर है।

    मैंने नगर निगम के सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव करवाने के लिए मेयर और निगम आयुक्त को पत्र भेजे हैं।- सत्यवान पानू, पार्षद (कांग्रेस)"।