Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Chandra Grahan 2022 Haryana Time: चंद्र ग्रहण का क्या है प्रभाव, सूर्य ग्रहण से कितना अलग, क्या करें

    By Manoj KumarEdited By:
    Updated: Tue, 08 Nov 2022 04:28 PM (IST)

    Chandra Grahan 2022 भारत में चंद्र ग्रहण अलग-अलग शहर में दिखने का अलग-अलग समय रहा। चंद्र ग्रहण लगने के 12 घंटे पहले ही सूतक भी शुरू हो जाता है। हरियाणा में चंद्र ग्रहण लगने का समय शाम साढ़े 5 बजे से छह बजकर 19 मिनट तक रहा

    Hero Image
    इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण हरियाणा में बादलों के कारण नहीं दिख सका

    आनलाइन डेस्‍क, हिसार। आज 2022 का दूसरा और साल का आखिरी चंद्र ग्रहण रहा। भारत में चंद्र ग्रहण का अलग-अलग शहर में दिखने का अलग-अलग समय रहा। चंद्र ग्रहण लगने के 12 घंटे पहले ही सूतक भी शुरू हो जाता है। हरियाणा में चंद्र ग्रहण लगने का समय शाम साढ़े 5 बजे से छह बजकर 19 मिनट तक रहा। इस दौरान चांद पूरी तरह से ढक गया। लेकिन खराब मौसम के चलते नहीं दिख सका। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जब भी चंद्र ग्रहण के बारे में सुनते हैं तो लोगों के मन में डर का अहसास होता है। ये कोई नई बात नहीं है, 3158 साल पहले जब पहली बार चंद्र ग्रहण देखा गया था, तब भी लोग डरे थे। करीब 1,700 साल पहले चीनी भाषा की एक किताब में चंद्र ग्रहण को एक वैज्ञानिक घटना बताया गया था। लेकिन ज्‍योतिषि के अनुसार यह प्रक्रिया तो हजारों साल पहले ही ज्‍योतिष दस्‍तावेजों में अंकित कर दी गई थी। चंद्र ग्रह के स्थिति के अनुसार ही जन्‍म कुंडली भी बनती है और इसके आधार पर भाग्‍य बताने का काम किया जाता है।

    चंद्र ग्रहण है क्‍या

    गुरुत्वाकर्षण बल यानी ग्रेविटेशनल फोर्स की वजह से पृथ्वी और सभी दूसरे ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। पृथ्वी, 365 दिनों में सूर्य का एक चक्कर लगाती है। जबकि चंद्रमा एक प्राकृतिक उपग्रह है, जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। उसे पृथ्वी के एक चक्कर लगाने में 27 दिन लगते हैं। सूर्य के चक्कर लगाने के दौरान कई बार ऐसी स्थिति बनती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है। इस दौरान सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने से चंद्र ग्रहण होता है।

    सूर्य ग्रहण से कितना अलग चंद्र ग्रहण

    चंद्र ग्रहण की घटना तभी होती है जब सूर्य, पृथ्‍वी और चंद्रमा एक सीध में हों, खगोलीय विज्ञान के अनुसार ये केवल पूर्णिमा के दिन ही संभव होता है। इसी वजह से ज्यादातर चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा के दिन होते हैं। चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखा जा सकता है। वहीं पृथ्वी और सूर्य के बीच में चांद के आ जाने से पृथ्वी पर रोशनी नहीं पहुंच पाती है जिसके कारण कुछ समय के लिए पृथ्वी का कुछ सतह दिन के उजाले में ही अंधेरा दिखने लगता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी जब एक सीधी रेखा में आ जाते हैं, तब सूर्य ग्रहण लगता है। यह अमावस्‍या के दिन होता है। सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर आंखों को बहुत नुकसान हो सकता है। क्‍योंकि ग्रहण के वक्‍त सूर्य से निकलनी वाली किरणे बेहद खतरनाक होती हैं।

    चंद्र ग्रहण के वक्‍त क्‍या करें

    ज्‍योतिषविद पंडित देव शर्मा ने बताया कि चंद्र ग्रहण के समय जितना संभव हो पाठ पूजा करें। चंद्र ग्रहण के समय यात्रा करने से बचें। इस अवधि में कुछ खाना पीना न करें। सफेद वस्‍तुओं का दान करें। चंद्र ग्रहण शुरू होने से पहले चीनी, चावल, आटा जैसी वस्‍तुओं को रख दें और फिर इन वस्‍तुओं को किसी भी जरुरतमंद व्‍यक्ति को दान कर दें। चंद्र ग्रहण के समय किसी धार्मिक स्‍थल पर स्‍नान भी किया जा सकता है। यह फलदायी होता है। चंद्र ग्रहण के वक्‍त गुस्‍सा करने से बचें। ज्‍योतिष के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में होता है चंद्र ग्रहण लगने से उनके जीवन पर व्‍यापक प्रभाव पड़ता है।

    चंद्र ग्रहण मुख्य रूप से 3 प्रकार

    पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total lunar eclipse): पूर्ण चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं। इसके कारण पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चंद्रमा को ढंक लेती है, जिससे पूरी तरह से चंद्रमा पर अंधेरा छा जाता है।

    आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial lunar Eclipse): जब पृथ्वी की परछाई चंद्रमा के पूरे भाग को ढंकने की बजाय किसी एक हिस्से को ही ढंके तब आंशिक चंद्र ग्रहण होता है। इस दौरान चंद्रमा के केवल एक छोटे हिस्से पर ही अंधेरा होता है।

    उपछाया चंद्र ग्रहण (Penumbral lunar Eclipse): उपछाया चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा के बाहरी भाग पर पड़ती है। इस तरह के चंद्र ग्रहण को देखना मुश्किल होता है।

    कहीं पूर्ण चंद्र ग्रहण और कहीं आंशिक चंद्र ग्रहण क्‍यों

    एक हिस्से में पूर्ण चंद्र ग्रहण और दूसरे हिस्से में आंशिक चंद्र ग्रहण लगने की मुख्य वजह चंद्रमा पर पड़ने वाली पृथ्वी की छाया है। ये 2 तरह की होती है।

    पहली: प्रच्छाया (Umbra): पूर्ण चंद्र ग्रहण तब दिखाई देता है, जब देखने वाला इंसान पृथ्वी के उस हिस्से में हो जहां से चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढंका नजर आता है।

    दूसरी: उपछाया (Penumbra): उपछाया से देख रहे दर्शकों को आंशिक चंद्र ग्रहण ही दिखाई देता है।

    चंद्र ग्रहण के दिन चंद्रमा लाल क्यों दिखाई देता है

    जब चंद्रमा पृथ्वी की प्रच्छाया में होता है, सिर्फ तभी चंद्र ग्रहण के दिन चंद्रमा देखने पर लाल दिखाई देता है। इसकी वजह यह है कि सूर्य का प्रकाश जैसे ही पृथ्वी के वायुमंडल में आता है वो अपने सात रंगों में बंट जाता हैं।इस दौरान सबसे ज्यादा वेवलेंथ गहरे लाल रंग की होती है और सबसे कम वेवलेंथ बैगनी रंग की होती है। ऐसे में कम वेवलेंथ वाले रंग तो पृथ्वी के वायुमंडल में फैल जाते हैं, लेकिन गहरे लाल रंग वाली रोशनी चंद्रमा से टकराती है और वापस लौटकर हम तक पहुंचती है। इसीलिए चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देता है और इसे हम ब्लड मून भी कहते हैं।

    एक साल में कितनी बार चंद्र ग्रहण लग सकता है

    NASA के मुताबिक एक साल में ज्यादातर 2 बार चंद्र ग्रहण होता है। किसी साल चंद्र ग्रहण लगने की संख्या 3 भी हो सकती है। सैकड़ों साल में लगने वाले कुल चंद्र ग्रहणों में से लगभग 29 प्रतिशत चंद्र ग्रहण पूर्ण होते हैं। औसतन, किसी एक स्थान से हर 2.5 साल में पूर्ण चंद्र ग्रहण देखा जा सकता है। चंद्र ग्रहण 30 मिनट से लेकर एक घंटे के लिए लगता है।

    चंद्र ग्रहण के दौरान पता चली पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी

    चंद्र ग्रहण की वजह से कई खास वैज्ञानिक खोज हुई हैं। इनमें से प्रमुख कुछ इस तरह से हैं

    1. 150 ईसा पूर्व यानी आज से करीब 2100 साल पहले चंद्र ग्रहण के दौरान ग्रीस के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी का व्यास यानी डायमिटर पता किया था। इससे पता चला कि पृथ्वी कितनी बड़ी है।

    2. 400 ईसा पूर्व ग्रीस के वैज्ञानिक अरिस्तर्खुस ने चंद्र ग्रहण की मदद से ही पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी पता की थी।

    3. आगे चलकर ग्रीस के एस्ट्रोलॉजर क्लाडियस टॉलमी ने दूसरी सदी यानी 1800 साल पहले इसी के आधार पर दुनिया के सबसे पुराने वर्ल्ड मैप में से एक बनाया था, जिसका नाम टॉलमी वर्ल्ड मैप था।